प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में गोताखोरों ने पानी के भीतर खोजा सैकड़ों साल पुराना जलसमाधि लिए जलपोत ,पड़ोसी गांव में मिले बारुद से भरे काठ के डिब्बे
चित्रकूट - राजापुर थाना क्षेत्र के बिहरवां गांव के समीप यमुना नदी के दूसरे किनारे पर फतेहपुर जिले की सीमा स्थित सैदपुर गांव में बीते दिनों बालू खनन के दौरान लोगों ने काठ के कुछ पुराने डिब्बे देखे। जिसमें बारूद भरा हुआ मिला। इससे लोगों में सनसनी फैल गई। और इसकी सूचना प्रशासन को दी। जिस पर फतेहपुर जिले के प्रशासनिक नुमाइन्दों ने मौके पर पहुंच डिब्बों को अपने कब्जे में ले लिया और गोताखोरों को पानी में उतारा। यमुना नदी के गहरे पानी में उतरे गोताखारों को लगभग बीस फुट गहराई में काफी लंबा एक जलपोत पड़ा दिखाई दिया। मौके पर उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों सहित लोग आशंका जता रहे हैं कि 19वीं शताब्दी के मध्य तक इस क्षेत्र से होने वाले जलपरिवहन के दौरान यह पोत यहां पहुंचा रहा होगा और किसी दुर्घटना का शिकार हो पानी में डूब गया होगा।
गौर तलब है कि कभी जलपरिवहन ही इस क्षेत्र से लंबी दूरी की यात्रा का एक मात्रा साधन था। प्रमाण के रूप में पता चलता है कि सन् 1575 में तत्कालीन मुगल बादशाह अकबर राजापुर के यमुना घाट आए थे। और उन्होंने रामचरित मानस के रचइता गोस्वामी तुलसीदास जी के शिष्य गनपत राम उपाध्याय को घाट हाट व सैकड़ों बीघे जमीन की माफी सौंपी थी तथा इससे होने वाली वसूली से गोस्वामी जी के मन्दिर की देखरेख करने की जिम्मेदारी भी दी थी। राजापुर व आसपास के इलाकों में रहने वाले बुजुर्ग भी बताते हैं कि 19वीं शताब्दी के मध्य तक दिल्ली से कलकत्ता के लिए जाने वाले उस समय के जलपोत आगरा होते हुए राजापुर बन्दरगाह पहुंचते थे और इलाहाबाद होते हुए कलकत्ता के लिए निकल जाते थे। उस समय यमुना का पाट तो किलोमीटरों में चौड़ा था ही साथ ही यहां गहराई भी अथाह थी। जो छोटे से लेकर बड़े जलपोतों के आवागमन सहायक सिद्ध होती थी। बीते दिनों फतेहपुर जिले की सीमा पर यमुना तट के किनारे बसे सैदपुर गांव में बालूखनन के दौरान मिले बारूद से भरे काठ के डिब्बे में अंग्रेजी से खुदा हुआ इ-66 एच 5/18 सन् 1836 नंबर भी इस बात को प्रमाणित करता है कि यहां से जलपोतों का आवागमन होता रहा होगा। और उसी दौरान कोई जलपोत यहां आकर किसी दुर्घटना का शिकार बन गया होगा। डिब्बे मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में शुक्रवार को गोताखोरों द्वारा यमुना के गहरे पानी में खोजे गए जलपोत को देखकर लोग अनुमान लगा रहे हैं कि इसके द्वारा भारी मात्रा में बारूद एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाया जा रहा होगा।