मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में संचालित अवैध पशु वधशालाओं को बन्द करने एवं यांत्रिक पशु वधशालाओं पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के सम्बन्ध में निर्गत शासनादेशों को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। इस सम्बन्ध में शासनादेश संख्या-760/नौ-8-2017-29ज/2017 दिनांक 22 मार्च, 2017 तथा शासनादेश संख्या-838/नौ-8-2017-29ज/2017 दिनांक 27 मार्च, 2017 पूर्व में ही जारी किए जा चुके हैं।
प्रदेश के समस्त जनपदों में स्थित पशु वधशालाओं का निरीक्षण किए जाने तथा अवैध रूप से संचालित पशु वधशालाओं को तत्काल प्रभाव से बन्द किए जाने तथा दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध सुसंगत प्राविधानों के अनुसार दण्डात्मक कार्रवाई के आदेश 22 मार्च, 2017 के शासनादेश के माध्यम से राज्य के सभी मण्डलायुक्तों, पुलिस महानिरीक्षकों, जिलाधिकारियों, पुलिस उप महानिरीक्षकों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक तथा नगर आयुक्तों को दिए गए थे। इसी सम्बन्ध में 27 मार्च, 2017 के शासनादेश द्वारा प्रदेश में संचालित यांत्रिक पशु वधशालाओं के सम्बन्ध में यह आदेश भी दिया गया था कि ‘यांत्रिक पशुवधशालाओं पर प्रतिबन्ध’ का आशय उन यांत्रिक पशु वधशालाओं से है, जो 22 मार्च, 2017 के शासनादेश में उल्लिखित विभिन्न अधिनियमों एवं प्राविधानों में वर्णित निर्धारित मापदण्डों को पूरा नहीं करती हैं।
आज मंत्रिमण्डल की बैठक के पश्चात मीडिया प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि प्रदेश में अभी तक कुल 26 अवैध वधशालाएं बन्द की गई हैं। अधिकारियों द्वारा अति उत्साह में बन्द की गई वधशालाओं को वस्तुतः बन्द नहीं किया गया है। राज्य सरकार अवैध वधशालाओं के विषय में सुप्रीम कोर्ट और एन0जी0टी0 के आदेशों को लेटर एण्ड स्प्रिट में लागू करेगी। उन्होंने कहा कि जिन वधशालाओं के लाईसेन्स रिन्यू के आवेदन आएंगे, उन्हें रिन्यू किया जाएगा।