अधिकृत रूप से पालतू वन्य जीवों को भीड़-भाड़ अथवा
ध्वनि प्रदूषित स्थल पर लाये जाने पर रोक
वन्य जीवों के लिए उचित आवास, आहार एवं
चिकित्सा आदि की व्यवस्था की जाए - राज्य सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने वाइल्ड लाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1972 (तथा संशोधित), वाइल्ड लाइफ (टांन्जेक्शन एण्ड टैक्सी डर्मी) नियमावली 1973 तथा वाइल्ड लाइफ स्टॉक उदघोषण नियमावली-2003 के प्राविधानों के अन्तर्गत वन्य जीवों के सरंक्षण के सम्बन्ध में कुछ ठोस कदम उठाये हैं।
वन विभाग द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु शासनादेश जारी किया गया है। इस अधिनियम के विभिन्न अनुसूची में उिल्लखित वन्य जीवों के संरक्षण हेतु प्राविधानों के अन्तर्गत ऐसे वन्य जीव जिनकों लाइसेन्स प्राप्त करने के पश्चात् पालतू रूप में रखे जाने का प्राविधान है, इन वन्य जीवों के लाइसेन्स स्वामी द्वारा उचित आवास, आहार, चिकित्सा आदि की व्यवस्था की जाए ताकि वन्य जीवों के प्रति सौहार्दय्पूर्ण व्यवहार हो सके। लाइसेन्स स्वामी को वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है ताकि वन्य जीव एवं लाइसेन्स स्वामी के बीच सह-अस्तित्व स्थापित हो सके। इसके साथ ही अधिकृत रूप से पालतू वन्य जीवों के रख-रखाव में टीकाकारण, रोग एवं उपचार, आवागमन, आहार एवं कार्य रजिस्टर भी बनाये जाने का प्राविधान है।
इसके अलावा वर्ष में कम से कम दो बार पशु चिकित्सक से वन्य जीवों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाना, अधिकृत रूप से पालतू वन्य जीवों को भीड़-भाड़ अथवा ध्वनि प्रदूषित स्थल पर न लाये जाने का भी प्राविधान रखा गया है। राज्य सरकार ने इन वन्य जीवों के संरक्षण हेतु पहल करते हुए कहा है कि वन्य जीवों के संरक्षण सम्बन्धी अधिनियम/नियमावली के उल्लंघन किये जाने पर दोषी व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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