कोटवारा रियासत आप गणमान्य मीडिया के बन्धुओं का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती है कि आप लोग आये और सच्चाई एवं तथ्यों की जानकारी हासिल की।
हमें इस बात की बेहद खुशी है कि आप लोगों के समक्ष हम अपनी बात रख सकें और वह अनदेखे पहलू जिन पर वन विभाग द्वारा रौशनी नहीं डाली गयी थी उन पर आपके सामने सत्यापित कर सके। तथ्यों के अवलोकन के तत्पश्चात् यह बात सिद्ध होती है कि कोटवारा राजघराने के ऊपर लगाए गए वन विभाग के आरोप बेबुनियाद एवं हीनभावना से प्रेरित थे।
वर्ष 2013 में मुजफ्फर अली साहब ने राज्य सरकार से दरख्वास्त की थी कि एक जाँच वन विभाग के बेबुनियाद एवं तथ्यहीन पहलुओं पर बैठा दी जाय। राज्य सरकार ने मुख्य वन संरक्षक की अध्यक्षता में एक जांच आयोग बैठाया परन्तु वन विभाग के कुछ अधिकारी की वजह से यह जांच रिपोर्ट दबा दी गयी।
गोला गोकरननाथ के जिलास्तर के कुछ अधिकारियो ने मुजफ्फर अली के विरूद्ध एस0डी0एम0 न्यायालय गोला में एक प्रार्थनापत्र दाखिल कर उनकी पुश्तैनी जमीन का दाखिल-खारिज रद्द करने की फरियाद डाली थी। परिवार के ऊपर लांछन लगाकर झूठे तथ्य सामने लाकर पूर्णतरीके से मानसिक उत्पीड़न किया गया। मुलायम आवास योजना नाम की गरीबों के लिए आवासीय योजना के अंतर्गत बने भवनों को रेंजर रविशंकर वाजपेयी ने बिना किसी आदेश के ध्वस्त कर दिया। 80 साल के एक वृद्ध नौकर से रेंजर उमेश चन्द्र राय ने हाथापाई की एवं उसको चोटिल किया, दलित मजदूरों को बेरहमी से मारा पीटा गया। एक बिना दिनांक का प्रार्थनापत्र एस0डी0एम0 गोला गोकरननाथ में मुजफ्फरअली एवं उनके परिवारजनों के विरूद्ध वन विभाग (उमेश चन्द्र राय) द्वारा दाखिल किया गया।
21 अक्टूबर 2016 को मुजफ्फरअली का 72वां जन्मदिन था। वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता सिद्धार्थ नारायण ने उनको उनकी पुश्तैनी जमीन, सरकारी इन्क्वायरी रिपोर्ट की सर्टिफाइड कापी जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत उपलब्ध कराई। अपने बयान में सिद्धार्थ नारायण ने कहा कि ‘‘मुजफ्फर अली साहब की मां को वह बहुत प्यार करते हैं और उनके दुनियां सेरूखसत होने के 56 साल बाद आज वह सारे पहलू इस आरटीआई से उजागर हुए हैं, जो कि स्व0 महारानी कनीज़ हैदर को पूरी तरीके से वन विभाग के आरोपों से बरी करते हैं जो विभाग ने उन पर और कोटवारा रियासत पर लगाए थे।’’ मुजफ्फर अली ने अपने बयान में कहा कि ‘‘उत्तर प्रदेश वन विभाग उनकी जिन्दगी के 3 साल बर्बाद करने के पूर्णतः जिम्मेदार हैं और जो आर्थिक नुकसान राज्य को फिल्म निर्माण न होने के कारण हुआ, उसके लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग दोषी है।’’
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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