आगरा के ग्रामीण क्षेत्रों के गली मोहल्लों में घरों में टेसू झेंझी लेकर बच्चों का भ्रमण शुरू हो गया है। शाम होते ही छोटे.छोटे बच्चे व लड़कियां टोली के रूप में टेसू और झेंझी को लेकर घर.घर दस्तक देकर अनाज और पैसा निकलते हैं। यह खेल दशहरा से शरद पूर्णिमा तक चलेगा। शरद पूर्णिमा के दिन ग्रामीण क्षेत्र में छोटे.छोटे बच्चों में टेसू झेंझी को लेकर खासा उत्साह देखा जा सकता है।
दहतोरा और अन्य गांव के बच्चैं कुणालए चायनाए मंजुलाए शिवम्ए लवलीए सोनूए लवए पल्लवीए विवेकए जतिनए खुशए शभ्याए पियूष निधिए भूमि आदि बच्चों का कहना है कि टेसू खेलना उन्हें बेहद अच्छा लगता है। उनका कहना है कि वो रोज शाम ढलते ही टेसू और झांझी का खेल खेलते हैं। टेसू के साथ गाये जाने वाले गीत अपनी संस्कृति का अहसास कराते हैं। पांच दिन टेसू झेंझी खेलने के बाद शरद पूर्णिमा को दूल्हा राजा बने टेसू महाराज और दुल्हन झेंझी का विवाह धूम धाम से किया जाता है। लड़कों की टोलियां टेसू और लड़कियों का झुंड झेंझी को दुल्हन की तरह सजाकर गली मोहल्ले कूंचों में घर.घर जाकर अनाज व पैसे मांगने के लिये प्रत्येक दिन शाम ढलते ही दस्तक देने लगते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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