उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने कहा है कि 13वें वित्त आयोग की संस्तुतियों में राज्यों के हितों की अनदेखी की गई है। उन्होंने केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में महज डेढ़ फीसदी बढ़ोत्तरी को पूरी तरह छलावा बताते हुए कहा कि केन्द्रीय करों की शुद्ध प्राप्तियों में राज्यों का अंश कम से कम 50 प्रतिशत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार राज्यों को उनका वाजिब हिस्सा न देकर राजनीति कर रही है और राज्यों को आर्थिक रूप से अपना पिछलग्गू बनाए रखना चाहती है।
सुश्री मायावती आज संसद में प्रस्तुत किये गये 13वें वित्त आयोग के प्रतिवेदन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने कहा कि राज्यों के आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने को सर्वाधिक महत्व दिया जाय, क्योंकि राज्य सरकारें ही जनता के हितों और विकास से जुड़े तमाम कार्यक्रमों को संचालित करती हैं। इनकी पूर्ति के लिए जरूरी है कि केन्द्रीय करों की शुद्ध प्राप्तियों में राज्यों को वर्तमान में मिल रहे 30.5 प्रतिशत अंश को बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत किया जाय। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार अनुत्पादक मदों और अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस धनरािश का अपव्यय करना चाहती है, जो पूरी तरह अनुचित होने के साथ-साथ संविधान की संघीय भावना के विपरीत भी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का यह भेदभावपूर्ण कदम राज्य की जनता के हितों की अनदेखी है।
सुश्री मायावती ने कहा कि 13वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों को अनुदान की जो संस्तुति की गई है, वह भी 12वें वित्त आयोग की अपेक्षा कम है। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त आयोग ने 11.4 प्रतिशत अनुदान की सिफारिश की थी, जबकि 13वें वित्त आयोग ने 10.3 फीसदी अनुदान की ही सिफारिश की है। इस प्रकार अकेले इस मद में ही उत्तर प्रदेश को लगभग तीन हजार करोड़ रूपये कम मिलेंगे।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि 13वें वित्त आयोग ने आयोजनेत्तर राजस्व घाटा अनुदान, प्रारंभिक िशक्षा, पर्यावरण, आउट-कम में सुधार, सड़क एवं पुलों का अनुरक्षण, पंचायती राज एवं नगर निकायों को अनुदान, आपदा राहत तथा राज्य विशेश अनुदान के लिए जो संस्तुतियां की हैं, वह भी नाकाफी और अन्यायपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य आपदा अनुक्रिया निधि का गठन कर इसके अन्तर्गत जो धनरािश वित्त आयोग द्वारा संस्तुत की गई है, उसमें प्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 1622 करोड़ रूपये है, जो कुल धनरािश का मात्र 06 फीसदी है। उन्होंने कहा कि 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को आपदा से निपटने के लिए इतनी कम धनरािश की संस्तुति राज्य की जनता के साथ धोखा है। उन्होंने इस मद में राज्य की हिस्सेदारी कम से कम 20 फीसदी किये जाने की मांग की है।
सुश्री मायावती ने कहा कि 13वें वित्त आयोग द्वारा राज्य विशेश अनुदान के अन्तर्गत भी प्रदेश की भारी उपेक्षा की गई है। राज्य विशेश अनुदान के अन्तर्गत प्रदेश के लिए 1679 करोड़ रूपये की संस्तुति की गई है, जो कुल धनरािश का 06 फीसदी है। उन्होंने कहा कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के लिए इस मद में 20 फीसदी की धनरािश का प्राविधान किया जाना चाहिए।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि पिछड़े क्षेत्रों के विकास के तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सूखा रोकने के उपाय के अन्तर्गत 13वें वित्त आयोग ने महज़ 200 करोड़ रूपये की संस्तुति की है। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सड़क संयोजकता में सुधार के लिए 150 करोड़ रूपये तथा पूर्वांचल क्षेत्र के जिलों की संयोजकता हेतु सड़क निर्माण के लिए 150 करोड़ रूपये के अनुदान की संस्तुति की गई है। उन्होंने 13वें वित्त आयोग द्वारा इन क्षेत्रों के लिए पिछले वित्त आयोग से भी कम धनरािश की संस्तुति पर असन्तोश व्यक्त करते हुए कहा कि 12वें वित्त आयोग ने बुन्देलखण्ड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए 700 करोड़ रूपये की संस्तुति की थी, जबकि वर्तमान वित्त आयोग द्वारा मात्र 500 करोड़ रूपये की संस्तुति की गई है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में निर्माण कायोंZ की लागत में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र की यू0पी0ए0 सरकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र के हितों को लेकर अभी तक जो नाटक कर रही थी, उसका खुलासा वित्त आयोग की संस्तुतियों से हो गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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