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पलायन नहीं पराक्रम: डाॅ. सुरेन्द्र जैन (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

Posted on 03 October 2016 by admin

युवाओं में जिस तरह का जोश था। पूर्ण मनोयोग से डा. सुरेन्द्र जैन की बातों को वे सुन रहे थे, उससे यही लग रहा था कि इस बार दीपावली पर पराक्रम के दीपक इस कदर जगमगाएंगे कि पलायन का  तम (अंधेरा) सदैव-सदैव के लिए भाग जाएगा।  विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डा. सुरेन्द्र जैन लखनऊ के एक विद्यालय में विहिप कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बहुत सामयिक विषय लिया कि देश भर में एक विशेष सम्प्रदाय से डरकर हिन्दू जिस तरह से पलायन कर रहे हैं क्या यह उचित है, हम सहिष्णु हैं लेकिन हमें  पलायन करने की परम्परा नहीं दी गयी है बल्कि हम पराक्रम दिखाते रहे हैं और आगे भी दिखाएंगे। उन्होंने इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा भी बतायी कि किस तरह से लोगों को पलायन छोड़कर पराक्रम की राह पर लाया जा सकता है।
डा. सुरेन्द्र जैन विहिप के चर्चित नेताओं में से एक हैं। वह स्वयं कहते हैं कि प्रवीण भाई तोगड़िया और मेरी विचारधारा पूरी तरह से मिलती है। यह बात भी उस दिन साबित हो गयी। वाणी में वही ओजस्विता और प्रभाव जो सामने वाले को पूरी तरह अपने वश में कर दे। अपनी बात को  तर्क के साथ प्रस्तुत करने वाले डा.  सुरेन्द्र जैन ने पलायन की दास्तां सुनाई। हमारा अखंड देश कभी ईरान तक फैला हुआ था। वह कहते हैं कि पहले हम ईरान से पलायन कर भागे, फिर अफगानिस्तान से। इसके बाद जम्मू-कश्मीर और फिर कैराना। हम कहां-कहां से भागेंगे? पूरे देश में 17 प्रान्तों से हिन्दुओं ने पलायन किया है। सभी जगह एक ही तरीका अपनाया गया। हिन्दुओं को परेशान करो, उनकी सम्पत्ति लूटो, बहू-बेटियों को भगाकर जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाओ, मारो-पीटो, व्यापार-धंधा न करने दो। यह कहानी केवल कश्मीर की ही नहीं, पूरे देश की है।  जहां-जहां से हिन्दुओं का पलायन हुआ है, वहां-वहां यही बताया गया कि मंदिर तोड़े जाते हैं, त्योहार मनाने में बाधा डाली जाती है हिन्दुओं की दुकान से सामान खरीद कर पैसा नहीं दिया जाता। कहने का मतलब यह कि उन्हें इस तरह से परेशान किया जाता है कि घर छोड़कर भाग जाएं। कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ यही हुआ और कैराना की हकीकत भी सभी के सामने आ गयी। डा. जैन सवाल उठाते हैं कि क्या हिन्दुओं की प्रकृति भागना है, पलायन करना है? सभागार में बैठे सभी लोगों पर सन्नाटा सा छा जाता है। डा. सुरेन्द्र जैन स्वयं इसका जवाब देते हैं।
डा. जैन कहते हैं कि हमारे देश में तीन सौ साल से पलायन का इतिहास रहा है लेकिन हिन्दुओं का यह स्वभाव नहीं है। सहिष्णुता हमारे धर्म का लक्षण हो सकता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा था ‘न दैन्यं न पलायनम्’ अर्थात् हम पलायन नहीं करते। हिन्दू वही है जो न कभी डरता है और न भागता है। डा. जैन ने कहा कि जो डर जाए, भाग जाए वह हिन्दू नहीं हो सकता। हिन्दू वही है जो सामने वाले को घुटने टेकने को मजबूर कर दे। भारत की सहिष्णुता का उदाहरण देते हुए डा. जैन ने बताया कि इतिहास गवाह है मालाबार में पहली मस्जिद एक हिन्दू ने बनवाई थी। इसी प्रकार पहला चर्च महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था। उन्होंने कहा- ‘हमने अपने मंदिर के बगल में मस्जिद बनवाकर सहिष्णुता का परिचय दिया लेकिन बाद में हमें क्या मिला? डा. जैन ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति बताती है कि राजा शिवि ने कबूतर की रक्षा के लिए अपना मांस दिया था। सहिष्णुता  शरण में आने वाले के प्रति दिखाई जाती है लेकिन जो दुश्मन की तरह हम से व्यवहार करे, हमारी गो माता की हत्या करे, गोमांस की दावत दे उसके प्रति हम सहिष्णुता कैसे दिखा  सकते हैं। उन्होंने कहा हमने कुछ लड़ाइयों मंें पराजय पायी होगी लेकिन अंतिम विजय हमारी रही है। इसका उदाहरण अयोध्या है।
डा. जैन ने मीडिया के कथित धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) लोगों को भी जमकर लताड़ा? उन्हांेने कहा कुछ कथित धर्मनिरपेक्ष मीडिया वाले हिन्दू धर्म की आलोचना करने में ही अपनी प्रगतिवादिता मानते हैं।  ऐसे लोग सेक्युलर माफिया की तरह होते हैं। उन्होंने कहा इन्हीं लोगों ने तब भी हमारा विरोध किया था जब रामजन्म भूमि रथ यात्रा निकल रही थी और तब भी विरोध किया था जब अमरनाथ में जमीन प्राप्त करने का हम प्रयास कर रहे थे। मीडिया के विरोध के बावजूद हमें सफलता मिली।
डा. जैन कहते हैं कि हिन्दुओं के हर देवता के हाथ में शस्त्र क्यों दिखाया गया? भगवान शंकर एक तरफ डमरू बजाते हैं तो दूसरे हाथ में त्रिशूल भी धारण किये हुए हैं। मां काली एक हाथ में कटा हुआ सिर थामे हैं इससे यही पता चलता है कि पलायन करना हमारी प्रवृत्ति नहीं है। हमें पराक्रम दिखाना पड़ेगा। डर के मारे हिन्दू पलायन कर रहे हैं, यह बहुत चिंता की बात है। हिन्दू जिन लोगों के चलते पलायन कर रहे हैं, उन अत्याचारियों को समझाया नहीं जा सकता। उनको पराक्रम से ही रोका जा सकता है विश्व हिन्दू परिषद ने इसके लिए कार्य योजना भी बनायी है। डा. जैन ने बताया कि इस योजना के तहत सर्वे कराया जाएगा कि गांव, कस्बे और शहर से लेकर कहां-कहां पलायन हुआ है और किस कारण से पलायन हुआ। उसके बाद पलायन कर चुके लोगों और पलायन के लिए मजबूर हो रहे लोगों को यह विश्वास दिलाया जाएगा कि आप अकेले नहीं हैं, आपके साथ पूरे देश का हिन्दू खड़ा है। शामली का बदला सिर्फ मुजफ्फरनगर ने लिया था लेकिन अब यदि फैजाबाद जैसे शहर में उसी तरह की दुस्साहसिक घटना हो गयी तो पूरा देश बदला लेने के लिए तैयार हो जाएगा।
डाॅ. सुरेन्द्र जैन ने जम्मू और पुंछ का उदाहरण दिया। वहां से कई लोग पलायन का मन बना चुके थे लेकिन विहिप के लोगों ने वहां शाखा लगाकर धार्मिक आयोजन करके उन हिन्दुओं को पलायन करने से रोका। आज वहां के लोगों में इतना विश्वास है कि वे किसी भी अन्याय का मुकाबला कर सकते हैं। डा. जैन ने कहा कि हिन्दुओं को सोचना होगा कि अब पलायन से काम नहीं चलेगा। एक स्थान से पलायन करोगे तो दूसरी जगह उसी तरह के अत्याचारी मिल जाएंगे। इसलिए पराक्रम के लिए तैयार रहना होगा। डा. जैन की इन बातों में बहुत गंभीरता छिपी है। भारत के जन-जन को यह बात समझनी होगी। सरकार के भरोसे रहने से काम नहीं चलेगा, हमें स्वयं अपना गौरवपूर्ण इतिहास दोहराने की जरूरत है। (हिफी)

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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