(1) पाकिस्तान की सीमा के भीतर सफल ’सर्जिकल स्ट्राइक’ करके सेना ने अपने देश के लोगों से किया गया वायदा निभाया। सेना बधाई की पात्र।
(2) परन्तु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की तरफ से इसकी अनुमति देना सही है लेकिन यह काफी देर से लिया गया फैसला है।
ऽ अगर पठानकोट में आतंकी हमले के बाद ऐसी त्वरित कार्रवाई की गयी होती तो उरी की दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोककर 18 सैनिकों को वीरगति प्राप्त होने से बचाया जा सकता था: सुश्री मायावती जी।
(3) साथ ही, भाजपा के अध्यक्ष श्री अमित शाह का यह बयान राजनीति से प्रेरित व जल्दबाजी का बयान है कि कल की इस घटना के फलस्वरुप नये भारत का उदय हुआ है। वास्तव में अपनी सीमा व सैनिकों की सुरक्षा के सम्बन्ध में अभी बहुत कुछ ठोस व बुनियादी ज़रूरी काम सरकार को करना अभी बाक़ी है: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी सुश्री मायावती जी।
लखनऊ, 30 सितम्बर, 2016: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने अपने देश की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को हर प्रकार से सुरक्षित व सेना को उस कार्य के लिये हर प्रकार के आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करने की मांग करते हुये कहा कि देश की एकता व अखण्डता को कभी कोई ख़तरा नहीं पैदा हो, इसके लिये आवश्यक है कि पाकिस्तान के साथ-साथ हमारे देश को हर पड़ोसी देशों से मिलती हुई सीमा को सुरक्षित किया जाये।
सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा के भीतर आतंकी कैम्पों पर सेना को कार्रवाई करने की अनुमति देना सही है लेकिन यह ’’देर से उठाया गया क़दम है’’। इस बारे में अपने देश की जनता की आम धारणा तो यही है कि पूर्ववर्ती सरकारों की विफलताओं को मद्देनजर रखते हुये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को सरहद पार की आतंकी गतिविधियों की रोकथाम के लिये वहाँ स्थापित आतंकी शिविरों को नष्ट करने की कार्रवाई काफी पहले करनी चाहिये थी।
इस सम्बन्ध मे ख़ासकर जनवरी सन् 2016 में जब पंजाब राज्य के पठानकोट स्थित वायुसेना के हवाई अड्डे पर आतंकी हमला हुआ था तभी उसके फौरन बाद ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अगर सेना को आतंकी कैम्पों पर हमले की अनुमति दे देती तो बहुत संभव था कि दिनांक 18 सितम्बर की उरी की अत्यन्त ही दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं घटती और हमारे 18 वीर सैनिक बलिदान होने से बच जाते अर्थात उन सैनिकों की जान बचायी जा सकती थी।
बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने कहा कि भारतीय सेना बधाई की पात्र है कि उसने सरहद पार करके वहाँ चलने वाले आतंकी कैम्पों को नष्ट कर दिया और उन्हें काफी जानी-माली नुकसान भी पहुंचाया और इस प्रकार सेना ने अपना वह वायदा पूरा कर दिया है जो उरी की अत्यन्त ही दुःखद व अप्रिय घटना के बाद देशवासियों से किया था।
परन्तु भाजपा व उसकी केन्द्र की सरकार तथा ख़ासकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के लिये यह ना तो अति-उत्साहित होकर जश्न मनाने का समय है और ना ही इस बारे में राजनीतिक व चुनावी लाभ लेने का ग़लत प्रयास करने की जरूरत है, क्योंकि ख़ासकर वर्तमान घटनाक्रम के बाद देश के समक्ष चुनौतियों का ख़तरा काफी ज़्यादा बढ़ गया है। देश की सुरक्षा के साथ-साथ नागरिकों की सुरक्षा के लिये भी काफी सावधान रहना जरूरी है।
इस बारे में ख़ासकर भारत की पाकिस्तान सहित सभी अन्तर्राष्ट्रीय सीमाआंे को हर प्रकर से मज़बूत बनाने की तरफ ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता है, जिसकी तरफ वर्तमान सरकार ने अपने ढाई वर्षो के कार्यकाल के दौरान बहुत ही कम ध्यान दिया है, जिस कारण ही देश में आतंकी गतिविधि लगातार जारी रही हैं व आमजनता के साथ-साथ अपने देश के सैनिकों की भी जानें गयी हैं।
केन्द्र की वर्तमान सरकार को भारत-पाक के सम्बंध में व ख़ासकर सीमा की सुरक्षा के बारे में अब अपनी पुरानी ढुलमुल नीति त्याग कर सेना को देशहित मेें अपना काम करते रहने की छूट दे देनी चाहिये और उसे कूटनीतिक स्तर पर अपनी जिम्मेदारी और भी ज़्यादा तत्परता से निभाने का प्रयास करते रहना चाहिये।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के इस दावे को कि वर्तमान घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में ’नये भारत का उदय हुआ है’ को राजनीति से प्रेरित जल्दबाज़ी का बयान बताते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि देश की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के साथ-साथ अपने सैनिकों व आम नागरिकों को ख़ासकर आतंकी ख़तरों से बचाने के लिये अभी बहुत कुछ ठोस व जरूरी बुनियादी काम करना बाक़ी है। इसलिये स्वयं को ऐसी शाबाशी लेने की जल्दबाज़ी व नादानी भाजपा एण्ड कम्पनी के लोगों को नहीं करनी चाहिये।
इसके अलावा भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिये कि इन्हीं सब कारणों से सीमावर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के ख़ासकर कश्मीर घाटी क्षेत्र में भी हालात लगातार बद-से-बदतर होते चले जा रहे हैं, जो कि अब भी वहाँ लगातार जारी है और देश के लोगों को यह चिन्तित किये हुये है।
इसके साथ ही, यह ख़ासकर केन्द्र की भाजपा सरकार व जम्मू-कश्मीर की भाजपा-पी.डी.पी. गठबंधन सरकार की ग़लत सोच व नीतियों का परिणाम नहीं तो और क्या है कि सेना को, भारत-पाक सीमा पर प्रभावी ढंग से तैनात करके व उन्हें हर प्रकार के आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करके आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम करने की क्षमता देने के बजाय, सेना को कश्मीर में अपने ही नागरीकों की निगरानी करने हेतु लगा दिया गया, जिस ग़लत फैसले को फिर बाद में बदलाना पड़ा था।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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