जाखलौन(ललितपुर) इनदिनांे बर्तमान सरकार भले ही मत्स्य (मछली) पालकों की संख्या अधिक हो। इसके लिए प्रयासरत है। किन्तु मत्स्य विभाग में बैठे लोग नही चाहते है कि मत्स्य पालकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो। और मछली पालन के मामले में उत्तर प्रदेष अब्बल हो सके। इसी के चलते मत्स्य विभाग के कर्मचारी मछली पालने के इच्छुक लोगों से साफ तौर पर मना कर देते है। कि अब मछली पालन हेतु मत्स्य बीज बचा ही नही है। जबकि विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में मत्स्य बीज उपलव्ध रहता है। इसके पीछे कहीं न कहीं करिप्सन का होना लाजमी है। आरोप है कि मत्स्य विभाग के एक बाबू द्धारा पहले तो एक मत्स्य पालक को मत्स्य बीज पर्याप्त होना बताया गया और कहा गया कि यदि मत्स्य पालक 50000 मछलियों का बीज लेगा। तो उसे रसीद 20000 मछली के बीज की देंगे। जबकि बीज 50000 ही दंेगे। ऐसा करने से उसे बाकी की धनराषि बच जाऐगी। परन्तु जब मत्स्य पालन के इच्छुक व्यक्ति द्धारा कहा गया कि वह तो जितने बीज को लेगा उतने ही बीज की रसीद लेगा। आरोप है कि इस बात को सुनते ही उक्त बाबू द्धारा सीधे तौर पर मत्स्य पालक को अब साफ तौर पर मनाकर दिया गया और कहा गया कि अब विभाग के पास मत्स्य बीज बचा ही नही है। अब कोई बीज नही मिलेगा। इस तरह से मत्स्य विभाग में फैले भृष्टाचार को लेकर लोगों में मत्स्य विभाग के खिलाफ काफी नाराजगी है। बुद्धजीबियों का मानना है कि यदि यूॅ ही मत्स्य विभाग में भृष्टाचार फैला रहा। तो प्रदेष में अभी जो वर्तमान सरकार की अच्छी खासी स्वच्छ छबि है वह धूमिल हो सकती है। जिससे वर्तमान सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में मत्स्य पालन के इच्छुक लोगों ने जिलाधिकारी से मत्स्य विभाग में फैले भृष्टाचार पर अंकुष लगाऐ जाने हेतु दोषियों पर कठोर कार्यबाही किये जाने की माॅग की है। ताकि षासन की मंषानुरुप प्रदेष में अधिक से अधिक मत्स्य पालन हो सके।
इनका कहना है
हमारे विभाग के पास जुलाई माह से मत्स्य बीज का मिलना षुरु हो जाता है। जो सितम्वर माह तक मिलता है। और यदि सितम्वर माह के बाद भी बीज बचता है तो वह आगे के महिनों में भी बिक्री के लिए उपलव्ध रहता है। ललितपुर में 17 लाख मत्स्य बीज का टारगेट एक बर्ष में रहता है। जब भी वह बिक जाऐगा। तो उसी समय से मत्स्य पालकांे को मत्स्य बीज मिलना बन्द हो जाता है। कोई समय सीमा निर्धारित नही है कि मत्स्य बीज सितम्वर माह तक ही मिलता रहेगा। बच्चे के बढ़े होने की स्थिति में उसकी कीमत जरुर बढ़ा दी जाती है। जहाॅ तक बाबूओं की बात है तो, हो सकता है कि कोई बाबू बदमासी कर रहा हो। लेकिन जब तक हमारे पास कोई षिकायत ठोस सबूत के नही आऐगी। तब तक हम कुछ नही कर सकते है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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