एमिटी लाॅ स्कूल, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर की ओर से बाल अधिकार और भारत का भविष्य विषयक एक राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया।
सेमीनार का उद्घाटन इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री विष्णु सहाय ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता राज्य बाल अधिकार आयोग की चेयरपर्सन जूही सिंह, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के प्रति कुलपति सेवानिवृत्त मेजर जनरल केके ओहरी एवीएसएम, उप महा निदेशक एमिटी विवि लखनऊ परिसर, नरेश चंद्र एवं एमिटी लाॅ स्कूल की उप निदेशिका डा. संगीता लाहा उपस्थित रहीं।
छात्रों को संबोधित करते हुए जूही सिंह ने कहा कि, जहां 69 मिलियन बच्चे पांच वर्ष की आयु पूरी नहीं कर पाते, जहां 167 मिलियन अत्यंत गरीब बच्चों को गरीबी की वजह से निरक्षर रहना पड़ता हो वहां बाल अधिकार की बात गंभीर चर्चा का विषय होने के साथ ही पेचीदा विषय भी है। उन्होने कहा कि, आज बच्चों को सुरक्षित भविष्य देने के लिए रोज नये सिरे से प्रयास करने और सोचने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि न्यायाधीश श्री विष्णु सहाय ने कहा कि, संविधान के अर्टिकिल 24 में बच्चों को खतरनाक वातावरण में कार्य करने से बचाने के लिए है । कानून में भरपूर व्यवस्थाएं दी गई हैं जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने में मदद मिल सकती है पर उनकी जानकारी और इस्तेमाल समुचित तरीके से किए जाने की आवश्यकता है।
उप महा निदेशक नरेश चंद्र ने कहा कि, गरीबी के कारण देश में निरक्षरता का जन्म हुआ। उन्होने प्राचीन आश्रम पद्धति को याद करते हुए कहा कि, सैकड़ों सालों की गुलामी ने हमारे देश का बहुत नुकसान किया। संगोष्ठी में अतिथियों ने सेमिनार पुस्तििका का विमोचन भी किया।
संगोष्ठी में दो तकनीकि सत्रों का भी आयोजन किया गया था। दोनों सत्रों के दौरान 60 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी में देश और विदेश से आए 100 से भी ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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