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आर्थिक सर्वेक्षण की आड़ में यूपीए सरकार की मंहगाई बढाने की कोशिश - मायावती

Posted on 26 February 2010 by admin

उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने आज लोकसभा में केन्द्रीय वित्त मन्त्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा पेश किये गये बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण को गरीब एवं किसान विरोधी बताते हुए कहा है कि यदि इसके आधार पर बजट तैयार किया गया तो इससे मंहगाई की मार झेल रहे आम आदमी को दो वक्त का भोजन जुटाना भी दूभर हो जायेगा। शायद यूपीए सरकार की मंशा भी यही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि सर्वेक्षण में दिये गये सुझावों को बजट का रूप न दिया जाये। सिर्फ उन्ही सुझावों को शामिल किया जाये, जिससे गरीब आदमी और किसानों का लाभ हो सके।

सुश्री मायावती ने आर्थिक सर्वेक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यूपीए सरकार आर्थिक समीक्षा की आड़ में पूंजीपतियों के फायदे के लिए नीतियां बनाने की रूपरेखा तैयार करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आर्थिक समीक्षा में परिलक्षित विकास दर को झूठ का पुलिन्दा बताते हुए कहा है कि यूपीए सरकार कृत्रिम अभाव पैदा कर मंहगाई बढाने के लिए पहले से ही पेशबन्दी करना चाहती है।

सुश्री मायावती ने कहा कि कृषि निवेशों की बढ़ती लागत से किसान पहले से ही परेशान है और केन्द्र सरकार उसे राहत न देकर यूरिया के दामों में बढ़ोत्तरी करने जा रही है। इससे किसान एवं कृषि क्षेत्र पर दोहरी मार पड़ेगी और एक ओर जहां उत्पादन घटेगा वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का उद्देश्य भी विफल हो जायेगा। इसी तरह देश का आम आदमी आज बढ़ती हुई मंहगाई से त्रस्त है। केन्द्र सरकार इस दिशा में कोई कठोर कदम न उठाकर पूंजीपतियों और धन्नासेठों के हाथों मे कठपुतली बनी हुई है।
सुश्री मायावती ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि उत्पादन और उत्पादकता में सुधार, कृषि निवेशों के बेहतर उपयोग, विपणन, बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग कृषि निवेश बढाने तथा खाद्य प्रबंधन पर जोर देने के सुझाव यद्यपि दिये गये हैं, परन्तु वास्तव में यूपीए सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं, जिसके कारण ही कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा हो रही है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि केन्द्र सरकार की सोची समझी रणनीति के चलते कृषि क्षेत्र की विकास दर 2005-06 से 2009-10 के बीच में लगभग हर वर्ष घटी है । जहां 2005-06 में यह 5.2 प्रतिशत थी वहीं यह घटते-घटते 2009-10 में -0.2 प्रतिशत रह गई। कोई भी सरकार, जिसको जनता के व्यथा का कुछ भी मर्म होगा, वो ऐसी अवस्था में कृषि आधारित ऐसी योजना लायेगी जिससे गरीब किसानो की स्थिति सुधारी जा सके।

सुश्री मायावती ने कहा कि उन्होंने पहले भी इस ओर इशारा किया था कि भारत सरकार कुछ खास औद्योगिक घरानों की मदद कर रही है। इस आर्थिक सर्वेक्षण में भी इन घरानों का नाम लेकर के यह कहा जाना कि चालू वित्तीय वर्ष में भारत के तेल उत्पादन को 11 फीसदी से बढ़ाकर 3.67 करोड़ मीट्रिक टन करने में मदद करेंगे सिर्फ सरकार की मंशा और उसका उद्योगपतियो के हाथ में कठपुतलियों बन जाना जगजाहिर करता है।

सुश्री मायावती ने कहा कि समीक्षा में अल्पसंख्यक वर्ग के विकास के लिए व्यय बढने की बात कही गई है। वास्तविकता यह है कि यदि यूपीए सरकार अल्पसंख्यकों की हितैषी होती तो सच्चर कमेटी की रिर्पोट को अबतक लागू कर देती, क्योंकि कांग्रेस के 50 वषों के शासनकाल के दौरान अनुसूचित जाति, जनजाति/पिछडे़ तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों की सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक हालत में कोई खास बदलाव नहीं आया है।

सुश्री मायावती ने कहा कि पिछले कुछ समय से लगातार आम आदमी मंहगाई की मार झेल रहा है। आश्चर्यजनक तौर पर जहां मंहगाई खाद्य पदार्थो तथा आम आदमी के इस्तेमाल की चीजो तक सीमित है किन्ही विशेष कारणों से भारत सरकार तथा रिजर्व बैंक मंहगाई को नियन्त्रित करने के लिए सिर्फ उपलब्ध ऋण को या तो कम करने की कोशिश कर रही है या मंहगा करने की कोशिश कर रही है।

मुख्यमन्त्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र तथा शिक्षा के क्षेत्र में भी किसी तरह की प्रतिबद्धता दिखाई नहीं देती।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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