बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल से शुरूआत की गयी ’स्टैण्ड अप इण्डिया’ योजना को उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव से पहले इसे ’’चुनावी ड्रामेबाज़ी’’ बताते हुये कहा कि अगर उन्हें दलितों, आदिवासियों को अपने पांव पर खड़ा करने की इतनी ही चिन्ता है तो उन्हें सबसे पहले सरकारी नौकरियों में आरक्षित ख़ाली पड़े हज़ारों पदों को भरना चाहिये व केन्द्र सरकार के अन्तर्गत विभिन्न सरकारी मंत्रालयों में ठेका इन वर्गों के लोगों के लिये भी आरक्षित कर देना चाहिये, जैसाकि उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. की सरकार द्वारा करके दिखा दिया गया है।
सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि भाजपा और उसकी केन्द्र की सरकार अपनी संकीर्ण, जातिवाद व कट्टरवादी रवैये के साथ- ही-साथ अपनी ग़लत नीति व कार्य-प्रणाली के कारण लोगों का विश्वास बहुत तेज़ी से खोती जा रही है, जिस कारण लोगों का ध्यान बांटने के लिये अब उसे नये-नये शिगूफे व नई-नई पैंतरेबाज़ी करनी पड़ रही है।
साथ ही, जनहित व जनकल्याण को त्याग कर भावनात्मक व धार्मिक ग़ैर-ज़रूरी मुद्दों की आड़ में लोगों को गुमराह कर उनका ध्यान बांटने का प्रयास किया जा रहा है। और अब तो भाजपा व श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव पर केन्द्रित हो गया है, जिस कारण ही नई-नई चुनावी ड्रामेबाज़ी का दौर शुरू हो गया है। इसी क्रम में ’’स्टार्ट अप इण्डिया व स्टैण्ड अप इण्डिया’’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से जनता को वरग़लाने का प्रयास किया जा रहा है।
जबकि सर्वसमाज के ग़रीबों ख़ासकर दलितों, आदिवासियों व समाज के अन्य उपेक्षित वर्ग के लोगों को तत्काल रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ उन्हें उनका पहले से लागू क़ानूनी हक़ सही तरीक़े से देने के प्रयास को एक प्रकार से बन्द ही कर दिया गया है। इस सम्बन्ध में सबसे ज़रूरी कदम सरकारी नौकरियों में ख़ाली पड़े हज़ारों आरक्षित पदों को भरने का होना चाहिये था, किन्तु पिछले लगभग दो वर्षों के कार्यकाल में श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कांग्रेस की ही जातिवादी तर्ज़ पर काम करते हुये, आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाकर अपनी संवैधानिक जि़म्मेदारी से भागने का काम किया है।
इतना ही नहीं बल्कि नई योजनाओं के माध्यम से उन्हें कर्ज लेकर आगे बढ़ने को कहा जा रहा है। परन्तु मूल प्रश्न यह है कि आज़ादी के बाद से अब तक लगभग 70 वर्षों के दौरान विभिन्न सरकारी योजनाओं को जातिवादी मानसिकता के तहत् काम करते हुये, किस प्रकार से केवल काग़ज़ी व दिखावटी बनाकर रखा गया है, यह देश व दुनिया से छिपा नहीं है। अगर इन योजनाओं को आधा-अधूरा भी अर्थात् लगभग 50 प्रतिशत भी अमल किया गया होता तो आज दलितों व आदिवासियों आदि की सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक हालत इतनी ज़्यादा ख़राब नहीं होती जितनी कि आज तक बनी हुई है और ना ही वे इतने कमज़ोर होते कि उनका लगातार अपमान करते रहने की किसी की हिम्मत होती।
उन्होंनें कहा कि दलितों, आदिवासियों आदि को सरकारी स्तर पर तत्काल लाभ पहुँचाकर आने वाली पीढ़ी को थोड़ा बेहतर बनाने की आवश्यकता है। इसी सोच के तहत् उत्तर प्रदेश में हमारी बी.एस.पी. की सरकार ने सरकारी स्तर पर ठेके दलितों व आदिवासियों को भी देने का काम किया। अगर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की नीयत साफ है तो उन्हें इसी प्रकार की नीति भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में तत्काल लागू करनेे की नीति अपनानी चाहिये, तभी उनका ‘‘स्टैण्ड अप इण्डिया कार्यक्रम‘‘ शायद ज़्यादा ठीक ढंग से काम कर पायेगी।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि कि़स्म-कि़स्म की योजनाओं की घोषणा करके समाज के ग़रीब व उपेक्षित वर्ग के लोगों को हसीन सपने दिखाने में कांग्रेस पार्टी को काफी महारत रही है और अब केन्द्र में भाजपा की सरकार भी उसी कांग्रेसी मानसिकता के तहत् काम करके लोगांे के साथ फरेब व धोखा करने का काम कर रही है, क्योंकि दोनों की ही मानसिकता लगभग एक जैसी ही ग़रीब, मज़दूर, किसान व दलित-विरोधी है। देश की जनता को भाजपा व कांग्रेस दोनों की ही ग़लत नीति व कार्यक्रमों एवं साथ ही उनकी लुभावनी घोषणाओं से सावधान रहने की सख़्त ज़रूरत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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