समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि भाजपा और बसपा दोनों में इन दिनों दलित प्रेम उमड़ने लगा है। लगता है पुराने भाई-बहन के रिश्ते को फिर निभाने का प्लान है। उत्तर प्रदेश में दोनो ही दलों को जनता ने तीसरे-चैथे स्थान पर रख रखा है। दोनांे में सत्ता की छटपटाहट साफ दिख रही है। इसलिए वे दिखावटी दलित प्रेम से अपनी राजनीतिक गोटियाँ लाल करने की साजिशें कर रहे हैं।
भाजपा और बसपा दोनो दलितों की विरोधी पार्टियाँ है लेकिन वे दलित प्रेमी होने का नाटक कर रही है। अभी भाजपा की ही एक महिला नेत्री ने अलीगढ़ में जाति संबन्धित जो बयान दिया उससे इस दल की दलितों के प्रति ओछी मानसिकता का अंदाजा होता है। वैसे भी भाजपा उच्चवर्णो की ही राजनीति करती आई है। उसे पूँजी घरानों की चिंता रहती है आम आदमी, गरीब, किसान, मजदूर की नही।
बसपा का हाल तो और भी बुरा है। अपने को दलित की बेटी बताने वाली बसपा प्रमुख जब मुख्यमंत्री बनी तो उनके दरवाजे दलितों के लिए पूरी तरह बंद थे। उनकी सरकार के समय दलित किशोरियों के अपहरण, बलात्कार और हत्या की घटनांए होती रही जिसमें बसपा के विधायक और मंत्री संलिप्त पाए गये। भाजपा की मदद से वे तीन बार मुख्यमंत्री बनी और इसका कर्ज उतारने के लिए वे स्वयं गुजरात में श्री मोदी के चुनाव प्रचार में गई थी।
भाजपा और बसपा दोनो वस्तुतः उत्तर प्रदेश में हो रहे विकास से चिंतित, हताश और निराश हैं। समाजवादी सरकार ने अपने चुनावी वादे चार साल में पूरे कर दिये जबकि भाजपा की केन्द्र सरकार ने दो साल में एक भी वादा नही निभाया है। उत्तर प्रदेश के प्रति उसका व्यवहार सौतेलेपन का है। बसपा तो लिखित में कोई चुनावी वादा ही नही करती है क्योंकि वह जनता के प्रति अपने को जवाबदेह नही मानती है। समाजवादी पार्टी और सरकार संप्रदाय-जाति की राजनीति करने वालों से हमेशा मोर्चा लिया है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को इसीलिए प्रदेश की जनता ने अपना भरपूर विश्वास दिया है। समाजवादी पार्टी को भरोसा है कि जनता भविष्य में भी सरकार और मुख्यमंत्री के प्रति अपना अटूट विश्वास बनाए रखेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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