राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत 28 मार्च को प्रातः 10 बजे ए.पी.सेन रोड पर स्थित नव निर्मित रज्जू भैय्या स्मृति भवन का लोकार्पण करेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक प्रो0 राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया के प्रयासों से 1948 में इस भवन का आवंटन हुआ था। तब से संघ कार्यालय के रूप में इसका उपयोग होने लगा। बाद में संघ के अनेक कार्यकर्ता और प्रचारक यहां आकर निवास करते थे। 1949 से रज्जू भैया के साथ पण्डित दीनदयाल उपाध्याय,नाना जी देशमुख, भाऊराव देवरस और अटल बिहारी बाजपेई ने इस भवन को केन्द्र मानकर संघ कार्य के माध्यम से राष्ट्र सेवा के कार्य में अपना योगदान किया। इसी स्थान पर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्रेष्ठ प्रचारकों के साथ लम्बे मंथन के बाद 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। लगातार दो महीने तक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस कार्यालय में ठहरे थे। भारतीय जनसंघ की प्रथम स्थापना बैठक भी इसी कार्यालय में हुई थी। 1979 तक यहां जनसंघ का प्रान्तीय कार्यालय रहा। सन 1967 में संविद सरकार बनने पर जनसंघ का प्रदेश कार्यालय विधानसभा मार्ग पर हुआ और यह जनसंघ का महानगर कार्यालय बना रहा। 1979 में यहां किसान संघ का कार्यालय स्थापित हो गया।
राष्ट्रधर्म और पांचजन्य का संपादन भी इसी भवन से शुरू हुआ था। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय यहीं पर कंपोजिंग करते थे और ट्रेडिंग मशीन से छापते थे। जनसंघ की स्थापना के बाद यह भवन जनसंघ कार्यालय के रूप में उपयोग होने लगा। इसके पहले इस भवन को संघ कार्यालय के रूप में जाना जाता था। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का केन्द्र दिल्ली होने तक इसी भवन में रहे। 1967 तक नानाजी देशमुख इसी भवन में रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जब 1957 में सांसद हुए तब तक इसी भवन में रहे। अभी तक अटल बिहारी बाजपेई लखनऊ में मतदाता इसी भवन के पते से हैं।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वर्तमान में संरक्षक ठाकुर संकटा प्रसाद सिंह के प्रयासों से इस भवन को 2008 में किसान संघ के नाम क्रय कर लिया गया। 2014 से इस भवन का निर्माण कार्य वीरेन्द्र सिंह की देखरेख में शुरू हुआ। 25 महीने के बाद आज यह आधुनिक सुविधाओं से युक्त तीन मंजिला भवन बनकर तैयार हो चुका है। इस भवन को अब रज्जू भैया स्मृति भवन के नाम से जाना जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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