मानवतावादी बी.एस.पी. मूवमेन्ट की प्रमुख, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने बामसेफ, डी.एस-4 व बी.एस.पी. के जन्मदाता व संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी के 82वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर आज पंजाब राज्य में उनके पैतृक गांव के नज़दीक नवाँशहर के नई दाना मण्डी में एक ’’विशाल महारैली’’ को सम्बोधित करने के लिये रवाना होने से पहले संसद के भीतर राज्यसभा में व संसद परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुये कहाकि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के रूके हुये कारवां को गति प्रदान करके उसे काफी आगे बढ़ाने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी को ‘‘भारत रत्न‘‘ की उपाधि से सम्मानित करने की जोरदार मांग की। उन्होंने, अन्य बातों के अलावा, कहा कि बाबा साहेब व मान्यवर श्री कांशीराम जी के करोड़ों अनुयाइयों का वोट लेने के लिये पहले कांग्रेस और अब भाजपा द्वारा हर प्रकार की तिकड़मे व जुगाड़ आदि किये जा रहे हैं, परन्तु उनको उचित सम्मान देने के मामले में लगातार जातिगत भेदभाव किया जा रहा है व उनके आदर्शों को कुचला जा रहा है। साथ ही उनके अनुयाइयों पर देशभर में जुल्म-ज्यादती भी लगातार बढ़ रही है।
इसके बाद पंजाब की महारैली में उपस्थित भारी भीड़ के सामनेे केन्द्र की भाजपा सरकार पर ख़ूब बरसते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि देश के सरकारी बैंकों में आमजनता की गाढ़ी कमाई की जमा राशि में से 9,000 (नौ हज़ार) करोड़ रूपये का ग़बन करने वाले बन्द पड़ी किंगफिशर एयरलाइन्स के मालिक विजय माल्या को सी.बी.आई. की निगरानी नोटिस के बावजूद घोटालेबाज़ ललित मोदी की तरह ही विदेश भाग जाने देना व दिल्ली में यमुना नदी के तट पर समुचित क़ानूनी अनुमति नहीं होने के बावजूद ‘‘विश्व सांस्कृतिक महोत्सव‘‘ के आयोजन में सरकारी मशीनरी व सैन्यकर्मियों तक को लगा देने से यह पूरी तरह से साबित हो जाता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र की एन.डी.ए. सरकार को लोकहित व जनहित की परवाह नहीं है बल्कि अपने ऐसे ’’परम भक्तों’’ के लिये सात ख़ून माफ किये हुये हैं।
जबकि ग़रीबों, किसानों व निम्न व मध्यम आय वर्ग के लोगों को मिलने वाली थोड़ी सरकारी सुविधाओं को भी बन्द करने की साजि़श लगातार जारी है। साथ ही, दलितों व पिछड़ों को मिलने वाली ’’आरक्षण की संवैधानिक सुविधा’’ को जानबूझ कर निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने का क्रम काफी पहले से ही, कांग्रेस पार्टी व भाजपा की आपसी मिलीभगत से जारी है। अर्थात् बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों को हर प्रकार की सरकारी छूट व सुविधा देने के साथ-साथ उनके जघन्य आर्थिक व पर्यावरणीय अपराधों को भी घोर अनदेखी व क़ानून को ताक पर रखकर उन्हें हर प्रकार का संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। कुल मिलाकर इस प्रकार के मामलों में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं और इनसे ‘‘अच्छे दिन‘‘ लाने की आशा करना निरर्थक ही नहीं बल्कि अत्यन्त ही दुःखदायी व दिन में सपने देखने जैसा है।
हर कुछ अन्तराल के बाद केन्द्र सरकार के एक के बाद एक निर्णय व कार्यशैली स्पष्ट तौर पर लोकहित व देशहित के खि़लाफ जाते हुये लग रहे हैं, जिसका ज़बर्दस्त तौर पर विरोध भी जारी है, परन्तु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हर बार पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार की गलतियों की आड़ में अपने आपको बचाने की बचकानी व नाकाम कोशिश करती रही है, क्योंकि कांग्रेस को तो उसकी ग़लती की भरपूर सज़ा जनता ने दे दी है और वे हुकूमत से बाहर हो चुके हैं।
ख़ासकर पंजाब राज्य में तो शिरोमणि अकाली दल व भाजपा की गठबन्धन सरकार का रवैया भी पूरी तरह से दलित व जन-विरोधी ही बना हुआ है, जिस कारण पंजाब पतन की ओर लगातार अग्रसर है। आने वाली नई पीढ़ी को बर्बाद होने से बचाने के लिये कुछ भी ठोस होता हुआ यहाँ नज़र नहीं आ रहा है, क्योंकि सरकार ऐसा चाहती ही नहीं है।
महारैली को अपने सम्बोधन में सुश्री मायावती जी ने कहा कि केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद देशभर में नई नस्ल के जवानों व युवाओं में नफरत व उग्रता आदि को प्रश्रय दिया जा रहा है और देश में पहली बार सरकार की ग़लत व संकीर्ण नीति व कार्यशैली का विरोध करने वाले देश की बहुसंख्यक जनसंख्या को ‘‘दुश्मन‘‘ की तरह मानकर उन्हें साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों प्रकार के हथकण्डों का इस्तेमाल करके उन्हें प्रताडि़त, अपमानित व ग़ैर-देशभक्त साबित करने का षड़यन्त्र रचा जा रहा है। भाजपा सरकार की इसी प्रकार के अहंकारी व्यवहार के कारण ही भाजपा व प्रतिपक्षी पार्टियों में किसी भी मामले में सामंजस्य ना होकर संसद तक में ज़बर्दस्त टकराव की स्थिति लगातार बनी हुई है।
केन्द्र की श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का आचार व व्यवहार पूर्ण रूप से अहंकारी व निरंकुशतावादी प्रतीत होता है, जो देश की जनता को पसन्द नहीं है। यही कारण है कि देश की आमजनता ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके सरकार को दो ख़ास मामले में झुकने व उसे अपना किसान-विरोधी व जन-विरोधी फैसला वापस लेने को मजबूर किया। अभी हाल ही में ई.पी.एफ. की निकासी पर भारी कर लगाकर वेतनभोगी वर्ग को प्रताडि़त करने का फैसला वैसा ही जन-विरोधी निर्णय था, जैसाकि किसानों की ज़मीन छीनने सम्बन्धी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश।
उन्होंने कहा कि पंजाब में आमचुनाव नज़दीक है, परन्तु केन्द्र की भाजपा सरकार से आगे भी काफी सतर्क रहने की ज़रूरत है क्योंकि जिस श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को 31 प्रतिशत लोगों ने बड़ी उम्मीदों से सत्ता पर बैठाया था उसकी जुल्म-ज़्यादती भरी नीति व कार्यशैली को झेलने के लिए अभी लगभग तीन वर्ष शेष बचे है।
बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने कहा कि देश की बहुसंख्यक जनसंख्या वाले समाज अर्थात ग़रीबों, दलितों, अन्य पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से ख़ासकर काफी बड़ी आबादी रखने वाले मुस्लिम समाज के लोगों को केन्द्र की भाजपा सरकार से अपने हित व कल्याण एवं सुरक्षा की उम्मीद ना तो पहले थी और ना ही आगे अपने भले की कोई उम्मीद वे इनसे करते है, परन्तु भाजपा सरकार के अहंकारी व्यवहार व इनकी ग़लत कार्यशैली से इस सरकार से इसके अपने वोट बैंक भी काफी नाराज़ नज़र आते हैं क्योंकि उनके हितों पर भी कुठाराघात लगातार जारी है। उनका कहना है कि पहले अपनी रोज़ी-रोटी, फिर पार्टी। इस कारण भाजपा की सरकारों का पतन निश्चित लगता है और यही आपके राज्य पंजाब में भी जल्द ही होने वाला है।
इतना ही नहीं बल्कि इन्हीं सब कारणों से भाजपा की हालत उत्तर प्रदेश में भी काफी ज्यादा ख़राब है। वहाँ उनके पास 80 में से 72 सांसद होने के बावजूद भाजपा हर चुनाव व उपचुनाव लगातार हारती जा रही है और उनका नेतृत्व बहुत कोशिशों के बावजूद भी वर्ष 2014 जैसा कोई चमत्कार नहीं कर पा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश में हुये पंचायत चुनाव आदि में हमारी पार्टी बी.एस.पी. को वहाँ के लोगों ने नम्बर-एक की पार्टी बनाकर उभारा है। साथ ही, वहाँ की जनता हमारी तरफ काफी आशा भरी नज़रों से देख रही है, क्योंकि हमारी पार्टी की सरकार ने उनके हित व कल्याण में अनेकों बड़े व ऐतिहासिक काम करके दिखायें हैं। उन्होंने पंजाब के लोगों से अपील की कि वे एक बार बी.एस.पी. को मौका देकर जरूर आजमायें।
सुश्री मायावती जी ने मान्यवर श्री कांशीराम जी को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुये कहा कि श्री कांशीराम जी ने देश के करोड़ों ग़रीबों, दलितों, पिछड़ों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, उपेक्षित व दबे-कुचले लोगों को आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ जीनेे का अधिकार दिलाने के मिशनरी लक्ष्य की प्राप्ति कर बाबा साहेब के सपनों का मानवतावादी भारत बनाने के लिये अनगिनत त्याग किये व कुर्बानियाँ दीं।
उन्होंनेे कहा कि केन्द्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने के लगभग दो वषों में ही देश में ‘‘सामाजिक न्याय, समता व सामाजिक सुरक्षा‘‘ का वातावरण काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संविधान में सुरक्षित की गयी इन गारण्टियों को लगातार निष्प्रभावी बनाने का काम कर रही है, जिस कारण ‘सबका विकास’ असम्भव होकर केवल एक नारा मात्र ही रह गया है जिसे भाजपा व इस पार्टी के सरकार के लोग केवल रटते रहते हैं।
ख़ासकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण व प्रमोशन में आरक्षण जैसी दशकों पुरानी व्यवस्थायें पहले कांग्रेस अब भाजपा की केन्द्र की सरकार की जातिवादी मानसिकता के कारण पूरी तरह से निष्प्रभावी होकर रह गयी हैं। इतना ही नहीं सरकारी नौकरियों में इन वर्गों के लोगों के साथ घोर भेदभाव करते हुये इनके ख़ाली पड़े हज़ारों पदों को भी नहीं भरा जा रहा है और अब केन्द्र सरकार की साजि़श है कि तमाम् बड़े सरकारी उपक्रमों, बैंकों आदि तक में सरकारी पूँजीनिवेश को घटाकर इतना कम कर दिया जाये कि इन क्षेत्रों में भी आरक्षण की व्यवस्था स्वतः समाप्त हो जाये।
साथ ही, श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने बड़ी सरकारी परियोजनाओं को निजी क्षेत्र के माध्यम से संचालित करने का जो ग़लत नीतिगत फैसला लिया है, उससे दलित व अन्य पिछड़े वर्गों का भारी नुक़सान हो रहा है क्योंकि उनके रोज़गार के अवसर और भी ज़्यादा घटते चले जा रहे हैं अर्थात् श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की ग़लत नीतियों के कारण कुछ मुट्ठी भर लोगों का ही विकास सम्भव हो रहा है और बाक़ी समस्त लोगों का धीरे-धीरे पतन। कुल मिलाकर श्री नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार का स्वभाव हमेशा की तरह जातिवादी होकर दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग-विरोधी बना हुआ साफ नज़र आता है। क्या यही भाजपा का अम्बेडकरवाद है।
इस अवसर पर बहुजन नायक मान्यवर श्री कांशीराम जी के बारे में उद्गार व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि मान्यवर श्री कांशीराम जी ने देश के करोड़ों ग़रीबों, दलितों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गाें को संगठित करके ’’सामाजिक परिवर्तन’’ के कारवाँ को ज़मीनी हक़ीकत में बदलने के लिये सब कुछ त्याग कर आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे। उन्होंने खासतौर से शोषितों और उपेक्षित वर्गाें में आत्म-सम्मान की अलख जगाकर इन्हें ‘’लेने वाले’’ समाज से ‘’देने वाले’’ समाज में तब्दील करने का युग-परिवर्तनीय काम किया और इस प्रकार उन्होंने एक सोती हुई क़ौम को जगाने में कामयाबी हासिल की।
मान्यवर श्री कांशीराम जी के करोड़ों अनुयाईयों का आह्वान करते हुये उनकी एक मात्र उत्तराधिकारी सुश्री मायावती जी ने कहा कि मान्यवर श्री कांशीराम जी के सपनों के अनुरूप जाति-विहीन ’’मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था’’ क़ायम करने के मिशनरी लक्ष्य की प्रप्ति के लिये लगातार संघर्ष करते रहने की जरूरत है, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सत्ता प्राप्त करके इस मिशनरी काम को काफी तेजी से प्राप्त किया जा सकता है, ऐसी सोच ही मान्यवर श्री कांशीराम जी की रही, जिसके तहत ही उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. की चार बार सरकार बनी और ‘‘सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति‘‘ के मिशनरी लक्ष्य की सही मायने में काफी हद तक प्राप्ति हुयी है, यह जग-ज़ाहिर है।
अपने देश में ’’सामाजिक परिवर्तन’’ के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले सन्तों, गुरुओं एवं महापुरुषों के त्याग, तपस्या व कठिन संघर्षो को स्मरण करते हुये माननीया सुश्री मायावती जी ने कहा कि इनमें से भी ख़ासकर महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, श्री नारायणा गुरू, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर तथा मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि को उन लोगों के आजीवन कठोर संघर्ष व अनेकों कुर्बानियों के लिये हमेशा ही आदर-सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा।
परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के निधन के बाद कमज़ोर पड़ गये “बहुजन मूवमेन्ट” को लक्ष्य तक पहुँचाने के लिये मान्यवर श्री कांशीराम जी ने अपनी वैज्ञानिक सोच और राजनीतिक सूझ-बूझ से ’’बहुजन समाज’’ के विभिन्न अंगों को संगठित किया और उन्हंे अपनी राजनीतिक ताक़त का अहसास कराया। मान्यवर श्री कांशीराम जी ने पूरे देश में रैलियाँ व सभायें करके दलितों व उपेक्षित वर्गों को ऐसी ताक़तवर आवाज़ दी, जिसने भारत के राजनैतिक परिदृश्य को बदलकर रख दिया और खासतौर से ’’दलित चेतना’’ को नई परिभाषा और नये आयाम देकर इसे नई बुलन्दियों तक पहुँचाया। उनके प्रयासों के कारण ही ख़ासकर उŸार प्रदेश में राजनीति के पुराने और शोषणकारी समीकरण बदलते चले गये हैं।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि मान्यवर श्री कांशीराम जी के नेतृत्व में बी.एस.पी. मूवमेन्ट के तहत किये गये प्रयासों के कारण ही देश में आबादी के लिहाज़ से सबसे बड़े राज्य उŸार प्रदेश में वर्ष 2007 में चैथी बार बी.एस.पी. अपने बूते पर पूर्ण बहुमत के साथ सŸाा में आयी। उनके नेतृत्व में उŸार प्रदेश की सरकार बाबा साहेब डा. अम्बेडकर और मान्यवर श्री कांशीराम जी के बताये हुये मार्ग पर चलकर, सामाजिक भाईचारे के आधार पर एक समतामूलक समाज की सही स्थापना करने का प्रयास किया। इस दौरान मान्यवर श्री कांशीराम जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिये राज्य की बी.एस.पी. सरकार ने कई महŸवपूर्ण कार्य किये गये। इसके तहत मान्यवर श्री कांशीराम जी की स्मृति में जनहित व जनकल्याण की अनेकों महत्वपूर्ण योजनायें संचालित की गयीं और विभिन्न संस्थानों एवं पुरस्कारों का नामकरण भी उनके नाम पर किया गया है, जिन्हंे उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार राजनीतिक द्वेष व दुर्भावना एवं जातिवादी मानसिकता के तहत काम करते हूये एक-एक करके बन्द करती जा रही है। इतना ही नहीं, कंाग्रेस, भाजपा व सपा की सरकारों द्वारा मान्यवर श्री कांशीराम जी का दिनांक 9 अक्टूबर सन् 2006 को देहान्त होने पर, इनके सम्मान में एक दिन का भी राष्ट्रीय व राजकीय शोक घोषित नहीं किया गया।
वैसे बी.एस.पी. की सरकार द्वारा इस महान शखि़्सयत मान्यवर श्री कांशीराम जी की याद में उत्तर प्रदेश में सभी जि़लों में “मान्यवर श्री कांशीराम जी शहरी ग़रीब आवास योजना” संचालित की गयी। लखनऊ में निर्मित भव्य मान्यवर श्री कांशीराम जी ग्रीन (इको) गार्डेन जनता को समर्पित किया गया है। साथ ही, लखनऊ में “मान्यवर श्री कांशीराम जी उर्दू-अरबी-फारसी विश्वविद्यालय” की स्थापना की गयी, जिसका नाम भी सपा सरकार ने द्वेष के कारण बदल दिया है। शहरों में दलित-बाहुल्य बस्तियों की ख़राब हालत में सुधार लाने व इन बस्तियों में अन्य बस्तियों की तरह सभी ज़रूरी बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये बी.एस.पी. सरकार द्वारा लगभग 2,000 करोड़ रुपये की लागत वाली अति महत्वाकांक्षी “मान्यवर श्री कांशीराम जी शहरी दलित बाहुल्य बस्ती समग्र विकास योजना” संचालित की गयी। लखनऊ में ’’मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक स्थल’’ तथा ’’मान्यवर श्री कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल’’ निर्मित किये गये एवं बौद्ध विहार शांति उपवन में मान्यवर श्री कांशीराम जी की प्रतिमा स्थापित की गयी।
इसके अलावा, मान्यवर श्री कांशीराम जी यू.पी. इन्स्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी, लखनऊ में मान्यवर श्री कांशीराम जी बहुविशेषज्ञीय अस्पताल एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी बाल चिकित्सालय की स्थापना का निर्णय लिया गया। मान्यवर श्री कांशीराम जी की स्मृति में लखनऊ में “बहुजन नायक पार्क” स्थापित किया गया और मान्यवर श्री कांशीराम जी के नाम पर जनपद कांशीराम नगर का गठन भी किया गया, जिसका नाम अब सपा सरकार द्वारा बदल कर कासगंज कर दिया गया है। साथ ही, सहारनपुर में मान्यवर श्री कांशीराम जी राजकीय मेडिकल काॅलेज की स्थापना, (जिसका भी नाम सपा सरकार द्वारा बदल दिया गया है) के अलावा, बाँदा में “मान्यवर श्री कांशीराम जी कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय” स्थापित किया गया।
साथ-ही-साथ, राज्य सरकार द्वारा मान्यवर श्री कांशीराम जी अन्तर्राष्ट्रीय खेल पुरस्कार, मान्यवर श्री कांशीराम जी कला सम्मान, मान्यवर श्री कांशीराम जी सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी पुरस्कार तथा मान्यवर श्री कांशीराम जी राज्य हथकरघा पुरस्कार की शुरुआत की गयी। लखनऊ में मान्यवर श्री कांशीराम जी पर्यटन प्रबन्ध संस्थान की स्थापना की गयी तथा मान्यवर श्री कांशीराम जी पर्यावरण भवन का निर्माण भी कराया गया। इसके अलावा, मान्यवर श्री कांशीराम जी के जन्मदिन 15 मार्च एवं उनके परिनिर्वाण दिवस 09 अक्टूबर को प्रदेश सरकार द्वारा सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया, जिसे भी उत्तर प्रदेश सपा सरकार ने समाप्त कर इस दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई को अपनी ’’उपलब्धियों’’ में शामिल कर लिया है।
इसके साथ ही, बहन मायावती जी ने पूरे देश में पार्टी के लोगों का दिली आभार प्रकट किया कि उन्होंने राज्य व जिला स्तर पर, अपने कार्यालयों आदि में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके बी.एस.पी. मूवमेन्ट के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी को श्रद्धा-सुमन अर्पित किया और उनके राजनीतिक मिशन को पूरा करने का संकल्प दोहराया। साथ ही, मान्यवर श्री कांशीराम जी के सिद्धान्त में आस्था रखने वाले खासतौर से उŸार प्रदेश के लाखों लोगों का भी माननीया बहन मायावती जी ने दिल से आभार प्रकट किया जिन्होंने लखनऊ में बी.एस.पी. सरकार द्वारा स्थापित भव्य मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक स्थल में भी काफी बड़ी संख्या में पहुँचकर उन्हें स्मरण किया और श्रद्धा-सुमन अर्पित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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