उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित प्रो0 वी0एस0 राम स्मृति व्याख्यान में सम्मिलित हुए। व्याख्यान का विषय था, ‘राजनीति समाज सेवा का सशक्त माध्यम है‘। राज्यपाल ने प्रो0 वी0एस0 राम की प्रतिमा एवं चित्र पर माल्यार्पण करके अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। प्रो0 वी0एस0 राम को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रो0 राम ने लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र विभाग की स्थापना की। प्रो0 राम उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहले मुंबई गये फिर बाद में उन्होंने विदेश में भी शिक्षा ग्रहण की। कार्यक्रम में कुलपति प्रो0 एस0बी0 निम्से, प्रो0 आर0के0 मिश्रा सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकगण व छात्र-छात्रायें उपस्थित थें।
राज्यपाल ने व्याख्यान के विषय पर बोलते हुए कहा कि राजनीति में प्रमाणिकता, पारदर्शिता एवं लगन के साथ काम करने की इच्छा हो तो कई प्रकार से सेवा के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। राजनीति में चुनाव लड़ना आवश्यक नहीं है, बल्कि चुनाव सेवा का एक माध्यम अवश्य है। महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने अपने विचारों से राजनीति की और यह बताया कि अन्याय के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तीनों में यह समानता है कि वे समाज की अंतिम पंक्ति में खडे़ लोगों के लिए राजनीति करते थे मगर कभी संसद या विधान सभा के सदस्य नहीं रहे।
श्री नाईक ने कहा कि जनतंत्र के माध्यम से देश की सेवा कैसे करें, यह विचार करने की बात है। समय के साथ राजनीति में आई कमियों को दूर करने की बात होनी चाहिए। सदनों में चर्चा का स्तर गिरा है तथा सदस्यों के व्यवहार में बदलाव आया है। धीरे-धीरे राजनीति व्यवसाय बन गया है। राजनीति का चित्र बदलना है तो बुद्धिमान एवं प्रतिभावान लोगों को आगे आना होगा। राजनीति में विपक्ष को कहने का अधिकार होना चाहिए और सरकार को अपना कार्य करने के लिए सहमति बनाते हुए विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है तथा राजनीति उसका महत्वपूर्ण अंग है।
राज्यपाल ने कहा कि राजनीति वास्तव में एक सामाजिक विज्ञान है। महर्षि दयानंद ने राजनीति को राजधर्म बताया था जिसका मतलब धर्म से नहीं बल्कि विधि के राज से था। लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, स्वातंन्न्यवीर सावरकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाष चन्द्र बोस आदि जैसे महान नेताओं ने स्वराज प्राप्ति के लिए राजनीति की। इन्हें कृतिशील विद्वान माना जाता था। उनका उद्देश्य देश को आजाद कराने के लिए राजनीति में आना था। उन्होंने कहा कि उस समय राजनीति एक ‘मिशन‘ के रूप में देखी जाती थी।
श्री नाईक ने बताया कि सेवा भाव हो तो चाहे विधानसभा हो या लोकसभा दोनों जगह सत्ता पक्ष और विपक्ष में रहते हुए समाज की सेवा की जा सकती है। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए बताया कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने 1992 में देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में वंदे मातरम् गाने की शुरूआत करायी जिससे पूरे देश के लोगों को प्रेरणा मिली। 1994 में बाम्बे, बम्बई से बदलकर मुंबई को उसका सही नाम दिलवाया। जिसके बाद कई शहरों के नाम बदले गये। उनके प्रयास से सांसद निधि की शुरूआत हुई। सत्ता में रहते हुए पेट्रोलियम मंत्री के रूप में महिलाओं के स्वास्थ को देखते हुए रसोई गैस की प्रतीक्षा सूची को समाप्त करते हुए चार करोड़ से अधिक नये कनेक्शन जारी करवाये तथा कारगिल की शहीदों के परिवारों को उनके निर्वहन के लिए पेट्रोल पम्प, गैस एजेन्सी वितरित की गयी। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का समाधान है कि राजनीति में रहते हुए वे देश के लिए कुछ कर सके।
राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सा, इंजीनियरिंग, शिक्षा के क्षेत्र के लोग भी राजनीति में आ सकते हैं। प्रतिभावान लोग राजनीति में आयेंगे तो राजनीति का चित्र बदलेगा। राजनीति में साफ-सुथरी छवि के लोग होंगे तो वर्तमान राजनीति के प्रति समाज की अवधारणा बदलेगी। अच्छे लोगों के आगे आने से राजनीति में अपराधीकरण पर भी रोक लगेगी। राजनीति में सभी भ्रष्ट नहीं होते। पारदर्शिता और प्रमाणिकता हो तो भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। विचारों के आदान-प्रदान में मर्यादा का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि छात्र अपनी पढ़ाई के साथ-साथ देश की सेवा करने का भी विचार करें।
कार्यक्रम में प्रो0 आर0के0 मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया तथा कुलपति प्रो0 एस0बी0 निम्से ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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