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राष्ट्रीय राजनैतिक परिदृश्य पर अमितोदय (विकास प्रीतम-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

Posted on 11 March 2016 by admin

भारतीय जनता पार्टी की कमान अब पुनः अमित शाह के हाथों में है। 24 जनवरी को भाजपा मुख्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव हेतु चली प्रक्रिया में अमित शाह का निर्वाचन निर्विरोध सम्पन्न हुआ। अभी तक पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के कार्यकाल की शेष अवधि की अध्यक्षता कर रहे अमित शाह अब भारतीय जनता पार्टी के पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे।
कुशाग्र बुद्धि और सांस्कृतिक अंतदृष्टि के धनी अमित शाह का राजनैतिक जीवन अथाह चुनौतियों और उसी अनुपात में सफलताओं की मिसाल है। जहाँ उन्होंने सफलताओं को कभी स्वयं पर हावी नहीं होने दिया वहीँ चुनौतियों के समक्ष खुद को सहज एवं सहर्ष प्रस्तुत किया ।
शतरंज के बेहतरीन खिलाड़ी अमित शाह का विश्लेषणात्मक तीव्रता में कोई सानी नहीं है। 1978 में मात्र 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में तरुण स्वयंसेवक के रूप में प्रशिक्षित होने वाले अमित शाह आज भी सार्वजनिक जीवन में कठोर अनुशासन, नैतिकता और शुचिता के सशक्त पैरोकार हैं।
बायोकेमिस्ट्री से बीएससी और गुजरात के एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखने वाले अमित शाह ने अपने पारिवारिक कारोबार के जरिये से आगे बढ़ने की बजाय जीवन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से राष्ट्र एवं समाज निर्माण के लिए समर्पित करने का रास्ता चुना।
वर्ष 1997 में सरखेज विधानसभा सीट से अपने चुनावी कैरियर का आगाज करने वाले अमित शाह इस सीट से लगातार चार बार रिकॉर्ड मतों से विजयी हुए। वर्ष 2012 में वे नरनपुरा विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए, जहाँ उन्होंने कुल मतों का लगभग 70 प्रतिशत मत प्राप्त कर जनता के मध्य अपनी पकड़ और लोकप्रियता को साबित किया।
18 महीने के अभी तक के कार्यकाल में अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने कल्पनातीत सफलताएं हासिल की हैं। जुलाई 2014 में अध्यक्ष पद का दायित्व सँभालने से पूर्व अमित शाह अपने संगठनात्मक कौशल एवं चुनावी प्रबन्धन का कमाल लोकसभा चुनावों में दिखा चुके थे, जहाँ उन्होंने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटें भाजपा की झोली में डालकर न केवल अपने समर्थकों बल्कि अपने विरोधियों को भी हतप्रभ कर दिया था।
सफलता का वही सिलसिला अमित शाह ने पार्टी की राष्ट्रीय कमान सँभालने के बाद भी जारी रखा। 2014 महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा और 122 सीटें जीतीं जबकि पिछली विधानसभा में पार्टी की महज 47 सीटें ही थीं। भाजपा ने जहाँ राज्य में शिवसेना के सहयोग से सरकार बनाया वहीँ महाराष्ट्र राज्य में पहली बार भाजपा का मुख्यमंत्री बना।
वहीँ हरियाणा में जहाँ पार्टी चुनावी मुकाबलों में तीसरे और चैथे नम्बर के लिए संघर्षरत रहती थी उसी राज्य में पार्टी ने 90 में से 47 सीटें जीत कर पूर्ण बहुमत हासिल किया और 10 साल से काबिज कांग्रेस सरकार को राज्य से बेदखल कर कमल पताका फहराई।
अमित शाह के ही अध्यक्षीय कार्यकाल में पार्टी झारखंड और जम्मू-कश्मीर राज्यों में विधानसभा चुनाव में उतरी और शानदार सफलताएँ अर्जित कीं। अपनी स्थापना के बाद से ही लगातार राजनैतिक अस्थिरता से जूझ रहे झारखंड में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया और पूर्वी भारत के इस राज्य को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की विकास यात्रा का सहयोगी बनाया।
जम्मू-कश्मीर की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों तक राजनैतिक विश्लेषक राज्य में भाजपा की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर रहे थे। ऐसे हालातों में भी पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। राज्य की कुल 87 विधानसभा सीटों में से 25 सीटें जीतकर राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा हासिल किया तथा पीडीपी के साथ मिलकर राज्य में राजनैतिक अनिश्चितता के कयासों को समाप्त कर लोकप्रिय सरकार का गठन किया।
इसके अतिरिक्त पार्टी ने सुदूर उत्तर में लद्धाख तो दक्षिण में केरल राज्य के स्थानीय निकाय के चुनावों में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया जो कि पार्टी की अखिल भारतीय स्तर पर बढ़ रही लोकप्रियता और स्वीकार्यता को दर्शाता है। यह चुनावी जीत महज साख या दम्भ के प्रदर्शन का मसला नहीं है बल्कि यह आम जन के मन में भाजपा के प्रति जो लगाव है, उम्मीद एवं आकांक्षाएं हैं उनको चुनावी जीत के माध्यम से साकार करने का प्रयास है। लोकतंत्र में जनभावनाएं सर्वोपरि हैं और भाजपा इस तथ्य को बखूबी समझती है, आत्मसात करती है।
अमित शाह ने पार्टी संगठन के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया। अधिक से अधिक लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए उन्होंने सदस्यता अभियान चलाया। इस सफलतम अभियान के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी ने अपने सदस्यों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की और आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक दल है।
सदस्यता अभियान के पश्चात उन्होंने महासम्पर्क अभियान की शुरुआत की जिसमें सदस्यता अभियान के माध्यम से जुड़े लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर पार्टी के द्वारा सम्पर्क साधा गया। सदस्यों को पार्टी की विचारधारा और सरकार की उपलब्धियों से सम्बंधित साहित्य व राष्ट्रीय अध्यक्ष का सन्देश दिया गया। जिला स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक का एक व्यापक डाटाबेस तैयार किया गया और सदस्यों की रूचि-अनुसार उन्हें विभिन्न सामाजिक विषयों व क्षेत्रों में पार्टी के विस्तार के लिए कार्य भी सौंपे गए।
महाप्रशिक्षण अभियान अमित शाह की एक और अध्यक्षीय पहल रही जिसके तहत देश भर में 15 लाख चुने हुए कार्यकर्ताओं को संगठन विस्तार के लिए तथा पार्टी की विचारधारा और देशहित के विभिन्न मुद्दों को जनता के समक्ष सशक्त रूप से रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
उन्होंने हर स्तर के पार्टी पदाधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं और आम लोगों से बिना किसी पूर्व निर्धारित समय के मिलने के लिए जन संवाद का आयोजन किया। जहाँ उन्होंने हर महीने के पहले और तीसरे सोमवार को पार्टी मुख्यालय में अपनी सहज उपलब्धता सुनिश्चित की।
अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी के विभिन्न विभागों की कार्ययोजनाओं का पुनर्गठन किया गया। विभिन्न स्तरों पर पार्टी कार्यक्रमों के सुचारु संचालन के लिए राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला स्तर पर विभिन्न विभागों एवं प्रकल्पों का पुनर्गठन करके उनके कार्यक्रमों का विस्तार किया। इस क्रम में पार्टी के विभिन्न विभागों को 19 विभागों में पुनर्गठित किया और 10 नए प्रकल्प बनाये गए। यह सभी प्रकल्प संगठन को मजबूत करने और सरकार की ध्वजवाहिनी योजनाओं को जन जन तक पहुँचाने का संकल्प लिए हुए हैं जिनमें प्रमुख हैं स्वच्छता अभियान प्रकल्प, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रकल्प, नमामि गंगे प्रकल्प, जिला कार्यालय निर्माण प्रकल्प एवं कार्यालय आधुनिकीकरण प्रकल्प।
यह सब अमित शाह के कुशल नेतृत्व, उनके मार्गदर्शन, दृढ़ निश्चय, दूर दृष्टि और पार्टी जनों के उन पर अटूट विश्वास से संभव हो सका । वे भाजपा परिवार के ऐसे मुखिया हैं, जो सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखते हैं। वे कार्यकर्ताओं को धैर्य से सुनते हैं तथा उनको प्रोत्साहित करते हैं कि पार्टी के हित में रचनात्मक सुझावों को बेझिझक उनके सामने रखें।
लेकिन हम यहाँ केवल सफलताओं का जिक्र करें तो यह भाजपा जैसे लोकतांत्रिक दल के लिए उचित नहीं होगा । दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों के परिणाम निश्चित तौर पर पार्टी के उम्मीदों के विपरीत थे। दिल्ली में जहाँ आम आदमी पार्टी ने नकारात्मक और विभाजनकारी राजनीति करके लोगों को भ्रमित किया, वहीं बिहार में राजद, जदयू और कांग्रेस ने आपस में मिलकर महज सत्ता हथियाने के लिए अपने सभी सिद्धांतों और विचारधारा को ताक पर रख दिया। चूँकि लोकतंत्र में संख्या बल महत्वपूर्ण होता है और इसलिए इस संख्या बल को हासिल करने के लिए बिहार के तीन ‘अनुत्तीर्ण छात्रों’ ने अपने-अपने अंक जोड़कर उत्तीर्ण होने का ठप्पा लगा लिया।
इन दोनों राज्यों में भाजपा अपने आधार मतों में बढ़ोतरी करते हुए भी सरकार न बना सकी यह विश्लेषण का विषय है, लेकिन जो दल और लोग आज दिल्ली एवं बिहार की सत्ताओं पर काबिज है उनकी राजनीति का हश्र आज पूरा देश देख रहा है वहीँ दिल्ली के लोग उस अंधेर नगरी को और बिहार के लोग जंगलराज को फिर से भुगतने के लिए विवश हैं।
अमित शाह की कमान में भाजपा का संगठन और मजबूत होगा, उसे निरंतरता हासिल होगी, सरकार एवं संगठन के
मध्य समन्वय बेहतर होगा। 2016 में पश्चिम बंगाल और असम सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होना है। पार्टी कैडर, कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भरपूर उत्साह है और पार्टी सभी चुनावी राज्यों में सफलता की ओर अग्रसर होगी।
भाजपा के लिए सत्ता सुख का नहीं अपितु जनहित, लोककल्याण और राष्ट्रवाद के पथ पर निरंतर आगे बढ़ने का माध्यम हैं जिसके लिए पार्टी सम्पूर्ण रूप से समर्पित हैं। (हिफी)

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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