समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बाद स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से विधान परिषद सदस्यों के चुनावों में समाजवादी पार्टी की भारी जीत से प्रदेश के विपक्षी दलों में घबराहट पैदा हो गई है। जनता के बीच समाजवादी सरकार की उपलब्धियों और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता के बढ़ते प्रभाव से उन विपक्षी दलों को खासतौर पर निराशा और हताशा हुई है जो सन् 2017 में होने वाले विधान सभा चुनावों को लेकर ख्याली मुगालते पाल रहे थे। उनको अब लगने लगा है कि सत्ता उनके लिए सचमुच बहुत दूर चली गई है।
बसपा अध्यक्ष को समाजवादी सरकार से खासतौर पर बहुत चिढ़ है क्योंकि प्रदेश के मतदाताओं ने उनकी पार्टी के काले कारनामों को देखते हुए सत्ता से बेदखल कर दिया था। उन्हें समाजवादी पार्टी की जीत से नाखुशी है और वे इन चुनावों के नतीजों पर वही आरोप लगा रही है जिनके सहारे वे खुद चुनाव जीतती थी। समाजवादी पार्टी की जीत पर सवाल उठाने से पहले उन्हें बताना चाहिए कि वर्ष 2010 के विधान परिषद चुनावों में उन्हें 32 सीटें कैसे मिल गई थी ?
भारतीय जनता पार्टी की दिक्कत यह है कि उसके नेता सपने तो हवा महल बनाने के देखते हैं लेकिन उसकी नींव में इंच भर जमीन नही दिखती है। उनके दावे बुलबुले की तरह फूट रहे हैं। भाजपा नेतृत्व को यह बात समझ लेनी चाहिए कि अब प्रदेश का मतदाता झूठे वादों की भूलभुलैया में भटकने वाला नही है। जहाँ तक कांग्रेस का सवाल है उसके पास अब खोने पाने का कोई मतलब नही है। उसका अस्तित्व बस नाम के लिए ही रह गया है।
उत्तर प्रदेश विकास की नई मंजिलों पर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव मानते हैं कि किसानों, नौजवानों को आगे रखकर आदर्श प्रदेश का निर्माण होना है। समाज के सभी वर्गो के कल्याण की योजनाओं को वे मूर्तरुप दे रहे हैं। जनता इसीलिए उन्हें अपने विश्वासमत दे रही है। बेहतर होता इन परिणामों से सबक लेकर विपक्षी दल नकारात्मक राजनीति छोड़कर सकारात्मक राजनीति का रास्ता अपनाते और प्रदेश की प्रगति में सहयोगी बनते।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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