राजभवन प्रांगण में दिनांक 27 एवं 28 फरवरी, 2016 को आयोजित होने वाली प्रादेशिक शाक-भाजी, फल एवं पुष्प प्रदर्शनी में धन्वन्तरि वाटिका राजभवन द्वारा आयुर्वेदीय औषधि पौधों एवं जड़ी-बूटियों का एक प्रदर्श लगाया जायेगा। धन्वन्तरि वाटिका द्वारा लगाये जाने वाले इस स्टाल से धन्वन्तरि वाटिका राजभवन द्वारा प्रकाशित ‘शतायु की ओर’ के 15वें अंक, ‘आयुर्वेद और स्वास्थ्य’ तथा ‘आयुर्वेदोऽमृतानाम्’ पत्रकों का निःशुल्क वितरण भी किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि राजभवन में औषधीय पौधों की एक वाटिका ‘धन्वन्तरि वाटिका’ स्थापित है, चिकित्साधिकारी (आयुर्वेद) एवं प्रभारी अधिकारी धन्वन्तरि वाटिका, आयुर्वेदाचार्य डा0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि इस वाटिका की स्थापना 24 फरवरी, 2001 को हुई जिसका उद्घाटन तत्कालीन राज्यपाल, श्री विष्णुकांत शास्त्री द्वारा कुछ औषधि पौधे रोपित कर किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदीय औषधि पौधों के ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है। उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में पुत्रजीवक, अकरकरा अन्तमूल, वंशलोचन, पुनर्नवा, अस्थिश्रृंखला, काकमाची, सैरेयक, घृतकुमारी, ब्राह्मी, अश्वगंधा, शतावरी, समी, वासा, कुटज, निर्गुन्डी, स्नुही, अर्जुन, हरीतकी तथा गुड़मार आदि 200 से अधिक दुर्लभ जड़ी-बूटियों एवं औषधि पौधों को प्रदर्शित किया जायेगा।
धन्वन्तरि वाटिका, राजभवन द्वारा प्रकाशित पत्रक ‘शतायु की ओर’ कें 15वें अंक के बारे में चिकित्साधिकारी (आयुर्वेद) एवं प्रभारी अधिकारी धन्वन्तरि वाटिका, डा0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि आज पूरे विश्व का जड़ी बूटी एवं आयुर्वेदिक औषधियों के प्रति आकर्षण बढ़ा है और उनकी गुणवत्ता पर लोगों का ध्यान पुनः आकृष्ट हुआ है। जड़ी बूटी की यह प्राकृतिक सम्पदा अपने देश में असीमित है जरूरत है इनकी पहचान, संकलन, संरक्षण एवं प्रवर्धन की। इसको ध्यान में रखते हुए ‘शतायु की ओर‘ पत्रक के इस 15वंे अंक में कुछ सर्वसुलभ महत्वपूर्ण औषधीय पौधों यथा तुलसी, नीम, गिलोय एवं हरसिंगार के गुण एवं उपयोगों के बारे में सारगर्भित जानकारी का उल्लेख किया गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com