उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने कहा है कि ग्रामवासियों को वनों के प्रबंधन में सहभागिता सुनिश्चित कराते हुये वनों पर आश्रित परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश के 14 जनपदों-झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, इलाहाबाद, मिर्जापुर, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, चन्दौली, पीलीभीत के 20 वन प्रभागों में घोषित 800 ग्राम वन गांवों में परियेाजना का क्रियान्वयन में और अधिक तेजी लायी जाये। उन्होंने कहा कि घोषित वन ग्रामों के 01 लाख 474 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लक्षित 60 हजार 300 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण के सापेक्ष 60 हजार 497 हेक्टयर भूमि पर वृक्षारोपण कराया जाना परियोजना की बेहतर उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि गठित ग्राम वन समिति अपने ग्राम के विकास हेतु माइक्रो-प्लान बनाकर उसका क्रियान्वयन प्राथमिकता से सुनिश्चित करने में विभाग को और अधिक सहयोग करने की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में उत्तर प्रदेश सहभागी वन प्रबन्ध एवं निर्धनता उन्मूलन परियोजना की प्राधिकृत समिति की 13वीं बैठक कर विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। परियेाजना द्वारा विन्ध्य एवं बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 110 वन ग्रामों में ए0आर0सी0डी0एम0 (।ििवतमेजंजपवद त्मवितमेजंजपवद ब्समंद क्मअमसवचउमदज डमबींदपेउ) परियोजना लागू की गई है, जिसके अन्तर्गत वृक्षारोपण के माध्यम से कार्बन क्रेडिट अर्जित किये जा सकते हैं तथा पूरे विश्व में विकसित देशों में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग इन ग्रामों में संरक्षित वृक्षारोपण से अर्जित कार्बन क्रेडिट क्रय कर सकते हंै। विश्व में अब तक 109 ए0आर0सी0डी0एम0 प्रोजेक्ट वैलिडेट हुये हैं जिनमें से 27 भारत के हैं तथा इनमें से 10 परियोजनाएं उत्तर प्रदेश की हैं। इन 109 परियेाजनाओं में से 58 परियेाजनाएं न्छथ्ब्ब्ब् की वेबसाइट पर पंजीकृत हो चुके हैं जिनमें से 11 भारत के हैं तथा उत्तर प्रदेश की 02 परियेाजनाएं हैं। शेष 08 परियेाजनाएं आगामी माह तक पंजीकृत हो जायेंगी तथा नियमित अनुश्रवण के उपरान्त इन वन ग्रामों द्वारा अर्जित कार्बन क्रेडिट के माध्यम से संयुक्त वन प्रबन्ध समिति को अतिरिक्त आर्थिक लाभ प्राप्त होने की सम्भावना है। इस प्रकार ए0आर0सी0डी0एम0 परियोजना से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश को अलग पहचान मिली हैै।
श्री रंजन ने बताया कि जापान इन्टरनेशनल को-आपरेशन एजेन्सी (जायका) द्वारा वित्त पोषित दस वर्षीय यह परियोजना प्रदेश में वर्ष 2008 में प्रारम्भ करायी गयी थी, जिसमें जायका द्वारा ऋण के माध्यम से 468.00 करोड़ रूपये की धनराशि न्यूनतम ब्याज 0.55 प्रतिशत की दर पर उपलब्ध करायी गयी थी। उन्होंने बताया कि ग्राम स्तर पर संयुक्त वन प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष ग्रामवासियों द्वारा चुने प्रतिनिधि के अलावा 08 अन्य पदाधिकारी, सदस्य सचिव के अलावा सभी उस गांव के निवासी होते हैं। ग्राम प्रधान इस समिति का संरक्षक होता है।
बैठक में बताया गया कि परियेाजना में 2680 स्वयं सहायता समूह बने हैं जिन्हें आजीविका हेतु ऋण उपलब्ध कराया गया है। यह समूह उन्नत, कृषि, मुर्गी पालन, बकरी पालन, सब्जी उत्पादन, पडि़या पालन, वर्मी कम्पोस्ट आदि कार्य कर रहे हैं तथा अपने पैरों पर खड़े होने लगे हैं।
मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश ने परियोजना की प्रगति पर सन्तोष व्यक्त करते हुए प्रदेश में क्लाइमेट चेंज सैल बनाने हेतु निर्देशित किया तथा राज्य की क्लाइमेट चेंज कार्ययेाजना बनाने का सुझाव दिया, जिसमें कृषि, पंचायती राज, वन एवं अन्य विभागों को सम्मिलित करने पर बल दिया। प्राधिकृत समिति ने परियोजना हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 हेतु 35.27 करोड़ रुपये बजट पारित किया।
बैठक में प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण श्री संजीव शरण, प्रमुख सचिव राजस्व श्री सुरेश चन्द्रा, प्रमुख वन संरक्षक श्री उमेन्द्र, प्रमुख वन संरक्षक एवं मुख्य परियेाजना निदेशक श्री श्रीकान्त उपाध्याय, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के प्रतिनिधि श्री डी0पी0 सिन्हा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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