इतने बडे़ देश में जब यूनिवर्सल हेल्थ की बात यदि सोची जाए तो आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धतियाँ ही है जो वाहक बन सकती हैं। चिकित्सा वहीं ठीक होती है जो जनसामान्य की पहुँच में हो। अब आयुर्वेद एवं यूनानी पद्धति को भी सत्य का सामना करना होगा और प्राचीन के साथ अर्वाचीन का समिश्रण आवश्यक है। हमारे प्राचीन मनीषीयों द्वारा भी प्रश्न करने एवं उसके उत्तर हेतु शास्त्रार्थ किया जाता रहा है। अतएव अब आयुर्वेद एवं यूनानी विधा के विकास के लिए आवश्यक है कि अनुसंधान पर विशेष ध्यान दिया जाए। ये विचार आज डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष विभाग, उत्तर प्रदेश शासन ने क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ के तत्वाधान में आयोजित आयुर्वेद एवं यूनानी विकास संगोष्ठी में व्यक्त किये। राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी औषधि निर्माणशाला, लखनऊ के सभागार में आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय ने श्री धन्वन्तरि का पूजन कर किया। उन्होंने कहा कि नई तकनीकें विकसित कर वर्तमान में उत्पन्न हो रहीं असाध्य बीमारियों को रोकने हेतु आयुर्वेद एवं यूनानी पद्धति के चिकित्सकों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि गीता में वर्णित ज्ञान योग, कर्म योग एवं भक्ति योग आज भी प्रासंगिक है। शास्त्रों में चिकित्सक को भिषक की संज्ञा दी गई है जिसके बारे में कहा गया है कि न तो मुझे राज्य की कामना है और न ही स्वर्ग की अभिलाषा है। दुख से संतृप्त लोगों के दुःख एवं कष्टों को दूर करता रहूँ यही मेरी कामना है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक संस्थानों से संबंध स्थापित कर प्रचार-प्रसार के माध्यम को अपना कर आगे बढ़ना होगा तथा जन सहभागिता की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि कहा गया है कि स्वर्ण को गोबर से भी निकाल लो।
आयुष मिशन के माध्यम से आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सालयों की स्थिति और भी सुदृढ़ की जायेगी। इस अवसर पर डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाले आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सकों को सम्मानित भी किया गया। चिकित्साधिकारी (आयुर्वेद) राजभवन/क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी, चिकित्साधिकारी डाॅ0 सीमा कुन्द्रा, डाॅ0 अरूण कुमार, डाॅ0 ए0ए0 हाशमी, डाॅ0 ए0 रहमान, डाॅ0 नीरज अग्रवाल, डाॅ0 तृप्ति आर0 सिंह, डाॅ0 पुष्पा श्रीवास्तव, डाॅ0 अरविन्द वर्मा, डाॅ0 बृजेश मिश्रा, डाॅ0 शीलेन्द्र सिंह एवं राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के रीडर डाॅ0 कमल सचदेवा आदि को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री आर0के0 सिंह, निदेशक आयुर्वेद सेवा प्रो0 सुरेश चन्द्र, निदेशक यूनानी सेवा प्रो0 सिकन्दर हयात सिद्दीकी, संयुक्त निदेशक आयुर्वेद श्री जे0एस0 मिश्रा, सीमैप के वैज्ञानिक सलाहकार डाॅ0 ए0के0 सिंह, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी के साथ जनपद लखनऊ के 50 से अधिक आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक उपस्थित थे।
संगोष्ठी में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी द्वारा जनपद लखनऊ में औषधीय पौधों के रोपण, सम्पन्न किये गये चिकित्सा शिविरों तथा किये गये विकास कार्यों की जानकारी प्रोजेक्टर द्वारा प्रदर्शित की गयी। उन्होंने वर्तमान में वनौैषधियों (जड़ी-बूटियों) की पहचान, संकलन, संरक्षण एवं प्रवर्धन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। वहीं सीमैप के वैज्ञानिक सलाहकार डाॅ0 ए0के0 सिंह द्वारा वनौषधियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ऊसर एवं बेकार पड़ी जमीन पर औषधीय पौधों के लगाने पर जोर दिया गया। उन्होंने सीमैप में किये जा रहे अश्वगंधा, सर्पगंधा, कालमेघ, शतावरी, सनाय, एलोवेरा, मेन्थाल, खस, सिट्रोनिला, लेमन ग्रास, तुलसी आदि औषधीय एवं संगध पौधों पर किये जा रहे शोध एवं खेती को प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग से समन्वय स्थापित कर औषधीय पौधों के अधिक से अधिक उत्पादन पर कार्य किया जायेगा।
इस अवसर पर निदेशक आयुर्वेद प्रो0 सुरेश चन्द्र एवं निदेशक यूनानी प्रो0 सिकन्दर हयात सिद्दीकी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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