समाजवादी पार्टी प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी सरकार विश्वविद्यालय, महाविद्यालय के शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर उनका उत्पीड़न कर रही है। उसने प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षकों तथा राज्यकर्मियों को 01 जनवरी,2006 से केन्द्र के बराबर छठा वेतनमान देना तय किया जबकि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय के शिक्षकों को 01 जनवरी,2006 से 30 नवम्बर,2008 तक काल्पनिक रूप में तथा 01 दिसम्बर,2008 से वास्तविक रूप में वेतन देने की घोषणा कर 35 महीनों के एरियर से वंचित कर उनके साथ अन्याय किया है। अपने हक की मांग करने से नाराज इस सरकार ने इन शिक्षकों की सेवाओं को आवश्यक सेवाएं घोषित कर उनके दमन का निरंकुश एवं तानाशाही रवैया अख्तयार किया हे।
इस बसपा सरकार ने बजट के करोड़ों रूपए पत्थरों, पाकोZ स्मारकों पर खर्च कर दिए हैं। अपनी प्रतिमाओं और कोठी की सुरक्षा में हर माह लाखों खर्च करने में मुख्यमन्त्री को कोई हिचक नहीं है। लेकिन शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मद में खर्च करने में उसको परेशानी होती है। जबकि इन शिक्षकों के एरियर का 80 प्रतिशत भुगतान केन्द्र सरकार करती है और राज्य सरकार को केवल 20 प्रतिशत ही देना होता हैं। इसके विपरीत अन्य सभी सेवाओं के कर्मियों व शिक्षकों को सम्पूर्ण भुगतान प्रदेश सरकार को ही करना होता हैं। प्रदेश में लगभग 30 प्रतिशत शिक्षकों के पद खाली है। अत: एरियर भुगतान में प्रदेश सरकार को ज्यादा कुछ देना नहीं पड़ेगा। जब मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमन्त्री थे उन्होने स्वयं शिक्षक होने के नाते शिक्षकों को पूरा सम्मान दिया और उनको उनके हक देने में पहल की थी। शिक्षा और शिक्षकों के मद में वे उदाहरण से बजट में धनराशि का प्रावधान करते थे। समाजवादी पार्टी बसपा सरकार की शिक्षक विरोधी नीति की निन्दा करती है और शिक्षकों को यह भरोसा दिलाती है कि अगली बार समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर शिक्षकों की सभी उचित मांगे मानी जाएगी तथा उनके अधिकार बहाल किए जाएगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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