मनसा पब्लिकेशन, लखनऊ द्वारा प्रकाशित समालोचनात्मक कृति ‘मानवता का महा काव्य‘ के लोकार्पण का आयोजन उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान के निराला सभागार, लखनऊ में किया गया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता माननीय श्री उदय प्रताप सिंह ने की। समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ0 उषा चैधरी उपस्थित थे।
वाणी वन्दना की प्रस्तुति सुश्री कनक वर्मा द्वारा की गयी। वाणी वन्दना के अनन्तर श्रीमती हेमलता शर्मा की समालोचनात्मक कृति ‘मानवता का महा काव्य‘ का लोकार्पण मा0 श्री उदय प्रताप सिंह जी एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।
कृतिकार श्रीमती हेमलता शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा - मेरी प्रथम पुस्तक मानवता का महा आख्यान साहित्य सागर में बूँद के समान है। ‘मम अरण्य‘ उपन्यास को पढ़कर मुझे जो आनन्द एवं श्रृद्धा की अनुभूति हुई उसको शब्दों में व्यक्त करना असम्भव था। ‘मम अरण्य‘ के अरण्य में विचरण करते हुए उसके सुगन्धित एवं उपयोगी पुष्पों को चयनित करके जो गुलदस्ता निर्मित हुआ व ‘मानवता का महा आख्यान‘ के रूप में आपके सामने है।
पुस्तक की चर्चा करते हुए श्री पद्मकान्त शर्मा ‘प्रभात‘ ने कहा - डाॅ0 सुधाकर अदीब का ‘मम अरण्य‘ उपन्यास स्वयं ही अद्वितीय कृति है। ‘मानवता का महा आख्यान‘ निश्चय ही एक पठनीय कृति है क्योंकि मम अरण्य के मर्म को इस कृति में संजोया गया है।
श्री दयानन्द पाण्डेय ने कहा - डाॅ0 सुधाकर अदीब तपस्वी साहित्यकार हैं उनके उपन्यास पर पुस्तक लिखने के लिए हेमलता शर्मा जी को बधाई। ‘मम अरण्य‘ में सब कुछ घटता हुआ दिखायी देता है जैसे कोई रील चल रही हो।
डाॅ0 विद्याबिन्दु सिंह ने कहा - कहते हैं पाठ और श्रोत्रा आज दुर्लभ हैं लेखक बहुत हैं। संवेदना के साथ हेमलता जी ने ‘मम अरण्य‘ का महा आख्यान रचा है। आज हर व्यक्ति अपने-अपने अरण्य में जी रहा है सबका अपना-अपना अरण्य रोदन है लेकिन ‘मम अरण्य‘ में यह रोदन नहीं है उसमें पुकार है सबको जोड़ने की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित डाॅ0 उषा चैधरी ने कहा - ‘मम अरण्य‘ की भाषा में पाठकों को काव्य का भी आनन्द आयेगा। यही आनन्द मानवता का महा आख्यान में भी मिलेगा ऐसा मेरा विश्वास है।
मुख्य अतिथि डाॅ0 सुधाकर अदीब ने उपन्यास ‘मम अरण्य‘ से कुछ अंशों का पाठ किया जिसे मंत्रमुग्ध होकर श्रोत्राओं द्वारा सुना गया।
अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए मा0 उदय प्रताप सिंह ने कहा - पहली कृति के लिए हेमलता शर्मा जी को बहुत-बहुत बधाई। ‘राम‘ के पात्र में रखकर पीढि़याँ अपने अनुसार रामकथा को गढ़ लेती हैं। यही रामकथा की महिमा है। देश काल के अनुसार पौराणिक प्रसंगों को संशोधित करने की आवश्यकता होनी चाहिए।
समारोह में श्री विपिन शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
समारोह का संचालन डाॅ0 अमिता दुबे, प्रकाशन अधिकारी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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