आकस्मिकता की स्थिति में पुलिस सेवा हेतु प्रदेश सरकार की अतिमहत्वपूर्ण
‘‘प्रदेश स्तरीय पुलिस इमरजेन्सी प्रबन्धन प्रणाली (पीईएमएस) डायल 100 परियोजना’’ यह देश का ही नहीं, अपितु दुनिया का होगा, बड़ा अत्याधुनिक नेटवर्क
भवन का शिलान्यास 19 दिसम्बर 2015 को और परियोजना का शुभारम्भ अगले वर्ष
प्रदेश की वर्तमान सरकार जनशक्ति, संसाधन और विशेष प्रशिक्षण के जरिये पुलिस की कार्यशैली में बदलाव लाने के साथ-साथ आम जनता को किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में त्वरित सहायता न्यूनतम समय में उपलब्ध कराने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है। इसके लिये ‘‘प्रदेश स्तरीय पुलिस इमरजेन्सी प्रबन्धन प्रणाली (पीईएमएस) डायल 100 परियोजना’’ लागू की जा रही है। परियोजना की कुल लागत 2325.33 करोड़ रूपये है, जिसके लिये लखनऊ में एक ‘‘केन्द्रीय मास्टर को-आर्डिनेशन सेन्टर’’ स्थापित किया जायेगा।
इस परियोजना के अंर्तगत किसी आकस्मिक स्थिति में प्रदेश के किसी भी स्थान से टेलीफोन, एसएमएस तथा अन्य किसी संचार माध्यम से ‘‘राज्य व्यापी डायल 100 परियोजना’’ के केन्द्र से संपर्क करने वाले नागरिकों को तत्काल पुलिस सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। यह केन्द्र चैबीसो घण्टे कार्यरत रहेगा तथा केन्द्र को प्राप्त होने वाले सभी टेलीफोन वार्तालापों की रिकार्डिंग होगी। पीडि़त व्यक्ति की मदद के उपरांत केन्द्र द्वारा पीडि़त व्यक्ति से प्रतिक्रिया प्राप्त कर उसके संतुष्ट होने के उपरांत ही प्रकरण को बंद किया जायेगा।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में परियोजना के लिये लखनऊ विकास प्राधिकरण से शहीद पथ के निकट गोमतीनगर विस्तार (प्लाट संख्या 7/13) में शासन द्वारा 8 एकड़ भूमि क्रय की गयी है जिस पर इस वृहद एवं अत्याधुनिक केन्द्र की स्थापना की जायेगी। राज्य सरकार की इस अति महत्वपूर्ण परियोजना के लिए निर्मित होने वाले भवन का शिलान्यास 19 दिसम्बर, 2015 को मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा किया जायेगा। इस प्रस्तावित भवन का निर्माण करने के लिए राजकीय निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है।
इस परियोजना के अंतर्गत स्थल सेवाएं प्रदान करने के लिये प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कुल 3200 चार पहिया वाहन एवं 1600 दो पहिया वाहन पुलिस पेट्रोल वाहन के रूप में व्यवस्थापित किये जाएंगे। सभी वाहनों में अत्याधुनिक उपकरण लगाये जाएंगे तथा उसके जीपीएस उपकरण के माध्यम से प्रत्येक वाहन की भौगोलिक स्थिति की जानकारी मुख्य केन्द्र को प्राप्त होती रहेगी। किसी भी आकस्मिकता की सूचना प्राप्त होने पर केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष द्वारा सबसे पास उपलब्ध वाहन घटना स्थल पर भेजे जायेंगे। यह वाहन तत्काल घटना स्थल पहुंचकर नागरिकों को आकस्मिक सहायता उपलब्ध करायेंगे तथा स्थानीय पुलिस के आगमन पर प्रकरण उसके हवाले करेंगे। साथ ही यह वाहन स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अपने लिए निर्धारित मार्ग पर पेट्रोलिग भी करेंगे।
लखनऊ में स्थापित किये जा रहे मुख्य डायल 100 केन्द्र की तरह जनपद आगरा तथा वाराणसी में दो केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। यह उपकेन्द्र मुख्य केन्द्र के वैकल्पिक प्रतिबिम्ब के रूप में कार्य करेंगे। लखनऊ के मुख्य केन्द्र में की जाने वाली समस्त कार्यवाही इन केन्द्रों से भी स्वतंत्र रूप से की जा सकेगी। प्रत्येक केन्द्र की क्षमता मुख्य केन्द्र की क्षमता की 15 प्रतिशत होगी। लखनऊ केन्द्र की सेवाओं में किसी तरह के व्यवधान होने की स्थिति में यह केन्द्र स्वतः कार्य करेंगे। यह केन्द्र भी मुख्य केन्द्र की भांति लगातार चैबीस घण्टे कार्यरत रहेंगे।
इस परियोजना के माध्यम से पुलिस बल के रिस्पांस टाइम को न्यूनतम करने का प्रयास किया गया है। परियोजना के शुरूआती दौर में रिस्पांस टाइम शहरी क्षेत्रों में दो पहिया वाहन हेतु लगभग 10 मिनट एवं चार पहिया वाहन हेतु लगभग 15 मिनट निर्धारित किया गया है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों हेतु रिस्पांस टाइम चार पहिया वाहन हेतु लगभग 20 मिनट का लक्ष्य रखा गया है।
उम्मीद है कि आने वाले छह माह के भीतर उत्तर प्रदेश पुलिस का नया चेहरा जनता के समक्ष आयेगा, क्योंकि तब तक प्रदेश सरकार की अति महत्वपूर्ण ‘केन्द्रीयकृत डायल 100 परियोजना’’ शुरू हो जायेगी। इस परियोजना का उद्देश्य प्रदेश में कहीं भी किसी भी समय सभी व्यक्तियों जिसमें विकलांगजन भी शामिल हैं, की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिये त्वरित एकीकृत आपातकालीन सेवाएं प्रदान किया जाना है।
यह देश ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा और आधुनिक नेटवर्क होगा। जनसुरक्षा की दृष्टि से संचालित अन्य सेवाये जैसे फायर सर्विस, राजमार्ग पुलिस, एकीकृत यातायात प्रबन्ध, स्मार्ट सिटी सर्विलांस, वूमेन पावर लाइन, स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बन्धित सेवा आदि को भी निकट भविष्य में इसी केन्द्र से एकीकृत किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा 4 जिलों कानपुर नगर, लखनऊ, इलाहाबाद व गाजियाबाद में अति महत्वपर्ण आधुनिक पुलिस नियंत्रण कक्ष की स्थापना आकस्मिकता की स्थिति में नागरिकों को त्वरित पुलिस सहायता प्रदान करने हेतु की गई थी जिसकी सफलता को देखते हुए पूरे राज्य के लिए एकीकृत व्यवस्था की आवश्यकता को दृष्टिगत रख कर यह प्रदेशव्यापी योजना बनाई गई ताकि नगरीय क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को भी इन सुविधाओं का लाभ दिया जा सके।
प्रमुख सचिव गृह श्री देबाशीष पण्डा, अपर पुलिस महानिदेशक यातायात श्री अनिल अग्रवाल आदि वरिष्ठ अधिकारियों की इस योजना के निर्माण व सफल क्रियान्वयन मे अहम भूमिका रही है। साथ ही साथ एम्बुलेन्स सेवा के सफल क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गृह विभाग के सलाहकार श्री वंेकट चंगावल्ली का भी इस योजना मे विशेष योगदान रहा है।
अमेरिका में चल रही डायल 911 सेवा की तर्ज पर प्रदेश में शुरू होने वाली यह परियोजना गेम चेंजर होगी। प्रदेश सरकार का प्रयास है कि जिस दिन डायल 100 परियोजना प्रभावी हो, उसी दिन ही कई अन्य परियोजनाएं यथा प्रदेश के 10 शहरों में ‘‘इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम’’ और ‘‘स्मार्ट सिटी सर्विलांस परियोजना’’ लागू हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश पुलिस राज्य व्यापी डायल-100 परियोजना का नियंत्रण सुव्यवस्थित, समन्वित एवं निर्बाध ढंग से संचालित करने हेतु एक अलग इकाई का गठन किया जायेगा, जिसमें पुलिस अधिकारियों तथा आउटसोर्सिंग के आधार पर व्यावसायिक रूप से दक्ष व्यक्तियों की नियुक्ति की जायेगी। इस केन्द्र में एक ‘‘वृहद कौशल विकास एवं प्रक्रिया प्रशिक्षण केन्द्र’’ होगा जो सभी श्रेणियों के कर्मियों के प्रशिक्षण की सम्यक व्यवस्था करेगा। इसके अन्र्तगत कान्टेक्ट सेन्टर में कार्यरत कर्मचारियों, विभिन्न पेट्रोल वाहनों पर नियुक्त होने वाले सभी पुलिस कर्मियों एवं प्रदेश के सभी थानों में नियुक्त प्रभारी निरीक्षक थानाध्यक्ष तथा चिन्हित पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है।
इस पूरी योजना को दीर्घकालीन व्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए न सिर्फ केन्द्र में कार्य करने वाले कर्मचारियों का प्रशिक्षण आवश्यक होगा, बल्कि इस पूरे केन्द्र को प्रभावी एवं दक्ष नेतृत्व की आवश्यकता होगी। प्रभावी नेतृत्व के बिना इस योजना की सेवाओं की गुणवत्ता को लम्बे समय तक बनाये रखना सम्भव नहीं होगा। इस दृष्टिकोण से इस केन्द्र में एक ‘‘नेतृत्व विकास संस्थान’’ की स्थापना की जायेगी जो जन सुरक्षा की आपातकालीन सेवाओं के सम्पादन में प्रदेश के सभी स्तर के पुलिस अधिकारियों के सतत प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगा।
इस वृहद काल सेन्टर पर संकलित होने वाले बड़ी संख्या में आकड़ो के विश्लेषण तथा अनुसंधान के लिये एक ‘‘विशिष्ट विश्लेषण एवं अनुसंधान केन्द्र’’ की स्थापना की जायेगी। इस केन्द्र द्वारा न केवल प्रवर्तन एवं अन्वेषण बल्कि अग्रसक्रिय प्रवर्तन की व्यवस्था की जायेगी ताकि नागरिकों को उच्च कोटि की सेवाएं दी जा सके। साथ ही परियोजना के वृहद स्वरूप एवं उपयोगिता को दृष्टिगत रखते हुये इसके लिए समर्पित ‘‘डाटा सेन्टर’’ भी रखा जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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