बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविद का गुरूवार को साहित्य परिषद द्वारा राजधानी लखनऊ के जयशंकर प्रसाद सभागार में अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की विभिन्न संस्थाओं की ओर से बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविद का अंग वस्त्र, श्रीफल व फूल मालाओं से भव्य स्वागत व अभिनन्दन किया गया। स्वागत से अभिभूत होकर रामनाथ कोविद ने कहा कि बिहार के राजभवन के सुख से अधिक सुख की अनुभूति आज अपने लोगों से मिलकर हुई है।
उन्होंने कहा कि एक साजिश के तहत बिहार की छवि को पूरे देश में गलत ढंग से पेश किया गया। इसके पीछे कुछ लोगों का निहित स्वार्थ था लेकिन अब बिहार बदल रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही परिपुष्ट राज्य है। सीता माता, भगवान बुद्ध,महावीर, खगोल विद्या के महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट व सम्राट अशोक वहीं पैदा हुए।
उन्होंने कहा कि विश्व के लोकतंत्र की जननी है बिहार। लिच्छवी साम्राज्य में प्रचलित लोकतंत्र को दुनिया के देशों ने अपनाया। चन्द्रगुप्त के कार्यकाल में उनके महामंत्री आचार्य चाणक्य की राष्ट्रनिष्ठा, प्रतिष्ठा समर्पण की भावना अद्वितीय थी।
रामनाथ कोविद ने कहा कि आपातकाल के कालखण्ड में भी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के रूप में भी देश को नेतृत्व देने का काम बिहार ने किया था। वहीं प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से भी बिहार संपन्न है। वहां की कोसी व गंडक नदियों में वर्ष पर्यन्त पानी रहता है। इन सब विविधताओं के बावजूद जहां पर नालन्दा व तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे। जहां पर पूरे विश्व के लोग पढ़ने आते थे। उस राज्य की छवि को नकारात्मक ढ़ंग से पेश किया गया। नकारात्मक छवि के पीछे 35 वर्षों का इतिहास है।
कार्यक्रम में बोलते हुए भाजपा विधान परिषद दल के नेता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि हम शब्दों व उपलब्ध उपकरणों से रामनाथ कोविद का स्वागत नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि असाधारण होकर साधारण बने रहना रामनाथ कोविद की विशेषता है।
लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टण्डन ने कहा कि स्वागत भावना प्रधान होता है। इसकी कोई सीमा नहीं होती है। जब हर प्रकार से हृदय भर जाता है मालाएं और शब्द काम नहीं आता।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश साहित्य परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डा. सुशील चन्द्र त्रिवेदी ‘मधुमेश’ नागरिक परिषद के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री, संघ के विभाग कार्यवाह प्रशान्त भाटिया,कवि कमलेश मृदु,पूर्व विधान परिषद सदस्य राम नरेश रावत,भाजपा नेता विन्ध्यवासिनी कुमार व पदमकान्त शर्मा प्रभात समेत साहित्यकार उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश महामंत्री व राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के प्रबन्धक पवनपुत्र बादल ने की।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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