राज्य सरकार ने शहरीकरण की समस्याओं के निराकरण एवं नगरों को स्वच्छ एवं सुरक्षित बनाने के लिए अपने सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करते हुए कम से कम समय मंे शहरों के स्वरूप में अधिक से अधिक सुधार के मद्देनजर प्रदेश में ‘माॅडल सिटीज’ के विकास हेतु एक कार्य योजना तैयार की है। प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्त तथा जिलाधिकारियों को इस सम्बन्ध में शासन द्वारा आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी आज यहां देते हुए बताया कि बढ़ते शहरीकरण की समस्याओं पर अंकुश लगाने के लिए व्यापक विचार-विमर्श करके ‘माॅडल सिटीज’ कार्य योजना तैयार की गई है। इस कार्य योजना की आवश्यकता एवं उद्देश्य, योजना के कम्पोनेन्ट्स, वित्त पोषण एवं क्रियान्वयन तथा नियमित माॅनीटरिंग के सम्बन्ध में भी उत्तरदायित्व एवं व्यवस्था तय कर दी गई है।
प्रवक्ता ने माॅडल सिटीज कार्य योजना के उद्देश्य एवं आवश्यकता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि शहरीकरण के फलस्वरूप प्रदेश के सामने अतिक्रमण, अनाधिकृत कालोनियांे एवं मलिन बस्तियों में वृद्धि, मौलिक सुविधाओं का अभाव, टैªफिक कन्जेशन, अव्यवस्थित शहरी विस्तार, अफोर्डेबल हाउसिंग का अभाव, अस्वच्छता तथा पर्यावरण सम्बन्धी चुनौतियां पैदा हो रही हैं। यह चुनौतियां शहरी नागरिकों के जीवन को प्रभावित करने के साथ ही सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रभावित कर रही हैं। इसलिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु शहरों को स्वच्छ, सुरक्षित तथा सस्टेनेबल बनाना जरूरी है। इसके लिए स्वदेशीय एप्रोच अपनाए जाने की आवश्यकता है।
प्रवक्ता ने बताया कि अभिकरणों के पास संसाधन सीमित होने के कारण एक ऐसी कार्य नीति की आवश्यकता है, जिसके क्रियान्वयन में कम से कम संसाधनों का उपयोग करते हुए न्यूनतम समय में शहरों के स्वरूप में अधिक से अधिक सुधार लाया जा सके। इसी क्रम में प्रदेश के ऐतिहासिक, सामाजिक-सांस्कृतिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों को माॅडल सिटीज के रूप में विकसित करने के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। इस कार्य योजना तहत चयनित शहरों के लिए अल्पकालीन कार्य योजनाएं तैयार कर कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से क्रियान्वित की जाएगी। शहरों का चयन मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि माॅडल सिटीज कार्य योजना के क्रियान्वयन हेतु आवास एवं शहरी नियोजन विभाग नोडल विभाग होगा, जो विभिन्न संस्थाओं एवं अभिकरणों के माध्यम से योजना को अमल में लाएगा। इस योजना के विभिन्न कम्पोनेन्ट्स के क्रियान्वयन हेतु वित्त पोषण के लिए विकास प्राधिकरण आवास एवं विकास परिषद, आवास एवं शहरी नियोजन, परिवहन विभाग, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0, ऊर्जा विभाग, चिकित्सा विभाग, बेसिक/माध्यमिक शिक्षा, नगर विकास, स्थानीय विकास, जिलाधिकारी आदि उत्तरदायी होंगे। चयनित शहरों में इस योजना का क्रियान्वयन दो वर्षाें (2015-16 एवं 2016-17) की अवधि में सुनिश्चित किया जाएगा। इस कार्य योजना के क्रियान्वयन में निजी क्षेत्र का भी सक्रिय सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि कार्य योजना की डी0पी0आर0 के अनुमोदन एवं क्रियान्वयन में समन्वय तथा स्थानीय स्तर पर प्रगति के अनुश्रवण हेतु मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में एक 13 सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जिसके अध्यक्ष सम्बन्धित मण्डलायुक्त तथा मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक के प्रतिनिधि सदस्य संयोजक होंगे। राज्य स्तर पर अनुश्रवण हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक 11 सदस्यीय अन्तर्विभागीय समिति का गठन किया जाएगा। जिसमें अन्य सदस्यों के अलावा मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक सदस्य एवं संयोजक होंगे।
कार्य योजना के विभिन्न कम्पोनेन्ट्स के बारे में जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि योजना के तहत यातायात एवं परिवहन व्यवस्था में सुधार, अवस्थापना सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण, शैक्षिक एवं चिकित्सा सुविधाओं में सुधार, पर्यावरण संरक्षण, हेरिटेज स्थलों का सुधार एवं संरक्षण, अफोर्डेबल हाउसिंग की आपूर्ति, जनसमस्याओं की सुनवाई एवं निस्तारण, जनसुरक्षा एवं जागरूकता अभियान शामिल हैं।
यातायात एवं परिवहन व्यवस्था में सुधार के अन्तर्गत शहर की मुख्य सड़कों को अतिक्रमण मुक्त तथा जरूरत के मुताबिक उनका चैड़ीकरण किया जाएगा। पैदल यात्रियों को तीव्रगामी टैªफिक से अलग करने हेतु फुटपाथ का निर्माण एवं पैदल चलने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा यात्रियों के लिए सुरक्षित एवं सुविधाजनक वातावरण का सृजन भी किया जाएगा। पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए फुटओवर ब्रिज/अण्डरपास का निर्माण तथा खतरनाक मोड़ों/कर्व पर गार्डरेल की व्यवस्था की जाएगी। साइकिल चालकों के सुरक्षित आवागमन हेतु साइकिल टैªक का निर्माण तथा सड़क सुरक्षा हेतु साइकिल को ट्रांसपोर्ट मोड के रूप में प्रोत्साहित किया जाएगा। शहर के मुख्य चैराहों का सुधार तथा आवश्यकतानुसार रोटरी, टैªफिक आईलैण्ड/सेन्ट्रल वर्ज अथवा स्पीड ब्रेकर आदि का निर्माण भी सुधार कार्याें में शामिल है।
शहरों के महत्वपूर्ण स्थानों, कार्य केन्द्रों के नजदीक बस-स्टाप की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। आन्तरिक सड़कों एवं अन्य प्रतिबन्धित स्थानों पर अनाधिकृत पार्किंग पर नियंत्रण तथा उपयुक्त स्थलों पर पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। टैªफिक कन्जेशन कम करने हेतु ‘नान व्हीकलर स्ट्रीट्स/जोन्स’ का चिन्हीकरण तथा ‘वेंडिंग जोन्स’ का चिन्हीकरण सड़कों, पार्काें, अन्य सार्वजनिक स्थलों से वेंडर्स को चिन्हित जोन्स में स्थानान्तरित किया जाएगा। इसके अलावा शारीरिक रूप से अशक्त व्यक्तियों की सुविधा एवं सुरक्षा हेतु पार्किंग व्यवस्था, रैम्प, फुटपाथ तथा जनसुविधाओं का प्राविधान सुनिश्चित किया जाएगा। टैªफिक मैनेजमेन्ट के अन्तर्गत ‘वन-वे स्ट्रीट’ घोषित करना, पार्किंग प्रबन्धन, टैªफिक सिग्नल्स की व्यवस्था के साथ ही बस कनेक्टिविटी में सुधार की योजना बनायी जाएगी।
शहरीकरण के फलस्वरूप अवस्थापना सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण एवं सुधार के बारे में प्रवक्ता ने बताया कि ड्रेनेज व्यवस्था में सुधार हेतु नालों-नालियों की सफाई, सड़कों पर पाट’होल्स की मरम्मत एवं जल भराव वाले क्षेत्रों का सुधार तथा सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था करने के साथ अण्डर ग्राउण्ड केबलिंग की जाएगी। कूड़े के एकत्रीकरण हेतु उपयुक्त स्थानों पर डस्टबिन्स स्थापित की जाएगी। साथ ही, कूड़े का सेग्रीगेशन, एकत्रीकरण, स्थानान्तरण एवं रिसाइक्लिंग/शहर के बाहर निस्तारण की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा विद्युत लाइनों एवं विद्युत पोल्स के एलाइनमेन्ट को व्यवस्थित किया जाएगा। महत्वपूर्ण सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था हेतु सोलर स्ट्रीट लाइटिंग एवं एल0ई0डी0 के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। सार्वजनिक स्थलों पर जन सुविधाओं जैसे शौचालय, डस्टबिन, बैठने हेतु बेंच, पेयजल व्यवस्था आदि का प्राविधान किया जाएगा। इसके अलावा शहर के महत्वपूर्ण स्थानों पर ‘वाई-फाई’ कनेक्टिविटी की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि शहरीकरण की चुनौतियांे को देखते हुए शैक्षिक एवं चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए शिक्षण संस्थाओं जैसे नर्सरी, प्राइमरी एवं अन्य उच्चतर विद्यालयों का जीर्णाेद्धार के साथ ही, चिकित्सा सुविधाओं (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, डिस्पेन्सरी, अस्पताल आदि) सेवाओं में सुधार एवं संवर्धन किया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार के लिए शहर के अन्दर खाली एवं अप्रयुक्त जमीनों पर पार्क तथा ग्रीन बेल्ट/सिटी फाॅरेस्ट का विकास किया जाएगा। पार्क एवं हरित क्षेत्रों का सुधार के साथ ही सौन्दर्यीकरण एवं वृक्षारोपण के साथ ही वाटरबाॅडीज, तालाब पोखर आदि का संरक्षण एवं सुधार किया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण हेतु बैट्री चालित रिक्शा, टैम्पो तथा आॅटो को प्रोत्साहित किया जाएगा। रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तथा जल की रिसाइक्लिंग की भी व्यवस्था की जाएगी।
प्रवक्ता ने माॅडल सिटीज कार्य योजना के तहत हेरिटेज स्थलों का सुधार एवं संरक्षण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शहर के ऐतिहासिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों के आस-पास अतिक्रमण निवारण, सफाई, सौन्दर्यीकरण, पार्किंग व्यवस्था तथा जन सुविधाओं का प्राविधान किया जाएगा। स्थानीय कला एवं संस्कृति का संरक्षण एवं प्रोत्साहन जैसे (पाॅटरीज, कांच उद्योग, कालीन बुनाई, हैण्डलूम, इत्र उद्योग) आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। अफोर्डेबल हाउसिंग की आपूर्ति हेतु राज्य सरकार द्वारा घोषित अफोर्डेबल हाउसिंग नीति के अधीन संचालित समाजवादी आवास योजना का शासकीय अभिकरणों के माध्यम क्रियान्वयन सुनिश्चिित किया जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप स्थानीय नागरिकों को उनकी माली हैैैसियत के हिसाब से आवास उपलब्ध हो सकेंगे तथा अवैध कालोनियों तथा मलिन बस्तियों के फैलाव पर नियंत्रण लग सकेगा। शहरी निर्धनों के लिए लो-कास्ट हाउसिंग/आसरा योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि माॅडल सिटीज कार्य योजना के तहत जन समस्याओं की सुनवाई एवं उसके निस्तारण की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, जन सुरक्षा के लिए समुचित पुलिस चैकियों, पुलिस स्टेशनों की व्यवस्था तथा इलेक्ट्राॅनिक सर्विलेन्स सिस्टम की स्थापना भी की जाएगी। कार्य योजना के तहत जनता को स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण, जल एवं विद्युत संरक्षण तथा यातायात नियमों के पालन हेतु जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। चयनित शहरों की मैपिंग एवं डी0पी0आर0 तैयार करने का कार्य नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के निर्देशन में किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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