पेराई सत्र शुरू होने के लगभग डेढ़ माह देरी से आगामी 15 दिसम्बर से प्रदेश की अधिकांश चीनी मिलें पेराई शुरू करने का मन बना रही हैं, जबकि अभी तक प्रदेश सरकार ने गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की है जिसके चलते एक बार फिर प्रदेश के गन्ना किसान ठगा महसूस कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जे0पी0 सिंह ने आज जारी बयान में कहा कि प्रदेश सरकार गन्ना किसानों से विमुख हो पंचायत चुनावों में जुटी रही और खून पसीने से तैयार करके किसान अपनी गन्ने की उपज की बिक्री के लिए दर-दर भटकने और बिचैलियों के हाथों ठगे जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार ने एक सोची समझी चाल के तहत पंचायत चुनावों को देखते हुए गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं किया, ताकि इसका कोई प्रभाव चुनाव पर न पड़े। गन्ना किसान और कांग्रेस पार्टी गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य केा बढ़ाने हेतु बार-बार मांग कर रही है किन्तु चीनी मिल मालिकों से सांठ-गांठ के चलते राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के पक्ष में नहीं है यही कारण है कि चीनी मिलों द्वारा अभी तक पेराई शुरू नहीं की गयी है। यदि राज्य सरकार नहीं चेती और न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया तो गन्ना किसानों की माली हालत बद से बदतर हो जायेगी। यदि राज्य सरकार ने अपनी नीति नहीं बदली तो गन्ना किसानों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
श्री सिंह ने कहा कि साल दर साल गन्ने की फसल को तैयार करने में गन्ना किसानों को खाद, बीज, पानी, कीटनाशक, ढुलाई आदि के मद में अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है जिससे प्रति वर्ष गन्ने की लागत बढ़ती जा रही है किन्तु न्यूनतम समर्थन मूल्य विगत कई साल से नहीं बढ़ रहा है, जिससे गन्ना किसान को गन्ने की फसल से लाभ के बजाय हानि उठानी पड़ रही है। यदि इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ेगा तो गन्ना किसानों को काफी हानि उठानी पड़ेगी।
प्रवक्ता ने मांग की है कि समाजवादी पार्टी द्वारा अपने घोषणा पत्र में किये गये वादे के अनुसार राज्य सरकार 380 रूपये प्रति कुंतल गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य की तत्काल घोषणा करे और चीनी मिलों को तुरन्त चलाये जाने हेतु निर्देशित करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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