रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरम्भ गणेष वन्दना से हुआ। भारतीय संस्कृति की सत्यता को दर्षाते हुए लघु नाटक नारी सषक्तिकरण, कृष्ण सुदामा, पेरेन्ट्स लव की प्रस्तुति ने दर्षकों को बाँध लिया था। बच्चों ने सूरज ढलता है, बर्डस डांस, म्युजिक तबला गिटार, वन्दे में ही था दम, एवं राजस्थानी, गुजराती, मराठी, पंजाबी डांसेज़ की प्रस्तुति की। बच्चों ने योगा एवं सेव ट्रीज़ पर डांस ड्रामा भी प्रस्तुत किया। दीपांकर भगत, दीपांषु चैरसिया ने अब्दुल कलाम पर आज समय का पहिया घूमा पीछे सब कुछ छूट गया एक सितारा भारत माता की आँखों का टूट गया, विषाल सिंह, पियूड्ढ पाल, अखण्ड सिंह माँ पर लेती नहीं दवाई मम्मी, जोड़े पाई पाई मम्मी, दुख थे पर्वत राई मम्मी, हारी नहीं लड़ाई मम्मी हड्र्ढ यादव ढूढ़ते रह जाओगे पर कविता प्रस्तुत की। बच्चों ने माटी मेरे देष की एवं मँजिल तेरे पग चूमेगी पर सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। समारोह का समापन्न देष प्रेम की भावना से ओत प्रोत ग्रांड फिनाले है हिन्दुस्तान मेरी जान ३आदि गीतों से हुआ। इस अवसर पर संस्था के संस्थापक-प्रबन्धक जयपाल सिंह ने कहा कि बच्चों ने अदभुत कार्यक्रम प्रस्तुत किये। भारतीय संस्कृति को दर्षाते तथा महापुरूषों को याद करते हुए कई लघुनाटक भी बच्चों द्वारा किये गये। उपस्थित अभिभावकों की तालियाँ बता रही थीं कि बच्चों के कार्यक्रम काफी सराहनीय थे। सभी मेधावी तथा प्रतिभाषाली विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति तथा पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया। समारोह को सफल बनाने के लिये छात्रों के प्रयासों की सराहना भी की। संस्थापक प्रबन्धक ने दादा-दादी एवं नाना नानी को भी सम्मानित किया। समारोह में भाग लेने वाले दिव्यांषी सक्सेना, षिवम कुमार, अंषिका वाल्मीकि, षुभी, ओम, हिमांषु, अनुराग, अर्पित, कार्तिक पंत, ऐष्वर्या, साक्षी व अन्य सभी छात्र-छात्राओं को भी उनके योगदान के लिये प्रंषसित कर पुरस्कृत किया। अंत में प्रधानाचार्या श्रीमती मनोरमा उपाध्याय ने ३सभी छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों को धन्यवाद दिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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