आगामी 30 नवम्बर को सुदर्शन जयन्ती समारोह कैपिटल सिनेमा हाल हजरतगंज में मनायी जाएगी इसी को लेकर आज प्रेसवार्ता डा0 भीमराव अम्बेडकर महासभागार हजरतगंज मंे की गयी। समिति के अध्यक्ष श्री लालजी सुदर्शन ने सुदर्शन जयन्ती समारोह के बारे में विस्तार पूर्वक पत्रकारों को जयन्ती के बारे में जानकारी दी, जिसमंे प्रमुख रूप से समिति के अध्यक्ष श्री लालजी सुदर्शन, महामंत्री सुदर्शन मनोज भारती, सलाहकार डी0के0 सुदर्शन, प्रदेश उपाध्यक्ष/मीडिया प्रभारी रामबाबू सुदर्शन, रंजीत सुदर्शन, जिलाध्यक्ष विशाल सुदर्शन मुख्य रूप से उपस्थित थे।
सुदर्शन-अम्बेडकर जयन्ती समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित ‘‘सुदर्शन जयन्ती समारोह’’ के माध्यम से समारोह मंे भाग लेने वाले सुदर्शन समाज को आदि गुरू सुदर्शन जी के तथा बाबा साहब डा0 भीम राव अम्बेडकर जी के आदर्शो एवं सन्देशों को प्रचारित-प्रसारित करने एवं समाज में असामाजिक नेता तत्व जो अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु शासन-प्रशासन एवं समाज में, धानुक, धानक, घरकार, हेला, डोम, डुमार, बसोर, बसफोर, तुरैहा, कठेरिया और महार समाज को बाल्मीकि समाज एवं स्वच्छकार समाज की उप जातियां बताते हैं ऐसे असामाजिक नेता तत्वों से होशियार एवं दूरी बनाए रखने को आगाह किया जाएगा।
मा0 अध्यक्ष श्री लालजी सुदर्शन जी ने कहा कि वर्ष 1950 में हिमांचल प्रदेश, वर्ष 1951 में दिल्ली प्रदेश, वर्ष 1956 मंे जम्मू काश्मीर में, चूड़ा, चूहरे, चूहड़ा, मेहतर, स्वीपर, भंगी, लालबेगी, जल्लाद, हलालखोर, शेखड़ा, जमादार जातियों को बाल्मीकि नाम लिखने का आदेश पारित किया गया था। इसके पश्चात वर्ष 1993 मंे देश की संसद ने उपरोक्त जातियों को पूरे देश में बाल्मीकि नाम लिखने का अधिकार देने का प्रयास किया गया जो असफल रहा। तब से इन जातियों के लोग बाल्मीकि नाम जाति के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। श्री अध्यक्ष जी ने कहा कि हिन्दू धर्म मंे प्रत्येक जातियों की एक से अधिक उप जातियां होती हैं तब ही वह उन जातियों को मिलाकर समाज का रूप लेता है, परन्तु कुछ असामाजिक नेता तत्वों से जब बाल्मीकि समाज की उप जातियों के बारे में पूछा जाता है तो वे सुदर्शन समाज को बदनाम व कमजोर करने की नियत से सुदर्शन समाज की उप जातियों को, बाल्मीकि समाज की उप जातियां बताते हैं और शासन-प्रशासन तथा समाज में भ्रम फैलाते हैं।
मा0 अध्यक्ष श्री लालजी सुदर्शन जी ने आगे कहा कि देश में जैसे अन्य अनुसूचित जातियां तथा समाज हमारे अपने भाई व सहयोगी है और अपने-अपने समाज के नाम से पहचान बनाए हुए हैं, जैसे पासी समाज, चमार समाज, धोबी समाज, सोनकर समाज व कोरी समाज वैसे ही सुदर्शन समाज व बाल्मीकि समाज की अपनी-अपनी अलग-अलग पहचान है। हमारी अपनी पहचान जो सुदर्शन समाज के नाम से है इसकी रक्षा-सुरक्षा एवं हक अधिकारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जनजागरण कर समाज को तथा शासन-प्रशासन को इस भ्रम से अवगत कराकर दूर किया जाएगा तथा भ्रम फैलाने वाले समाज के असामाजिक नेता तत्वों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा, जरूरत पड़ी तो इस सम्बन्ध में कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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