भजन करने की कोई उम्र नहीं होती। बचपन से यदि भगवान का भजन किया जाए तो ध्रुव की तरह अत्यन्त शीघ्र भगवत प्राप्ति होती है। उक्त वचनों के माध्यम से कथावाचक श्री रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने बोरा जी हाउस, सेवा अस्पताल प्रांगण, सीतापुर रोड, लखनऊ में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रवण कर रहे भक्तों को आनंदित किया।
कथा प्रसंग ध्रुव चरित्र से प्रारंभ हुआ। जिसमें ध्रुव चरित्र का वर्णन किया गया। ध्रुव के वंश का वर्णन करते हुए श्री रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने राजा वेन की कथा, प्रथु अवतार और प्राचीन वर्ही की कथा सुनाई। प्रियव्रत उपख्यान जड भरत चरित्र की कथा कहते हुए समस्त भक्तों को महाराज जी ने बताया कि संसार में दया का अभाव सबके प्रति रखना चाहिए किन्तु मोह किसी से नहीं करना चाहिए। एक हिरण से मोह हो जाने के कारण महाराज भरत को तीन जन्म भटकना पडा।
नर्कों का वर्णन करते हुए श्री रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने 28 प्रकार के नर्क बतलाए और कहा कर्म का फल भोग है। यदि कर्म दूषित है तो दुगर्ति एवं नर्क भोगना पडेगा। मन को कर्म का कारक बतलाते हुए कहा कि बंधन एवं मोक्ष का कारण जीव का मन ही है।
उन्होंने बताया कि मन को सदमार्ग में लगाने के लिए 9 साधन तप, ब्रहमचर्य, सत्य, इन्द्रिय निग्रह, मनोनिग्रह व त्याग आदि हैं और बताया कि भगवान का नाम कलयुग में समस्त पापों को नष्ट करने में सामथ्र्य है। जो प्राणी भगवान के नाम का आश्रय लेता है उसका भगवान स्वयं कल्याण करते हैं जैसे कि अजामिल का किया।
कथा के अंत में प्रहलाद चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा कि यदि विश्वास प्रहलाद की तरह हो तो कोई भी हमारा कुछ नहीं बिगाड सकता और एक भक्त की बात को सत्य करते हुए भगवान नरसिंह का रुप धारण करके एक खंभे से प्रकट हुए। अपने भक्त प्रहलाद का संरक्षण किया। हमें सदैव यह विश्वास रखना चाहिए कि भगवान पत्र, तत्र एवं सर्वत्र हैं।
कथा के अंत में प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर बोरा परिवार सहित वी0एस0 पंत, महेश गिरि, ओ0पी0 जैन, विजय केडिया, विवेक तोमर, गिरिजा शंकर अग्रवाल, सुधांशु मिश्रा, सुनील सिंह, चेतन मिश्रा, के0के0 अग्रवाल, श्रीराम, शोभित मिश्रा, रेखा वर्मा, अनिल सिंह, भानू सिंह, कुशल कुमार तिवारी एवं अन्य भक्तगण मौजूद रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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