उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के परिमेयकरण ;त्ंजपवदंसपेंजपवदद्ध के लिए गठित मुख्य मंत्रियों के सब-ग्रुप की ड्राफ्ट रिपोर्ट में शामिल संस्तुतियों से प्रदेश सरकार सैद्धान्तिक रूप से कतिपय शर्तों के साथ सहमत है। इस सम्बन्ध में उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान को एक पत्र लिखा था। श्री चौहान नीति आयोग द्वारा गठित इस सब-गु्रप के अध्यक्ष हैं।
अपने पत्र में मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने इन शर्तांे को उल्लिखित किया है। इसके अनुसार, सब-ग्रुप द्वारा की गई संस्तुतियों के परिणामस्वरूप राज्य को केन्द्र सहायतित परियोजनाओं के केन्द्रांश के रूप में होने वाले वित्तीय नुकसान की भरपाई केन्द्र सरकार द्वारा किसी अन्य रूप में अवश्य की जाए, ताकि राज्य द्वारा संचालित विकास कार्यों पर किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने पाए। यदि राज्य किसी वैकल्पिक योजना विशेष में प्रतिभाग नहीं करना चाहता है, तो उक्त वैकल्पिक योजना हेतु अनुमन्य केन्द्रांश को किसी अन्य केन्द्र सहायतित योजना में अतिरिक्त केन्द्रांश के रूप में अनुमन्य किया जाना भी इन शर्तों में शामिल है।
ज्ञातव्य है कि विगत 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव इस सम्बन्ध में अपने विचारों को प्रस्तुत करने तथा श्री चैहान के साथ चर्चा करने के लिए भोपाल गए थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि भारत सरकार के वर्ष 2015-16 के बजट में केन्द्रीय योजनाओं के लिए केन्द्रांश परिवर्तन एवं कुछ अन्य योजनाओं में बजट व्यवस्था न होने से राज्य को मिलने वाली धनराशि में करीब 18,257 करोड़ रुपए की कमी अनुमानित है। यह कमी ब्मदजतंस क्मअवसनजपवद से मिलने वाली धनराशि (7,584 करोड़ रुपए) से कहीं अधिक है। इस पूरी प्रक्रिया में राज्य को कोई फायदा नहीं, बल्कि नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 के केन्द्रीय बजट में राज्यों से अभिमत प्राप्त किए बिना एकाएक केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के पुनर्गठन का जो निर्णय लिया गया है, उसके कारण राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री यादव केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के परिमेयकरण (त्ंजपवदंसपेंजपवद) हेतु नीति आयोग द्वारा श्री चैहान की अध्यक्षता में गठित मुख्य मंत्रियों के सब-ग्रुप के सदस्य हैं। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने योजनाओं के त्ंजपवदंसपेंजपवद के सम्बन्ध में राज्य सरकार के पक्ष को रखते हुए श्री चैहान से यह अनुरोध भी किया था कि राज्य सरकार के मत को सब-ग्रुप की रिपोर्ट में अवश्य शामिल किया जाए।
श्री यादव ने यह भी कहा था कि चैदहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र से राज्यों के क्मअवसनजपवद को यद्यपि 32 से 42 प्रतिशत बढ़ाया गया है, परन्तु फाॅरेस्ट कवर को अत्यधिक महत्व दिए जाने की वजह से उत्तर प्रदेश को नुकसान हुआ है और एक अनुमान के आधार पर राज्य को 9,000 करोड़ रुपए इस फार्मूले के लागू होने की वजह से कम प्राप्त होंगे।
मुख्यमंत्री ने यह उल्लिखित भी किया था कि ब्वतम व िब्वतम ेबीमउमे में मनरेगा तथा सोशल इन्क्लूजन की मात्र 07 योजनाओं को ही शामिल किया गया है। ब्वतम व िब्वतम ेबीमउमे में कई अन्य योजनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए और उनके वर्तमान वित्त पोषण की व्यवस्था बनाये रखनी चाहिए। अन्यथा चाहे वे किसानों की योजनाएं हों, अथवा स्वास्थ्य योजनाएं हों या शिक्षा की योजनाएं हों, सभी ब्वतम ैमबजवत की योजनाओं का आकार कम हो जायेगा और राज्य के विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
श्री यादव ने कम-से-कम कोर सेक्टर की योजनाओं में केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों में कोई कमी न किए जाने की बात भी कही थी। इन सभी योजनाओं को ब्वतम व िब्वतम ैबीमउमे में शामिल किया जाये, ताकि राज्य की जनता के प्रति वचनबद्धता पूरी हो सके और प्रधानमंत्री का ब्व.वचमतंजपअम थ्मकमतंसपेउ का सिद्धान्त वास्तव में साकार हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि ब्वतम व िबवतम ेबीमउमे में मनरेगा तथा ेवबपंस पदबसनेपवद की योजनाओं के साथ-साथ शहरी और ग्रामीण इलाकों में अवस्थापना सुविधाओं का सृजन, कृषि, ऊर्जा, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य, नगरीय विकास, गरीबी उन्मूलन, ग्राम्य विकास आदि से जुड़ी योजनाओं को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।
श्री यादव ने सब-ग्रुप द्वारा इन क्षेत्र की योजनाओं को 60ः40 अनुपात में वित्त पोषित किए जाने की संस्तुति के संदर्भ में कहा था कि राज्यों के लिये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, स्वच्छ भारत मिशन (निर्मल भारत अभियान), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.), त्वरित सिंचाई लाभ परियोजना (ए.आई.बी.पी.), इन्दिरा आवास योजना (आई.ए.वाई.), मध्यान्ह भोजन योजना (एम.डी.एम.), सर्व शिक्षा अभियान (एस.एस.ए.), समेकित बाल विकास कार्यक्रम (आई.सी.डी.एस.), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी.एम.जी.एस.वाई.) इत्यादि योजनाओं में पूर्ववत् वित्त पोषण के आधार पर केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाए।
मुख्यमंत्री ने सब-ग्रुप द्वारा आशाकर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों तथा अनुबन्धित शिक्षकांे के वेतन इत्यादि हेतु वर्तमान स्तर के आधार पर आगामी दो वर्षों तक राज्यों को सहायता उपलब्ध कराए जाने की संस्तुति के सम्बन्ध में कहा था कि ये सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं तथा आगे भी चलेंगे। इसलिये वेतन आदि हेतु सहायता दो वर्षों के आगे भी जारी रहनी चाहिए।
श्री यादव ने कहा था कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को देय सहायता ब्लाॅक ग्राण्ट के रूप में उपलब्ध करायी जाए। जिन योजनाओं में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (क्च्त्) तैयार किया जाना अनिवार्य हो, उन योजनाओं की क्च्त् को अनुमोदित करने का अधिकार भी राज्य को दिया जाए।
मुख्यमंत्री के अनुसार केन्द्रीय बजट में कुछ प्रमुख योजनाओं को केन्द्रीय सहायता से डी-लिंक कर दिया गया है। प्रदेश में विकास योजनाओं को जनमानस तक पहँुचाने, त्वरित सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा योजनाओं के प्रभावी अनुश्रवण हेतु कम्प्यूटराइजेशन को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ई-गवर्नेन्स एक्शन प्लान (छमळ।च्) के अन्तर्गत शत-प्रतिशत सहायता उपलब्ध करायी जाती थी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (ठत्ळथ्) के अन्तर्गत शत-प्रतिशत सहायता उपलब्ध होती थी। इसके अतिरिक्त पुलिस बलों के आधुनिकीकरण हेतु भी राज्य को केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाती थी। इन महत्वपूर्ण योजनाओं को केन्द्रीय सहायता से डी-लिंक न किया जाए और पूर्ववत् केन्द्रीय सहायता राज्य को उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि केन्द्र पोषित योजनाओं में राज्यों के अन्तरण का जो फार्मूला बनाया जाए, उसे बनाते समय राज्यों से परामर्श अवश्य किया जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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