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भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गाय किसकी है, किसकी नहीं के बजाय त्यौहारो के समय प्रशासनिक लापरवाही के कारण राज्य में बिगड़ रहे हालात को देखे।

Posted on 23 October 2015 by admin

भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गाय किसकी है, किसकी नहीं के बजाय त्यौहारो के समय प्रशासनिक लापरवाही के कारण राज्य में बिगड़ रहे हालात को देखे। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि कही मूर्ति स्थापना, कही राम बारात, तो कही राम लीला जैसे मामलो पर उठ रहे विवाद के कारण राज्य में तनाव का वातावरण बन रहा है। वैसे ही दादरी में सरकार की प्रशासनिक विफलता के कारण उ0प्र0 की बदनामी पूरे देश में हुई। अखिलेश राज में प्रदेश के हालत इस तरह खराब है कि राज्य में बेटियां अस्मत बचाने के लिए अपनी जान दे रही है।
सोमवार को पार्टी मुख्यालय पर हल्द्वानी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कथन की गाय तो हमारी है उनका उनसे क्या लेना-देना, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि बंटवारे की सियासत में जुटे लोग अब पशुओं को भी हमारे-तुम्हारे में बंाटने में जुट गये है। गाय को हमारी कहने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राज्य में गौवंश की अवैध तस्करी और अवैध कटान पर सख्त कानून के तहत कार्यवाही की बात करते है किन्तु जब कार्यवाही करनी होती है तो उनका प्रशासन बगले झाकने लगता है। जो लोग इन पशु तस्करों के काम में अवरोधी होते है उन्हें गोलियों का निशाना तक बनाने में पशु तस्कर परहेज नहीं करते, मनोज मिश्रा काण्ड इसका ज्वंलत उदाहरण है। परिजन न्याय के लिए अनशन तक कर रहे है और सरकार दावों में व्यस्त हैं।
उन्होंने कहा कि नोएडा में एक बेटी को केवल इसलिए जान देनी पड़ी कि उसे लगा कि वह शोहदो से अपनी सुरक्षा कर पाने में असमर्थ हो रही है। उसने पुलिस को शोहदो की शिकायत भी की किन्तु अखिलेश सरकार की चाकर पुलिस आकाओं की चाकरी में इतनी व्यस्त है कि उसने इसे प्राथमिकता पर ही नहीं लिया। अब चूंकि शिकायत वह कर चुकी थी। और जिनके विरूद्ध शिकायत की, वे जान गए थे कि उनकी शिकायत पुलिस में हो चुकी है, अपने प्रभाव के चलते आरोपियों ने न केवल पुलिसिया कार्यवाही को प्रभावित किया, वरन पीडि़ता को उठा ले जाने की धमकी दी। अब क्या करती बेटी, सो उसने अपनी जान ही दे दी। उन्होंने कहा कि घटनाओं के बाद लकीर पीटती पुलिस छोटो पर कार्यवाही कर अपनी नाकामी पर पर्दा भले डाल ले किन्तु कत्र्तव्यों का निर्वहन समय से होता तो लड़की की जान बचाई जा सकती थी। साथ ही प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले बड़े अधिकारियों पर भी कार्यवाही हो।
श्री पाठक ने कहा कि बटवारे की सियासत की बजाय कानून व्यवस्था का पालन किया जाये। अपराधी, अपराधी है, उसका न तो कोई मजहब होता है न ही जाति होती है, किन्तु यहां तो जिन पर प्राथमिकी दर्ज होती वे मंत्रीगण के साथ मंच साझा करते है। उन्होंने कहा अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरे पर फोड़ने में अभ्यस्त सपाई अपनी जिम्मेदारियों का भी निर्वाहन करे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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