बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व उनके समस्त वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा आर.एस.एस. (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के दरबार में पेश होकर उसके आगे दण्डवत होने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि एक चुनी हुई सरकार को केवल संविधान व उसकी मर्यादा एवं जनभावना के आगे ही नतमस्तक होना शोभा देता है ना कि द्वेष, घृणा, साम्प्रदायिकता व फासिस्टवादी मानसिकता रखने वाले जनता के प्रति एक गै़र-जवाबदेह व गै़र-उत्तरदायी संगठन आर.एस.एस. के सामने।
नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय आर.एस.एस. व श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के बीच शुक्रवार को समाप्त हुयी ’’समन्वय बैठक’’ और उसमें श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अपनी रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करने व दिशा-निर्देश प्राप्त करने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि इस बैठक के सम्बन्ध में अधिकारिक तौर पर जो बातें कही गयी हैं उससे भी यह स्पष्ट हो जाता है कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार व आर.एस.एस. को देश की चिन्ताओं व ज्वलन्त समस्याओं ख़ासकर ग़रीबी व महंगाई कम करने, बेरोज़गारी समाप्त करने व भ्रष्टाचार उन्मूलन आदि के साथ-साथ करोड़ों शोषितों, दलितों, पिछड़ों आदि के हित की कोई परवाह नहीं है।
देश की जनता से सम्बंधित इन ज्वलन्त समस्याओं की चिन्ता किये बिना आर.एस.एस. द्वारा श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के कामकाज पर संतोष व्यक्त कर देना वास्तव में देश की आमजनता की भावना के विपरीत आचरण है और इसके लिये आगे चलकर लोग ना केवल भाजपा बल्कि आर.एस.एस. के तथाकथित स्वयंसेवकों से भी हिसाब अवश्य ही मांगेंगे।
बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार एक तरफ संविधान में कही गयी बातें और उसकी मंशा के विपरीत काम करके देश के उपेक्षितों, शोषितों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के करोड़ों लोगों के हित व कल्याण की घोर अनदेखी कर रही है, तो दूसरी तरफ संसद व देश की जनता के प्रति ग़ैर-जवाबदेह होकर आर.एस.एस. के सामने घुटने टेक रही है, जो कि देश की जनता के प्रति एक ग़ैर-जवाबदेह व गै़र-उत्तरदायी संगठन है।
वैसे तो पूर्व की कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. सरकार के समय में यह आरोप लगाया जाता था कि डा. मनमोहन सिंह की सरकार 10 जनपथ (अर्थात कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष श्रीमती सोनियां गांधी के निवास स्थान) के रिमोट-कन्ट्रोल से चलती है, परन्तु सत्ताधारी पार्टी की प्रमुख होने के नाते उन्हें जनता की जवाबदेही सुनिश्चित थी और उसका ख़ामियाज़ा भी उस पार्टी को सन् 2014 को लोकसभा आमचुनाव में भुगतना पड़ा है, परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की वर्तमान भाजपा सरकार तो आर.एस.एस. के सामने पूरी तरह से दण्डवत नज़र आती है।
और अब तो यह पूरी तरह से जग-ज़ाहिर है कि इस सरकार की नकेल आर.एस.एस. के नेताओं के हाथों में ही है व इसका रिमोट-कन्ट्रोल आर.एस.एस. के मुख्यालय नागपुर में है, जबकि आर.एस.एस. अपने आपको राजनीति से अलग एक सामाजिक संगठन होने का दावा करती है। हालांकि इनके बड़े ओहदे वाले ज़्यादातर लोग अनेकों प्रकार के सरकारी तामझाम व जे़ड प्लस सहित भारी सुरक्षा का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। यह कितनी विचित्र बात है कि जनता के प्रति बिना किसी उत्तरदायित्व व जि़म्मेदारी एवं जवाबदेही के जनता के पैसे पर तमाम सरकारी सुख-सुविधा का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि उपरोक्त परिस्थिति में यह लोकतंत्र के लिये एक प्रकार से ख़तरे की घंटी है कि देश का प्रधानमंत्री व उसके मंत्रीगण देश की जनता व संसद के प्रति पूरी तरह से जवाबदेह नहीं होकर, आर.एस.एस. जैसी घोर साम्प्रदायिक, घृणा व विघटनकारी सोच वाली संस्था के प्रति जवाबदेह होकर पूरी तरह से दण्डवत हो रहे हैं।
इतना ही नहीं, बल्कि आर.एस.एस. व भाजपा की सोच कितनी क्रूर व फा़सीवादी है इसका एक ताज़ा उदाहरण महाराष्ट्र में जनता के सामने आया है जहाँ की भाजपा सरकार ने सरकार या मंत्री, सासंद व विधायक आदि के खि़लाफ बोलने या लिखने पर ’’देशद्रोह’’ का मुक़दमा चलाने का घोर तानाशाही फरमान जारी किया है। इस प्रकार केन्द्र व राज्य स्तर पर भी भाजपा सरकार का यह प्रयास लगातार जारी है कि आलोचना करने वालों की जुबान को बंद करके उन्हें जेल की सलाख़ों के पीछे भेजा जाये, जबकि इसके विपरीत आर.एस.एस. व उसकी सहयोगी संगठनों के नेताओं को यह पूरी आज़ादी दे दी गयी है कि वे देश भर में जितना चाहें आग उगल सकते हैं, हिंसा फैला सकते हैं फिर भी उन्हें हर प्रकार की पूरी सरकारी सुरक्षा व संरक्षण प्रदान की जाती रहेगी और उन्हें उच्च सरकारी पदों से भी उपकृत किया जाता रहेगा।
साथ ही, करीब साढ़े 24 लाख पूर्व सैनिकों व 6 लाख शहीद सैनिकों की विधवाओं को सम्मानजनक व संतोषजनक ’’वन रैंक वन पेंशन’’ दिये जाने की माँग को लेकर क्रमिक भूख हड़ताल का आन्दोलन करने वाले पूर्व सैनिकों की काफी समय से लम्बित मांग को आधे-अधूरे मन से मानने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि कई प्रमुख मांगों के नहीं माने जाने के कारण पूर्व सैनिकों में नाराज़गी व असंतोष स्वाभाविक है। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को ’’वन रैंक वन पेंशन’’ प्रदान करते समय कंजूसी नहीं करनी चाहिये, क्योंकि वह राशि देश की जनता के घरों में ही जायेगी और पूर्व सैनिक परिवारों का थोड़ा भला हो सकेगा।
श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने बिहार विधानसभा आमचुनाव के मद्देनज़र काफी आधे-अधूरे मन से एकतरफा तौर पर यह फैसला तो ले लिया है, परन्तु बी.एस.पी. को उम्मीद है कि रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी होने वाले सरकारी आदेश में उन त्रुटियों को अवश्य ही सुधार लिया जायेगा जिससे कि हमारे लाखों पूर्व सैनिक व उनका परिवार अपने आपको संतुष्ट पा सके।
इसके साथ ही, अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के अवसर पर कल बिहार के बोधगया में दिये गये भाषण में श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि आर.एस.एस. के प्रचारक के तौर पर जो बातें कही हैं उनसे समाज व देश का थोड़ा भी भला होने वाला नहीं है। वह कहते तो बहुत कुछ हैं परन्तु उनके सांसद, मंत्री, विधायक व पार्टी के अन्य लोग ठीक उसका उल्टा करते हुये हर तरफ नज़र आते हैं और मा. प्रधानमंत्री मूक दर्शक बने रहते हैं। इस कारण उन कोरे प्रवचनों व उपदेशों से देश की जनता का क्या भला हो सकता है।
इसके अलावा, बोधगया को ’’अध्यात्म की राजधानी’’ बनाने की बात करने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी वास्तव में अभी भी कहने से चूकना नहीं चाहते, जबकि करनी नदारद है। हक़ीक़त में बोधगया तो अध्यात्म का केन्द्र बिन्दु हज़ारों वर्षों से हैं, परन्तु असल ज़रुरत तो उस क्षेत्र के अन्तर्राष्ट्रीय महत्व व विश्व पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की व वहां आने वाले श्रद्धालुओं को उचित सुविधा प्रदान करने की है, जिसके प्रति वर्तमान केन्द्र सरकार भी काफी ज्यादा उदासीन नज़र आती है। ज़रुरत है कि बोलने से पहले कुछ ख़ास काम करके लोगों को दिखाया जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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