उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से एन0टी0पी0सी0 की कोयला आधारित इकाई से पैदा हो रही बिजली को एन0टी0पी0सी0 द्वारा सौर ऊर्जा से उत्पादित होने वाली बिजली के साथ बण्डल किए जाने के केन्द्रीय बिजली मंत्रालय के फैसले को स्थगित कराने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि केन्द्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से नई सौर विद्युत उत्पादन इकाइयां स्थापित कर रही है। इसके मद्देनजर जो कोयला आधारित विद्युत उत्पादन इकाइयां अपनी उपयोगिता के 25 वर्ष पूरे कर चुकी हैं, उनसे उत्पादित बिजली की बण्डलिंग एन0टी0पी0सी0 द्वारा स्थापित की जा रही सोलर विद्युत के साथ की जाएगी।
केन्द्रीय बिजली मंत्रालय द्वारा 16 जुलाई, 2015 को यह नीतिगत निर्णय लिया गया, जिसकी जानकारी मंत्रालय ने 17 जुलाई, 2015 के पत्र के माध्यम से दी है। इस पत्र के अनुसार सिंगरौली एस0टी0पी0एस0 की 1700 मेगावाॅट बिजली (2000 मेगावाॅट क्षमता का 85 प्रतिशत) को एन0टी0पी0सी0 द्वारा उत्पादित 3000 मेगावाॅट सौर ऊर्जा के साथ बण्डलिंग करने का निर्णय लिया है।
श्री यादव ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में यह सूचनीय है कि उत्तर प्रदेश को सिंगरौली एस0टी0पी0एस0 से उत्पादित 2000 मेगावाॅट विद्युत क्षमता का 44 प्रतिशत अर्थात 754 मेगावाॅट बिजली मिलती है। एन0टी0पी0सी0 द्वारा स्थापित किए गए बिजली घरों में से यह पहला विद्युत उत्पादन प्लाण्ट है और प्रदेश सरकार द्वारा इस प्लाण्ट के लिए भूमि तथा पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई थी। सिंगरौली एस0टी0पी0एस0 से मिलने वाली बिजली पावर पर्चेज बास्केट के अन्तर्गत सबसे सस्ती बिजली है और इसके चलते उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खरीदी जा रही बिजली का मूल्य काफी कम हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि 3000 मेगावाॅट सौर ऊर्जा के साथ इस पारम्परिक ऊर्जा की बण्डलिंग लागू की जाती है, तो सिंगरौली एस0टी0पी0एस0 से मिलने वाली विद्युत का मूल्य काफी बढ़ जाएगा, जिससे उत्तर प्रदेश को बहुत महंगे मूल्य पर बिजली उपलब्ध हो सकेगी। उत्तर प्रदेश के लिए इसका वाणिज्यिक मूल्य सर्वाधिक होगा, क्योंकि इस परियोजना से राज्य ही सबसे ज्यादा लाभान्वित होता है।
श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश द्वारा खरीदी जा रही बिजली का कीमत काफी अधिक है, क्योंकि अधिकतर नवीन विद्युत उत्पादन इकाइयों को लिंकेज कोयले की आपूर्ति सिर्फ 50 प्रतिशत ही है, जिसके चलते महंगी दर पर आयातित कोयला खरीदना पड़ रहा है। विभिन्न राज्यों द्वारा बिजली खरीद मूल्यों की यदि तुलना की जाए, तो उत्तर प्रदेश ऊँचे मूल्यों पर बिजली खरीदने वाले राज्यों में शामिल है। राज्य को 3.80 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद मूल्य चुकाना होता है, जबकि उत्तराखण्ड के लिए यही मूल्य 2.61 रुपए, मध्य प्रदेश के लिए 2.76 रुपए, गुजरात 3.52 रुपए, हिमाचल प्रदेश 2.34 रुपए, राजस्थान 3.59 रुपए, उड़ीसा 2.84 रुपए, पश्चिम बंगाल 3.41 रुपए, झारखण्ड 3.69 रुपए तथा छत्तीसगढ़ के लिए 3.09 रुपए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे स्पष्ट हो जाता है कि उत्तर प्रदेश महंगी बिजली खरीदने वाले राज्यों में से एक है। ऐसे में यदि बण्डल्ड पावर की यह शर्त राज्य पर थोपी जाती है, तो इससे बिजली मूल्यों में अत्यधिक बढ़ोत्तरी होगी। सिंगरौली विद्युत संयंत्र, जिसकी स्थापना में प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है, पर यह शर्त लागू होने से राज्य को 1331 मेगावाॅट अतिरिक्त विद्युत अत्यन्त महंगे मूल्य, लगभग 7-8 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदने पर मजबूर होना पड़ेगा, वह भी नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की आड़ में।
श्री यादव ने कहा कि राज्य सरकार नियामक ढांचे के अन्तर्गत सौर ऊर्जा खरीद की शर्त को पहले ही पूरा कर रही है। इस शर्त के अन्तर्गत राज्य की विद्युत वितरण कम्पनियां बण्डल्ड पावर के अन्तर्गत एन0टी0पी0सी0 से पहले ही सौर ऊर्जा खरीद रही हैं। यही नहीं, राज्य सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा खरीद योजना के अन्तर्गत 500 मेगावाॅट विद्युत उत्पादन क्षमता के कई सोलर पावर प्लाण्ट्स की स्थापना का कार्य किया जा चुका है। ऐसे में राज्य को आवंटित की जा रही बिजली में से 754 मेगावाॅट विद्युत को एन0टी0पी0सी0 द्वारा उत्पादित सौर ऊर्जा के साथ बण्डल करना प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हक में नहीं होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों पर उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में घरेलू/अनुदानित श्रेणी की बिजली का मूल्य बढ़ने पर जनता पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा। अतः विद्युत मूल्य में कोई भी बढ़ोत्तरी बिना मंत्रणा के न की जाए। पारम्परिक ऊर्जा के साथ सौर ऊर्जा की बण्डलिंग का यह निर्णय राज्य की सहमति के बिना लिया गया है और एकतरफा है। विचाराधीन टैरिफ नीति में पारम्परिक ऊर्जा उत्पादन का 10 प्रतिशत भाग सौर ऊर्जा के तौर पर बण्डल किया जाना प्रस्तावित है। बण्डलिंग नीति के अन्तर्गत सम्बन्धित स्टेकहोल्डर्स से सलाह मशविरा किए बगैर एकाएक 3000 मेगावाॅट सौर ऊर्जा को 1700 मेगावाॅट पारम्परिक ऊर्जा के साथ सम्मिलित करना विधिक तौर पर भी उचित नहीं होगा।
श्री यादव ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए केन्द्रीय बिजली मंत्रालय को इस बण्डलिंग नीति को फिलहाल स्थगित रखते के निर्देश दें, क्योंकि इससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को अनावश्यक रूप से अधिक विद्युत मूल्य चुकाना होगा। साथ ही, केन्द्रीय बिजली मंत्रालय को इस बात के लिए भी निर्देशित किया जाए कि वह इस योजना को लागू करने से पहले सभी राज्यों से सलाह मंत्रणा करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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