उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने शिक्षा विभाग केे अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्राथमिक विद्यालयों मेे शिक्षा की गुणवत्ता को प्रत्येक दशा में बेहतर बनाने हेतु निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार निरन्तर अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार न होने पर सम्बन्धित अध्यापक से लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी तक जिम्मेदारी नियत कर सख्त कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा निदेशक को स्वयं भी तथा मुख्यालय एवं फील्ड में तैनात शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को विद्यालयों का औचक निरीक्षण करने हेतु फील्ड में जाकर अपनी आख्या उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत करनी होगी।
श्री रंजन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिये कि कक्षा-11 एवं 12 के पाठ्यक्रमों को अन्य बोर्डों (सी0बी0एस0ई0 एवं आई0सी0ए0सी0 आदि) के समतुल्य अद्यतन (अपडेट) करने तथा इण्टरमीडिएट के पाठ्यक्रम में कक्षा-11 एवं 12 हेतु पृथक-पृथक परीक्षा कराने हेतु पाठ्यक्रम को विभाजित करने की कार्यवाही आगामी 30 सितम्बर, 2015 तक अवश्य पूर्ण करा ली जाये, ताकि संशोधित व्यवस्था आगामी परीक्षा वर्ष 2017 से अवश्य लागू की जा सके। उन्होंने कहा कि नवोदय विद्यालय पैटर्न पर न्यूनतम 06 माॅडल स्कूलों के संचालन हेतु कार्य योजना तैयार कर ली जाये। उन्होंने कहा कि विद्यालयों के शैक्षिक गुणवत्ता संवर्धन हेतु प्रस्तुत कार्ययोजना एवं विद्यालयों के श्रेणीकरण की कार्यवाही सितम्बर माह तक पूर्ण करा ली जाये। उन्होंने प्रदेश के चयनित 25 राजकीय इण्टर काॅलेजों को ‘सेण्टर आॅफ एक्सीलेन्स’ के रूप में विकसित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि राजकीय बालिका विद्यालयों में शौचालय एवं फर्नीचर की व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाये। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों से कक्षा-8 उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं को माध्यमिक शिक्षा हेतु अवसर प्राप्त कराने के उद्देश्य से बालिका छात्रावास योजनान्तर्गत छात्रावासों का निर्माण शीघ्र प्रारम्भ कराया जाये। उन्होंने कहा कि मण्डलीय/जनपदीय अधिकारियों को निरीक्षण का लक्ष्य निर्धारित कर उसका नियमित अनुश्रवण किया जाये।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने विद्यालयों में शैक्षिक स्तर को सुधारने हेतु सख्त निर्देश देते हुए कहा कि मण्डलीय एवं जनपदीय अधिकारियों को प्रत्येक माह 10 विद्यालयों का औचक निरीक्षण कर अपनी निरीक्षण आख्या उच्च अधिकारियों को प्रेषित करनी होगी। उन्होंने कहा कि प्राप्त निरीक्षण आख्याओं का त्रैमासिक मूल्यांकन कर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के वार्षिक गोपनीय आख्या में प्रविष्टि की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालय में शैक्षिक पंचांग को अनिवार्य रूप से लागू कराते हुए निरीक्षण के समय यह अवश्य देखना होगा कि माहवार निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार अध्यापकों द्वारा छात्रों को पढ़ाया गया है कि नहीं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालयों में शिक्षक डायरी को प्रभावी रूप से लागू कर निरीक्षण के समय देखना अनिवार्य होगा।
श्री रंजन ने यह भी निर्देश दिए कि प्रदेश के 25 राजकीय इण्टर कालेजों को वर्ष 2015-16 में सेन्टर आॅफ एक्सीलेन्स के रूप में विकसित किया जाये। उन्होंने कहा कि राजकीय इन्टर कालेजों से उत्तीर्ण ऐसे पूर्व छात्र (एल्यूमिनाई) जो उच्च पदों पर तैनात हैं उनसे सम्पर्क कर उनका संवाद छात्रों से कराया जाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राजकीय इन्टर कालेजों में अंग्रेजी शिक्षण हेतु विशेष कार्यक्रम संचालित कराये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही यथाशीघ्र सुनिश्चित कराई जाये। उन्होंने कहा कि विगत 31 मार्च, 2015 तक 734 नवीन राजकीय हाईस्कूलों का निर्माण पूर्ण हो जाने के उपरान्त अवशेष 512 राजकीय हाईस्कूलों का निर्माण वर्तमान वित्तीय वर्ष में ही निर्धारित मानक एवं गुणत्ता के साथ पूर्ण कराया जाये।
मुख्य सचिव ने कहा कि विद्यालयों के शैक्षिक स्तर को सुधारने हेतु क्षेत्र के इच्छुक एवं अनुभवी तथा प्रभावशाली व्यक्तियों की भी भागीदारी सुनिश्चित कराई जाये ताकि अध्ययनरत छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्राप्त हो सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि प्रत्येक दशा में सुनिश्चित किया जाये कि विद्यालयों के अध्ययनरत छात्रों को समय से किताबों का वितरण अवश्य सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि सड़क किनारे स्थित विद्यालयों की बाउण्ड्रीवालों को सड़क की ऊँचाई को दृष्टिगत रखते हुए अधिक ऊँचा करा दिया जाये ताकि सड़क पर खड़ा कोई व्यक्ति विद्यालय के ग्राउण्ड में छात्र-छात्राओं को देख न सके। उन्होंने कहा कि अवशेष विद्यालयों में शौचालयोें का निर्माण प्रत्येक दशा में निर्धारित अवधि में सुनिश्चित कराया जाये। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अध्ययनरत छात्रों को मिड डे मील योजनान्तर्गत शुद्ध एवं स्वादिष्ट भोजन दूध या फल के साथ अवश्य उपलब्ध कराया जाये।
बैठक में प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा श्री जितेन्द्र कुमार, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा श्रीमती डिम्पल वर्मा, सचिव बेसिक शिक्षा श्री हीरालाल गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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