मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 में संशोधन के लिए उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2015 के प्रारूप को अनुमति प्रदान कर दी है।
अभी तक उ0प्र0 जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 की धारा-157-क के अंतर्गत अनुसूचित जाति के भूमिधर को कलेक्टर की पूर्व स्वीकृति के बिना अनुसूचित जाति के सदस्य के अलावा अन्य व्यक्ति को किसी भूमि के विक्रय, दान, बंधक अथवा पट्टा द्वारा अंतरण कराने का अधिकार नहीं है।
इस सम्बन्ध में प्रतिबन्ध यह है कि ऐसी कोई स्वीकृति कलेक्टर द्वारा उस दशा में न दी जाएगी, जहां इस धारा के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र देने की तारीख पर उत्तर प्रदेश में धारित भूमि 1.26 हेक्टेयर से कम है अथवा जहां संक्रामण करने वाले द्वारा उत्तर प्रदेश में इस प्रकार धारित भूमि कथित तारीख पर ऐसा अन्तरण करने के पश्चात् 1.26 हेक्टेयर के कम हो जानी सम्भाव्य हो।
इस प्रतिबंध के कारण अनुसूचित जाति का भूमिधर अपनी भूमि का विक्रय सरलता से नहीं कर सकता। इसलिए वर्तमान परिदृश्य के दृष्टिगत इस प्राविधान को सरल बनाने के उद्देश्य से परन्तुक को निकालने का निर्णय लिया गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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