मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में आटा, मैदा, सूजी के निर्माता फ्लोर मिल एवं चक्की प्लान्ट द्वारा वर्ष 2015-16 (दिनांक 01 अगस्त, 2015 से दिनांक 31 मार्च, 2016 तक) में आटा, मैदा, सूजी के निर्माण में प्रयुक्त गेहूं की खरीद पर विधि के अधीन देय कर के विकल्प में कतिपय शर्तो के अधीन एकमुश्त समाधान योजना लागू किए जाने का निर्णय लिया है। इसे वर्ष 2007-08 से प्रत्येक वर्ष में 18 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए तथा इसे उत्पादन क्षमता के 120 प्रतिशत के उत्पादन तक सीमित रखते हुए लागू किया जाएगा।
अधिष्ठापित क्षमता के 120 प्रतिशत से अधिक पिसाई/उत्पादन के लिए समाधान योजना अनुमन्य न होगी। जिस क्षमता के लिए समाधान योजना अपनायी जाए उसके अनुपात से अधिक गेहूं की खरीद किए जाने पर उससे अधिक की गयी खरीद पर नियमानुसार कर व ब्याज का भुगतान करना होगा।
40 इंच तक की एक रोलर बाॅडी की अधिकतम क्षमता 3000 हजार मैट्रिक टन वार्षिक तथा 40 इंच से अधिक एक रोलर बाॅडी की अधिकतम क्षमता 3500 मैट्रिक टन प्रति रोलर बाॅडी वार्षिक निर्धारित है। 30 इंच साइज के 3 चक्की प्लान्ट अथवा 24 इंच साइज के चार चक्की प्लान्ट 40 इंच साइज की एक रोलर बाॅडी की क्षमता के बराबर होते हैं, अतः चक्की प्लान्ट पर समाधान धनराशि उक्त के हिसाब से व उसी अनुपात में निर्धारित की जाएगी।
समाधान राशि 1 अप्रैल, 2015 से समानुपातिक रूप से देय होगी। समाधान योजना अपनाने हेतु व्यापारियों द्वारा समाधान प्रार्थना पत्र अपने कर निर्धारक अधिकारी को समानुपातिक रूप से समाधान धनराशि का 5/12 भाग सहित दिनांक 15 अगस्त, 2015 तक प्रस्तुत करना होगा। देरी के लिए अधिनियम के अधीन स्वीकृत कर पर नियमानुसार देय ब्याज एवं समाधान धनराशि सहित प्रार्थना पत्र दिनांक 15 सितम्बर, 2015 तक स्वीकार किया जा सकता है।
समाधान योजना अपनाने वाले व्यापारियों को योजना के अनुरूप गेहूं की खरीद करने पर क्रय कर देय नहीं होगा। रोलर फ्लोर मिल या आटा चक्की की अधिष्ठापित क्षमता की जांच करने के लिए कर निर्धारण अधिकारी स्वतंत्र होंगे, क्षमता के सम्बन्ध में विवाद की स्थिति में ज्वाइण्ट कमिश्नर (कार्य पालक) वाणिज्य कर का निर्णय अन्तिम होगा। एक बार समाधान हेतु विकल्प अपनाने के पश्चात् इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। विवादित बिन्दु पर कमिश्नर, वाणिज्य कर का निर्णय अन्तिम होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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