बौद्धिक संपदा बनाम कौशल का विकास संपदा के अधिकार बारे में अन्य हितधारकों के लिए व्यावसायिकता का समाज पर प्रभाव बिषय पर डा़ एस बी घोष की स्मृति में सहयोग स्वालम्बन समिति तथा लाइफ फाउडेशन द्वारा आयोजित समारोह में विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों, लखनऊ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्वानो ने भाग लिया ।कार्यक्रम में डॉ सूर्यकान्त, ने बौद्धिक संपत्ति का उल्लंघन के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि कौशल का विकास उनके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। राष्ट्रीय परिदृश्य में बौद्धिक संपदा अधिकारों को समझे तभी स्वदेशी ज्ञान सुरक्षित रह पायेगाशैक्षिक सम्मेलन में विभिन्न आकृति के बारे में उन्हें जागरूक बनाने के लिए प्रयास गया है। बौद्धिक संपदा अधिकार के मुद्दों सहयोग से वैश्विक समाज में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है और इसलिए इस कार्यशाला में ले लिया ह।ैमुद्दों पर विचार-विमर्श के विवरण, वह भारतीय संस्कृति मुक्त ज्ञान साझा करने के लिए है, लेकिन पश्चिमी दुनिया से उधार बौद्धिक संपदा की अवधारणा, नकल के साथ एक परंपरा थी कि कहा या दूसरों के ज्ञान और नवीनता का दावा जानबूझकर या अनजाने में किसी भी विद्वान के लिए आपदाओं हो सकता है। कार्यक्रम में आयोजक मंडल की मीताश्रीघोष, डा़ जे बी घोष ने डॉ सूर्यकान्त, डॉ अनिल कुमार मिश्रा, डॉ ए के सिंह, डॉ ए पी गुप्ता, डॉ अंशु केडिया, कर्नल प्रताप तिवारी सहित अनेक विद्वानों केा डा़ एस बी घोष की स्मृति पुरूस्कार से सम्मानित किया। कार्यक्रम मेंरितु अनुराग,तुषार ,बिवेक का विशेष सहयोग रहा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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