गीता सिर्फ धार्मिक ग्रन्थ नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति से जुड़ा हुआ ग्रन्थ हैश् - डाॅ0 साधना मिश्रा, अध्यक्षा उत्तर प्रदेश संस्कृत सस्थानम।
श्मनुष्य के रूप में जन्म लेना ही कष्टों का सामना करना हैश् - महंत दिव्यागिरी, प्रमुख मनकामेश्वर मंदिर।
जब तक धरा में मानव प्रजाति है तब तक गीता ज्ञान की प्रासांगिकता बनी रहेगीश् गदाधर नारायण सिन्हा, पूर्व पुलिस महानिदेशक उ0 प्र0।
श्गीता में कर्म की प्रधानता है और कहा गया है कि कर्म मे ही अधिकार है फल में नही। कर्म में बुद्वि और बुद्वि में विवेक जरूरी हैश् - विनोद शंकर मिश्र, चिंतक।
गीता मानवता का पाठ पढ़ाती है- महेन्द्र भीष्म, साहित्यकार।
श्भारत व पाकिस्तान के मतभेदों का समाप्त होना ही मेरी सच्ची ईदीश् - मरयम आसिफ सिद्दीकी
श्रीमद्भगवद्गीता पर आधारित हिन्दू - मुस्लिम भाईचारे को समर्पित होगा हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट का अगला कार्यक्रम श्राम भी रहीम भीश् - हर्षवर्धन अग्रवाल।
हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा श्रीमद्भगवद गीता के ज्ञान को लोगों तक पहुॅंचाने हेतु रविवार 12.07.2015 को उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब, लखनऊ में परिसंवाद, श्वर्तमान परिपेक्ष्य में गीता ज्ञान की प्रासांगिकताश् का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ। तत्पश्चात् कार्यक्रम के गणमान्य वक्तागणों डाॅ0 साधना मिश्रा, अध्यक्षा उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम्, महंत दिव्या गिरी, प्रमुख मनकामेश्वर मंदिर, श्री गदाधर नारायण सिन्हा पूर्व पुलिस महानिदेशक उ0 प्र0, श्री विनोद शंकर मिश्रा, पूर्व बिक्रीकर आयुक्त व चिंतक, कथाकार श्री महेन्द्र भीष्म, सुश्री मरयम सिद्दीकी, विजेता, इसकाॅन गीता चैम्पियन लीग प्रतियोगिता, मुम्बई, श्री हर्षवर्धन अग्रवाल फाउण्डर ट्रस्टी हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के फाउण्डर ट्रस्टी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी गणमान्य वक्ताओं का प्रतीक चिन्ह द्वारा स्वागत किया व कहा श्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने सत्य की रक्षा के लिये अर्जुन को अपने सगे सम्बन्धियों से यु़द्व करने की सलाह दी थी परन्तु आज के युग में लोग सिर्फ अपने स्वार्थ के लिये अपने सगे सम्बन्धियों का अहित कर रहे हैं न कि सत्य की रक्षा के लिये। हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट देश में भाईचारा व सौहार्द स्थापित करने हेतु वचनबद्व है व जल्द ही श्रीमदभगवद् गीता के ज्ञान की भावना को देश व विदेश के कोने-कोने में फैलाने हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रम, श्राम भी, रहीम भीश् का आयोजन राष्ट्रीय व अन्र्त राष्ट्रीय स्तर पर करेगा।श्
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये डा0 साधना मिश्रा ने कहा कि श्निष्काम कर्म की जो व्याख्या गीता में दी गयी ह,ै वह अन्य किसी ग्रन्थ में नहीं है। यह ग्रन्थ मात्र धार्मिक ग्रन्थ ही नही बल्कि संपूर्ण मानव जाति से जुडा हुआ ग्रन्थ है।श् गीता एक षाष्वत सत्य पुजं है और सत्य की प्रासंगिकता देश और काल से ऊपर होती है। गीता भूत वर्तमान और भविश्य तीनों कालों में प्रासगिक है। गीता हमारी जीवनशैली और जीवन कला से जुड़ी एक ऐसी संहिता है जो सम्पूर्ण जीव तत्व को निर्देशित करती है।
माननीया महंत दिव्यागिरी जी ने कहा श्मनुष्य को जन्म लेते ही कष्टों का सामना करना पड़ता है। भगवान विष्णु ने भी जब कृष्ण रूप में धरती पर अवतार लिया तब उन्हें भी बहुत कष्टों का सामना करना पडा़। लेकिन भगवान कृष्ण तब भी प्रसन्नचित्त व रसमय थे। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने मनुष्य को अनेक कष्टों के होते हुए भी प्रसन्नचित्त रहने की शिक्षा दी है।
विनोद शंकर मिश्र ने कहा कि श्गीता में कर्म की प्रधानता है और कहा गया है कि कर्म मे ही अधिकार है फल में नही। कर्म में बुद्वि और बुद्वि में विवेक जरूरी है।श् कथाकार श्री महेन्द्र भीष्म ने कहा कि गीता में कर्म को धर्म बताया गया है गीता में कर्म की प्रधानता पर बल दिया गया है अपने वक्तव्य में उन्होनें कहा कि परहित से बड़ा कोई पुण्य और पर पीड़ा से बड़ा कोई पाप नही होता है।
सुश्री मरयम आसिफ सिद्दीकी ने हेल्प यू एजुकेशनल एवं चैरिटेबल ट्रस्ट को धन्यवाद दिया और वर्तमान परिपेक्ष्य में गीता ज्ञान की प्रांसगिकता पर कहा कि गीता निष्काम कर्मयोग सिखाती है। मैंने गीता के साथ-साथ कुरान, बाइबिल व गुरू ग्रन्थ साहब का अध्ययन भी किया है। इन सभी ग्रन्थों से मैने एक ही बात जानी है और वह है मानवता। सभी धर्मग्रन्थ इंसानियत की बात करते हंै फिर क्यों धर्म के नाम पर परस्पर उन्माद फैलाया जाता है। ये उन्माद फैलाने वाले मुट्ठी भर लोग ही होते है पर धीरे-धीरे इनका दायरा फैलता जाता है और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ता चला जाता है। जिसे रोकने की भरपूर कोशिश होनी चाहिए। हम सभी में प्रेम और सौहार्द की भावना होनी चाहिए। यही गीता ज्ञान है और वर्तमान समय में इसकी प्रासांगिकता इंसानियत के अस्तित्व का मूल मंत्र है। रमज़ान का पवित्र महीना चल रहा है। रमज़ान के प्रथम दिन यानि चाॅंदरात को मुझे हमारे देश के प्रधानमंत्री जी श्री नरेन्द्र मोदी जी से मिलने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। मुझे उनसे मिलकर अपार खुशी हुई, क्योंकि वह गुजरात के है और मेरा जन्म भी गुजरात में हुआ है। मेरी अम्मी अहमदाबाद की है। माननीय, प्रधानमंत्री जी से मेरी ढ़ेर सारी बातें हुई थी। मुझे बेहद खुशी हुई जब उन्होनें मुझे धार्मिक ग्रन्थों की एक-एक प्रति अपने हस्ताक्षरित पत्र के साथ भेंट की उन्होने ट्वीट भी किया था कि मै उनकी सबसे छोटी दोस्त हूॅं। अभी परसों की ही बात है रूस के उफा शहर में हमारे प्रधानमंत्री जी व पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म के बीच ऐतिहासिक भेंट हुई है इस बातचीत से दोनांे देशों में सकारात्मक माहौल बन रहा है दोनोें देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है। रमजान के पहले दिन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से मुझे जो सौग़ात मिली है उसी क्रम में आज रमजान के आखिरी अशरे में लखनऊ की सरज़मी से मैें मरयम पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म जनाब नवाज़ शरीफ जी से गुज़ारिश करती हूॅंें कि वह हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की आवाम में अमन चैन के लिए मतभेंदों को खत्म करें और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के साथ सकारात्मक रूख अख्तियार करें। यही पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म जनाब नवाज़ शरीफ साहब से मेरी ईदी होगी। मरयम ने एक शेर भी पढ़ा श्ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाॅंए, अगर ये परिन्दे भी हिन्दू और मुसलमान हो जाॅंए।श्
अध्यक्षीय उद्बोधनः-श्गदाधर नारायण सिन्हा ने कहा कि श्जब तक धरा में मानव प्रजाति है तब तक गीता ज्ञान की प्रासांगिकता बनी रहेगी। हेल्प यू ट्रस्ट को इस आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए उन्होनें कहा कि हेल्प यू ट्रस्ट समाज के लिए अच्छे कार्यक्रम कर रहा है।
संगोष्ठी के बाद श्रोताओं ने वक्तागणों से प्रश्न पूछ संगोष्ठी को रोचक बना दिया श्री एस.के. वर्मा ज्वाइंट रजिस्ट्रार हाई कोर्ट लखनऊ पीठ, श्री अरूण कुमार पूर्व मुख्य अभिंयता, डाॅ0 दिनश कुमार ज्योर्तिविद, डा0 किरन मराली ने पूर्व विभागाध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय ने भी गीता ज्ञान पर अपने प्रश्न रखते हुए विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम के अंत मे श्री मिथिलेश लखनवी ने सबको धन्यवाद दिया एवं कार्यक्रम का संचालन श्री नवल शुक्ला ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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