साम्प्रदायिक शक्तियों का छिपा एजेण्डा धीरे-धीरे सामने आना शुरू हो गया है, सहारनपुर में हुए मामूली विवाद को लेकर दो समुदायों में जिस प्रकार दंगा भड़काने का प्रयास किया गया है, उससे साफ हो गया है कि भाजपा और सपा प्रदेश में चुनाव सन्निकट देखते हुए एक बार फिर प्रदेश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने आज जारी बयान में कहाकि सहारनपुर में मात्र कार की साइड लगने तथा बागपत में मात्र पांच रूपये के विवाद के चलते कुछ साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा इस छोटी सी घटना को इतना तूल दिया गया और माहौल को खराब करने का प्रयास किया गया कि उसने दंगे का रूप ले लिया। इन सब घटनाओं से स्पष्ट होता है कि यह घटना एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत होती प्रतीत होती है तथा ऐसा लगता है कि पश्चिमी उ0प्र0 में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने में साम्प्रदायिक शक्तियां जुटी हुई हैं किन्तु राज्य सरकार आंख मूंदे सिर्फ मूकदर्शक बनी हुई है। जबकि वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर में एक छोटी सी घटना ने भयंकर साम्प्रदायिक दंगों में परिवर्तित हुई जिसमें तमाम निर्दोष लोगों को जान-माल का नुकसान हुआ और प्रदेश सरकार अभी उन घटनाओं से सबक नहीं ले रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि मेरठ में जिस तरह प्रदेश के एडीजी कानून व्यवस्था ने कहा कि पश्चिमी उ0प्र0 में सौहार्द कायम रखना चुनौती है, इस बयान से भी साफ होता है कि प्रदेश सरकार की जानकारी में है कि पश्चिमी उ0प्र0 में सामाजिक सौहार्द की स्थिति तनावपूर्ण है और प्रदेश सरकार अपना दायित्व निर्वहन करने में असफल है। क्योंकि इतनी जानकारियों के बाद भी अगर साम्प्रदायिक घटनाएं घट रही हैं तो सवाल यह उठता है कि सरकार इन घटनाओं को रेाकने के लिए क्या प्रयास कर रही है।
कंाग्रेस पार्टी मांग करती है कि राज्य सरकार विघटनकारी शक्तियों को चिन्हित कर उनके ऊपर कड़ी कार्यवाही करे एवं बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था पर अविलम्ब श्वेत पत्र जारी करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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