पिछ्ले एक साल में देश की सरकार असहमति के स्वर सुनने को तैयार नही है ए बल्कि अपनी विरोधी अवाज़ों को कुचलने पर उतारु है द्य यहा तक कि आर्थिक सुरक्षा के नाम पर असहमति के स्वरो को रास्ट्रद्रोही तक करार देने का दोर शुरु हो गया है द्य यह विचार प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता डा हर्ष मंदर ने आज लखनऊ में प्रमुख वामपंथी नेता कामरेड अर्जुन प्रसाद स्मृति समारोह के तहत आयोजित सेमिनार में स्थानिय राय उमानाथ बली सभागार मे बोलते हुये कहीद्य सेमिनार का विषय ष्ष्वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और साम्प्रदायिक फांसीवादी खतरेष् था
डा हर्ष मंदर ने कहा कि पिछ्ले एक साल में मोदी सरकार आने के बाद संविधान पर अलग अलग तरह के हमले हुये हैं द्यइसमे सबसे से ज्यादा हमला बंधुत्बए आज़ादी और समानता पर हुआ है द्य जबकि डा अम्बेदकर ने कहा था कि ष्लोकाशाही के लिये बंधुत्बए आज़ादी और समानता बहुत ज़रुरी हैं ष् उन्होने कहा कि इस सब के चलते गरीबए मज़दूरए अल्पसंख्यक और धर्म निरपेक्षता मे यकीन रखने बाले बहुत मायूस निराश और डरे हुये हैंद्य लेबर कनून सुधार और भूमि अधिग्रहण कानून इसके उदाहरण हैं मोदी सरकार उधोग घरानो के लिये काम कर रही है और हिंदुत्त्व वादी तकतो को मज़बूत करने पर लगी है
डा हर्ष मंदर ने अपील की कि आज देश के बंधुत्त्व को बचाने के लिये सीना तान कर लडाई लड्ने की ज़रुरत है अगर ऐसा नही हुआ तो मानव समाज के लिये बहुत दुर्भग्यशाली होगा द्य
सेमिनार मे जनवादी लेखक संघ के उप महसचिव संजीव कुमार ने कहा कि मोदी का उभार हिंदुत्व और बडे उधोग घरानो कि मिली भगत है द्य जिसके चलते हुये साम्प्रदायिक ताकतो का मनोबल काफी बडा है और अभिव्याक्ति कि आज़ादी पर एक के बाद एक हमले हुये हैं
उन्होने कहा कि नवउदारवादी व्यावस्था और साम्प्रदायिक उन्माद में गहरा सम्वंध है साम्प्रदायिकता इस व्यवस्था का हिस्सा है जिसे सोच समझ कर पैदा किया गया है और नवउदारवादी व्यावस्था की कमियों और दुष्परिणामो ने साम्प्रदायिक तकतो को खाद पानी देने का काम किया है इस लिये साम्प्रदायिकता को खत्म करने के नवउदारवादी ढाचे पर प्रहार करने की ज़रुरत है द्य
इससे पहले शुरुआत में प्रशांत त्रिवेदी ने कामरेड अर्जुन प्रसाद के वयक्तित्व पर प्रकाश डाला और रिषी श्रीवस्ताव ने संचालन किया तथा नगर के गणमान्य नगरिको ने कामरेड अर्जुन प्रसाद के चित्र पर पुष्प चडा कर श्रधांजली दी
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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