समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने आज यहां कहा है कि गत दिवस हाशिमपुरा (मेरठ) और मलियाना के पीडि़तों ने आकर अपना दर्द नेताजी से बयान किया। ये वे लोग थे जो 28 वर्षो से उत्पीड़न के शिकार रहे है। हाशिमपुरा और मलियाना में कांग्रेस के शासनकाल में 115 लोग मारे गए थे। इनके परिवारीजन भयंकर त्रासदी में जी रहे हैं। श्री मुलायम सिंह यादव ने उनकी मदद का भरोसा दिलाया, उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और समाजवादी सरकार ने मृतक आश्रितों को 5-5 लाख रूपए की आर्थिक मदद कर दी तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ? पीडि़तों की सुध लेना कहां से वोट बैंक की राजनीति हो गई ? कुछ विपक्षी दल तो इतने अमानवीय हो गए हैं कि उनकी पीडि़तों के प्रति कोई संवेदना नहीं है, उन्हें तो बस हर काम में राजनीति ही दिखती है।
समाजवादी पार्टी हमेशा गरीबों, मजलूमों की हमदर्द रही है। नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव हमेशा उनके प्रति संवेदनशील रहे हैं। उन्होने बिना किसी भेदभाव के हिन्दू-मुस्लिम या अगड़ा पिछड़ा अथवा दलित सोचकर नहीं, जो भी अपना दर्द लेकर पहुॅचा, उसकी भरसक मदद की। किसान, नौजवान, अल्पसंख्यक सहित समाज के सभी वर्गो के हित में समाजवादी सरकार ने कदम उठाए है। किसानों को बेमौसम बरसात की मार झेलनी पड़ी। पीडि़त किसानों एवं उनके परिजनों को राहत देने का काम मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने किया है। केन्द्र की मदद आने की परवाह किए बगैर उन्होने प्रदेश के खजाने से किसानों की मदद की है।
सच तो यह है कि कुछ ताकतें प्रदेश में साप्रदायिकता का जहर फैलाने की साजिशें लम्बे समय से करती रही है। ये ताकतें चाहती है कि सामाजिक तानाबाना टूटे, परस्पर सद्भाव का माहौल खराब हो और विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच नफरत की दीवारें खड़ी कर दी जाएं। समाजवादी पार्टी और सरकार इन ताकतों का खेल भलीभांति समझती है और वह इन्हें अपने खोल में बंद रहने का मजबूर किए है। प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की उनकी साजिशें इसलिए सफल नहीं हो सकी है।
समाजवादी सरकार जब समाज के कमजोर वर्गो की हिमायत में कोई कदम उठाती है तो उसे तुष्टीकरण की संज्ञा दी जाने लगती है। विकास के एजेण्डा पर काम कर रही समाजवादी सरकार के कामों में रोड़ा अटकाने की कोशिशें शुरू हो जाती है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सही कहा है कि सांप्रदायिक होना आसान है, धर्मनिरपेक्ष होना कठिन। प्रदेश में ऐसे भी दल और लोग हैं जो समाज में गैर बराबरी बनाए रखना चाहते हैं।उनका धंधा समाज में फूट डालना है। वे संवेदनाविहीन हैं और गरीबों, पीडि़तों की तकलीफों को कम करने की समाजवादी पार्टी की नीतियों की खिलाफत करते हैं। वे जो चाहते हैं वह सफल नहीं होगा क्योंकि समाजवादी पार्टी और सरकार के रहते सांप्रदायिकता कभी खुराक नहीं पा सकेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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