प्रदेश की राजधानी सहित विभिन्न शहरों में जहां फल और सब्जियां आम आदमी की जेब काट रही हैं तथा उनके मूल्य आसमान छू रहे हैं वहीं सरकार का मूल्य थोक सूचकांक फल और सब्जियों के मूल्य में गिरावट दिखा रहा है जिससे स्पष्ट है कि किसानों को मिलने वाला सारा का सारा फायदा केन्द्र और प्रदेश सरकार बिचैलियों को देने पर तुली हुई है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने एसोचैम द्वारा जारी किया गया एक आंकड़े का उल्लेख किया है जो निम्नवत है - प्याज थोक बाजार में 32प्रतिशत नीचे चला गया लेकिन खुदरा बाजार में इसकी कीमत 29 प्रतिशत ऊपर चली गयी है। अदरक थोक बाजार में 18 प्रतिशत नीचे चला गया लेकिन खुदरा बाजार में इसकी कीमत 16 प्रतिशत ऊपर चली गयी है। इसी प्रकार बैंगन थेाक बाजार में 19 प्रतिशत नीचे चला गया है लेकिन खुदरा बाजार में इसकी कीमत 16 प्रतिशत ऊपर चला गया है। टमाटर थोक बाजार में 11 प्रतिशत नीचे गया है लेकिन खुदरा बाजार में इसकी कीमत 10 प्रतिशत ऊपर चली गयी है। यही नहीं लखनऊ के पास थोक बाजार में जो फल और सब्जियां काफी नीचे दामों पर किसानों से खरीदी जा रही हैं जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा है। थोक बाजार में किसान से लौकी एवं कद्दू लगभग चार रूपये प्रति किलो, तुरई लगभग 14 रूपये प्रति किलो, भिण्डी लगभग 18 रूपये किलो और करेला लगभग 25 रूपये किलो, लोबिया एवं हरी धनिया लगभग 20 रूपये किलो खरीदा जा रहा है जिससे किसान को उसकी लागत का मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है और यही सब्जियां लखनऊ के उपभोक्ता को आसमान छूते मूल्यों पर मिल रही हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि अगर उपभोक्ताओं एवं किसानों को थोक मूल्य सूचकांक का फायदा नहीं मिल रहा है तो केन्द्र की मोदी सरकार तथा प्रदेश की अखिलेश सरकार को बताना चाहिए कि आखिर जेबें किसकी भरी जा रही हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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