उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय की मनमानी से तीस हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। जहां एक ओर 12 मई से सेमेस्टर परीक्षा शुरू होने हैं वहां इन छात्रों का रिजल्ट अभी तक उ0प्र0 तकनीकी विश्वविद्यालय ने अपडेट ही नहीं किया है और इसका मुख्य कारण यूपीटीयू के प्रशासन द्वारा रिजल्ट बनाने के लिए अपनी मनपसंद निजी एजेंसी का चयन है। जो कि यूनिवर्सिटी में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है इसको दर्शाता है।
प्रवक्ता ने कहा कि इतनी भारी संख्या में युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है और प्रदेश के मुखिया आये दिन शिक्षा की गुणवत्ता पर लम्बे-चैड़े भाषण देकर युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि प्रदेश में शिक्षा विभाग में किस हद तक भ्रष्टाचार बढ़ चुका है, यूपीटीयू की यह घटना सिर्फ बानगी मात्र है।
श्री राजपूत ने कहा कि उत्तर प्रदेश गंभीर शिक्षा संकट की ओर बढ़ रहा है। नियुक्तियों में पारदर्शिता न होने के कारण जिस प्रकार से विश्वविद्यालयों के कुलपति बर्खास्त हो रहे हैं यह अपने आप में चयन प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। इसका ताजा उदाहरण चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्राद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो0 मुन्ना सिंह का निलम्बन है। इससे पहले भी सात कुलपतियों को हटाया जा चुका है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने मांग की है कि यूपीटीयू के उक्त एजेंसी के चयन में व्याप्त धांधली की राज्य सरकार को उच्च स्तरीय जांच करायी जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। साथ ही विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में हो रही अनियमितता को रोकने हेतु चयन प्रक्रिया को पूर्ण पारदर्शी बनाने हेतु ठोस कदम उठाने चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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