मानवोत्थान सामाजिक समस्या उन्मूलन एसोसिएशन के संरक्षक त्रिलोक सिंह नेष्तत्ववाधान में एक बैठक में कहा गया कि प्रदेश का दर्पण कहे जाने वाली राजधानी का चेहरा बेतरीब यातायात ने बिगाड़ कर रख दिया है। जिला प्रशासन एवं पुलिस के साथ नगर निगम के काम चलाऊ अभियान एवं अतिक्रमणाकारियों की पहुंच के चलते व्यवसायिक क्षेत्रों में तो सड़क पर कब्जा कर लिया गया है। बैठक में मांग की गई कि व्यवसायिक बाहुल क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरा लगाकर उनकी समीक्षा की जाए और अतिक्रमण कर यातायात अवरूद्ध करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए। बैठक में कहा गया कि शहर में अतिक्रमण को लेकर कई बार हाईकोर्ट भी शासन को फटकार लगा चुका हैं लेकिन भेदभाव के रूप में चलाए जाने वाले अभियान के चलते शहर को कभी भी अतिक्रमण से मुक्ति नही मिली। बैठक में कहा गया कि शहर के मुख्य मार्गो पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए तथा इसकी साप्ताहिक समीक्षा की जाए। उसके आधार पर शहर में नगर निगम, पुलिस और जिला प्रशासन के आला अफसर अभियान चलाए तथा दोषी लोगों पर ऐसी कार्यवाही करे ताकि दूबारा वे अतिक्रमण न कर सके। बैठक संचालन अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण तिवारी ने किया। बैठक को को सम्बोधित करते हुए वशिष्ठ नारायण तिवारी ने कहा कि शहर में शायद ही ऐसा कोई मार्ग होगा जो अतिक्रमण से मुक्त हो।शहर के हजारो ंव्यापरिक प्रतिष्ठान ऐसे है जिनके ग्राहकों के चार पहिया और दो पहिया वाहन घन्टों सड़क पर खड़े रहते है जिसके चलते शहर का यातायात पटीरी से उतरा रहता है। अमीनाबाद, चारबाग, आलमबाग, महानगर, हीवेट रोड़, राजभवन के सामने वाली सड़क से लेकर नक्कास, मेडिकल कालेज की सड़के इस बात की गवाह है कि शहर में भेदभाव के आधार पर अतिक्रमण हटाओं अभियान चलाया जाता है। यह भी कहा गयाकि शहर अतिक्रमण हटाने वाले ही खर्च पानी लेकर अतिक्रमण करा देते है इसकी भी जाॅच होनी चाहिए और ऐसे कर्मचारी अधिकारियों को चिन्हित कर उन्हें भी दण्डित किया जाना चाहिए।बैठक में मांग की गई है कि अगर इन संवेदनषील जगहों पर कैमरे लगाए जाए तथा इनकी मासिक समीक्षा की जाए तो पता चल जाएगा की शहर को बेतरीब यातायात देने के लिए कौन जिम्मेदार है। उधर बैठक में महामंत्री टीबी सिंह ने शासकीय चिकित्सालय में तैनात स्टाफ और चिकित्सकों द्वारा मरीजों से किए जा रहे बर्ताव की निन्दा करते हुए कहा कि गत दिवस प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ऐसेी स्थिति से दो चार हो चुके है इसके बावजूद शासकीय चिकित्सालयों में कोई सुधार नही है। उन्होंने उदाहारण देते हुए कहा कि सिविल में तैनात अधिकत्तर स्टाफ का व्यवहार मरीजों तथा उनके परिजनों के साथ कितना असंवेदनषील है।ऐसे में पीडि़त परिजन अगर परेषान होकर आपा खो दे और इनके साथ मारपीट कर बैठे तो कर्मचारी आन्दोलन की धमकी देंगे जबकि वास्तविक रूप से गल्ती उनकी ही होगी। बहरह बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि जब मुख्यमंत्री आवास के करीब स्थिति सिविल चिकित्सालय में कर्मचारियों की मनमानी का यह आलम है तो अन्य चिकित्सालयों का क्या हाल होगा। बैठक में कहा गया कि जल्द ही समिति सिविल के असभ्य शब्दों का उपयोग करने तथा मरीजों को झिड़कने वाले कर्मचारियों की एक सूची मुख्यमंत्री को भेजकर कार्रवाई की मांग करेंगे। इस बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अतुल दुबे, राजमणि पाण्डेय, डीएम भट्ट, जेपी शुक्ला, गुलाब सिंह, ओमप्रकाष गुप्ता,अनिल कुमार सिंह, समर बहादूर यादव, महिउद्ीन, सुबोध यादव, विमलेष कुमार,शेष नाथ पाण्डेय, चित्रगुप्त श्रीवास्तव, कमला सिंह आदि मौजूद थे।।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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