उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति, श्री राम नाईक ने चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति, प्रो0 मुन्ना सिंह को तात्कालिक प्रभाव से निलम्बित कर दिया है। निलम्बन काल में प्रो0 मुन्ना सिंह को कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय के कार्यालय से नियमानुसार सम्बद्ध किया गया है।
श्री नाईक ने प्रो0 मुन्ना सिंह के विरूद्ध उनके कदाचारों/प्राप्त शिकायती प्रत्यावेदनों की अंतिम/विभागीय जाँच हेतु पृथक से एक तीन सदस्यीय जाँच समिति गठित की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल द्वारा पूर्व में प्रारम्भिक जाँच हेतु तीन सदस्यीय जाँच समिति का गठन किया गया था जिसके अध्यक्ष, श्री न्यायमूर्ति एस0के0 त्रिपाठी, पूर्व न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद तथा सदस्य, श्री मिल्खा सिंह औलख, कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा एवं डाॅ0 अख्तर हसीब, कुलपति, नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, फैजाबाद थे। जाँच समिति ने अपनी जाँच आख्या दिनांक 8 अप्रैल, 2015 को राज्यपाल को प्रस्तुत की थी।
जाँच रिपोर्ट में कुलपति, प्रो0 मुन्ना सिंह को (1) शिक्षकों की नियुक्ति हेतु अवैध रूप से पद सृजित करने, (2) अभ्यर्थियों के चयन हेतु निर्धारित मानकों में अवैध रूप से परिवर्तन करने, (3) शिक्षकों के चयन हेतु जारी किये गये विज्ञापन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता को न्यून करने, (4) कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यक्रम समन्वयकों के चयन हेतु निर्धारित मानकों को अवैध रूप से न्यून करने, (5) अभ्यर्थियों से उनकी नियुक्ति हेतु प्रोफेसर मुन्ना सिंह की पत्नी द्वारा अवैध रूप से बड़ी धनराशि की मांग करने पर एक अभ्यर्थी द्वारा उनकी आवाज को टेप करते हुए निर्मित की गयी सी0डी0 की सत्यता को प्रो0 मुन्ना सिंह द्वारा परोक्ष रूप से स्वीकार करने, (6) अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिये निर्धारित आरक्षण के प्रतिशत को जानबूझकर अवैध रूप से बढ़ा देने तथा (7) अनुचित उद्देश्य की पूर्ति हेतु अभ्यर्थियों का साक्षात्कार विश्वविद्यालय परिसर में न लेकर आई0आई0एस0आर0, लखनऊ में सम्पन्न करने आदि के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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