कृषि सांख्यिकी

Posted on 29 April 2015 by admin

कृषि राज्ययमंत्री श्री मोहन भाई कुंदारिया ने लोकसभा में बताया कि क्षेत्र वार उत्पाीदन और प्रमुख कृषि फसलों की पैदावार से संबंधित भरोसेमंद आकलन सूक्ष्मा स्त्र पर कृषि संबंधित योजना बनाने के लिए बहुत आवश्य क है। हालांकि कृषि अनुमानों का सकल योग न होना भी जिला और प्रशासनिक अनुक्रम में कृषि योजना के लिए आवश्योक है।
वर्तमान में प्रचलित प्रणाली के अनुसार केन्द्रि सरकार विभिन्नन राज्यों  और संघ शासित प्रदेशों में राज्यप कृषि सांख्यिकी प्राधिकरण से प्राप्तर आंकड़ों के आधार पर प्रमुख फसलों के लिए अखिल भारतीय अनुमान तैयार करती है। राज्ये सरकारें 20 प्रतिशत गांवों के आंकड़ों के क्षेत्रवार गणना और क्षेत्र गणना के लिए चुने गए गांवों में फसल कटाई अनुभवों द्वारा पैदावार का अनुमान लगाती है। राज्यग और संघ शासि‍त प्रदेशों में क्षेत्र आकलन का जमीनी कार्य राजस्वल और कृषि विभाग के कर्मचारी द्वारा किया जाता है।

प्रोफेसर एण्वैद्यनाथन की अध्‍यक्षता में गठित एक विशेषज्ञ समूह ने महसूस किया है कि प्राथमिक कामगारों को दी गई कई जिम्मेगदारियों और सीसीई की बढ़ती संख्याे के कारण बढ़ रहे काम के दबाव के कारण प्राथमिक आंकड़ों की गुणवत्ताई में गिरावट आ रही है। इसके चलते राज्यव तथा राष्ट्री़य स्तईर पर क्षेत्रवार उत्पागदन और फसलों की पैदावार से संबंधित अनुमानों के स्ततर में गिरावट आ रही है।

वर्तमान में राज्योंअ और संघ शासित प्रदेशों में फसलों पर आधारित कृषि अनुमान की जिम्मेनदारी राज्यय और संघ शासित प्रदेशों और कृषि व राजस्वष विभाग के निर्धारित सांख्यिकी कर्मी को दी जाती है। हालांकि कृषि अनुमानों की गुणवत्ताा फील्डव कमिर्यो द्वारा एकत्र आंकड़ों गुणवत्ता  पर निर्भर करती है। इसमें ध्या‍न देने योग्यक बात यह है कि जिला और राज्यड स्त र पर अनुमानों को एकत्र और तैयार करने की जिम्मेेदारी राज्यल सरकारों व स्व्तंत्र एजेंसी की होती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

April 2025
M T W T F S S
« Sep    
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
-->









 Type in