जन्म दिन से दो दिन पूर्व केदारनाथ कपाट खोल कर अभीभूत हुए हरीश रावतरु हरीश रावत की रणनीति रही कामयाबरु भाजपा के प्रति देशभर में एक नकारात्मक संदेशरुकेदार मंदिर में अजीब शक्ति का अनुभव हुआय राहुल रु भाजपा में हडकम्प रुकांग्रेस गदगद रुभाजपा खासतौर से मोदी ने स्वर्णिम अवसर गंवायारु मोदी जी ने उत्तराखण्ड सांसदो की तरह केदारनाथ की भी उपेक्षा कर दी रुमोदी जी ने केदारनाथ आने का वायदा किया था रु हरीश रावत की रणनीति रुराहुल गॉधी हिन्दुदत्वे के ब्रांड अम्बेसडर बन गये रुचिढी व नाराज भाजपा इसे राहुल की नौटकी बताने में लगीरु जन्मत दिन से दो दिन पूर्व केदारनाथ कपाट खोल कर अभीभूत हुए हरीश रावत रुजन्मदिनि से दो दिन पूर्व राजनीति के धुर खिलाडी हरीश रावत ने वह कर दिखाया जिसकी कल्पना दिल्ली में बैठे बडे बडे कांग्रेसी नेताओं ने भी नही की थी रुहिंदुओं की आस्था के केंद्र 11वें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर में कपाट खुलने के उपरांत राहुल गॉधी से पूजा अर्चना करवा कर एक ऐसा संदेश चला गया जिससे भाजपा में हडकम्प मच गया रुहरीश रावत की विशेष रणनीति से ही सफल हो सका रु27 अप्रैल को अपने जन्मादिन से दो दिन हरीश रावत ने कांग्रेस के भी सुखद व दूरगामी संदेश के कपाट खोल दियेरु देश भर से आये श्रद्वालुओं के बीच राहुल गॉधी का इस तरह हिन्दुीओं के आस्था के प्रतीक केदारनाथ में 18 किमी0 पैदल चलकर आने से बहुत अच्छाद व सकारात्मक संदेश चला गयारु इस बात को भाजपा ने जब तक महसूस किया तब तक बहुत देर हो चुकी थीरु
राहुल गॉधी ने बाबा केदार के दर्शन कर कहा कि केदार मंदिर में जाने के बाद अजीब शक्ति का अनुभव हुआए इससे भाजपा में भयातुर हो हडकम्प मच गयाए वही कांग्रेस गदगद हो गयीए हालांकि भाजपा ने ही स्वर्णिम अवसर गंवायाए ज्ञात हो कि पीएम बनने से पूर्व ही मोदी जी ने केदारनाथ आने का वायदा किया थाए इधर हरीश रावत की रणनीति काम कर गयी और भाजपा के प्रति देशभर में एक नकारात्मक संदेश चला गयाए राहुल के आने और अलग अंदाज़ में पदयात्रा करके धाम तक जाने से राहुल गॉधी अपने आप में हिन्दुात्वब ब्रांड अम्बेसडर बन गये हैं। देश विदेश से खचाखच भरे केदारनाथ मंदिर में यह सब हुआए कांग्रेस गदगद होकर फूली नही समा रही है वही भाजपा इसका जवाब देने की तैयारी में लग गयी हैए चिढी व नाराज भाजपा इसे राहुल की नौटकी बताने में लग गयी हैए हिमालयायूके डॉट ओआरजी न्यूआज पोर्टल सम्पा दक चन्द्रौशेखर जोशी को आयी मेल यह र्इशारा कर रही है. मेल में कहा गया है कि. श्र ब् टलंे रण्बण्अलंे/हउंपसण्बवउ ब्वदमिेे पे ंदजप.भ्पदकने तिवउ पजश्े पदबमचजपवदण् त्ंीनस बंद कव ंसस दवजंदापे इनज दमअमत तमचतमेमदजमक अवपबम व िभ्पदकने ण् त्महंतकेण् श्रब् टलंे वही केदारनाथ में भाजपा नेता अजेन्द्र अजय ने कहा कि राहुल गॉधी एक टूरिस्टभ् की तरह आये और चले गयेए
कपाटोद्घाटन के अवसर पर श्रद्धालुओं की उपस्थिति से अभीभूत सीएम श्री रावत ने भी पूरे उत्साह के साथ बाबा केदार के जयकारे लगाये तथा वह स्वअयं झूमने लगे तथा इस अवसर पर फिल्म जगत के मशहूर सूफीयाना गायक कैलाश खेर व स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत बाबा केदार के भजनों पर काफी देर तक झूमे।
जन्मदिनि से दो दिन पूर्व राजनीति के धुर खिलाडी हरीश रावत ने वह कर दिखाया जिसकी कल्पना दिल्ली में बैठे बडे बडे कांग्रेसी नेताओं ने भी नही की थीए हिंदुओं की आस्था के केंद्र 11वें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर के कपाट शुक्रवार 24 अप्रैल 15 को सुबह 8ण्50 बजे मंत्रोच्चारण के साथ खुलने के उपरांत कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गॉधी से पूजा अर्चना करवा कर एक ऐसा संदेश चला गया जिससे भाजपा में हडकम्प मच गया। वही बाबा केदारनाथ की पूजा करके बहुत कुछ ताकत प्राप्त कर लीए हालांकि राहुल गॉधी ने बाबा केदार के दर्शन कर कहा कि मैं मंदिर में भगवान से कुछ अपने लिए नही मांगता परन्तु केदार मंदिर में जाने के बाद अजीब शक्ति का अनुभव हुआए वही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का उत्तराखंड दौरा न सिर्फ कांग्रेस के लिये राष्ट्रीय स्तर पर एक सुखद संदेश दे गया बल्कि चारधाम यात्रा के मद्देनज़र राज्य की सरकार के लिये भी एक अच्छा व दूरगामी संदेश तथा विशेषकर संजीवनी बूटी का काम कर गया है। अचानक बदले घटनाक्रम से जहां भातरीय जनता पार्टी में हडकम्प व बेचैनी व्याप्त हो गयी है वहीँ कांग्रेस गदगद है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि राहुल के बाबा केदारनाथ धाम आने का कार्यक्रम एकदम अचानक बना क्योंकि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक उनको अपने चुनाव क्षेत्र अमेठी जाना था। लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष नें जिस अंदाज में गौरीकुंड से केदारनाथ धाम का सफर पैदल तय किया वह अपने आप में न सिर्फ अनोखा है बल्कि शायद पहली बार कोई किसी राजनेता नें पैदल सफर किया है।
यह सब हरीश रावत की विशेष रणनीति से ही सफल हो सकाए वही 27 अप्रैल को अपने जन्मौदिन से दो दिन पूर्व केदारनाथ के कपाट विशेष पूजा अर्चना के साथ कांग्रेस के युवराज के साथ खुलवा कर मानो हरीश रावत ने कांग्रेस के भी सुखद व दूरगामी संदेश के कपाट खोल दियेए देश भर से आये श्रद्वालुओं के बीच राहुल गॉधी का इस तरह हिन्दुीओं के आस्था के प्रतीक केदारनाथ में 18 किमी0 पैदल चलकर आने से बहुत अच्छाध व सकारात्मुक संदेश चला गयाए इस बात को भाजपा ने जब तक महसूस किया तब तक बहुत देर हो चुकी थीए
ज्ञात हो कि 2013 में केदारनाथ में आयी आपदा के उपरांत गुजरात के मुख्यसमंत्री के रूप में आये श्री नरेन्द्र मोदी को उस समय कांग्रेस के तत्काकलीन मुख्य मंत्री ने केदारनाथ जाने की अनुमति नही दी थी उस समय भाजपा ने प्रधानमंत्री बनने के उपरांत सबसे पहले केदारनाथ आने तथा पुनर्निर्माण का वायदा किया था परन्तुं प्रधानमंत्री बनने के एक वर्ष उपरांत भी केदारनाथ की ओर रूख तक न किये जाने से यह महसूस किया जाने लगा कि मोदी केदारनाथ जी की उपेक्षा कर रहे हैंए तथा बाबा के दरबार में मोदी के बारे में असत्यल बयान दिया गयाए वही राहुल गाधी ने बिना कार्यक्रम के 18 किूमी पैदल यात्रा कर केदारनाथ पहुंच कर मानो एक एक विशेष शक्ति प्राप्तग कर लीए देश विदेश के मीडिया से एक सकारात्म क संदेश कांग्रेस के पक्ष में गयाए यह सब संभव कर पाये कांग्रेस के धुर खिलाडी हरीश रावतए भाजपा तथा मोदी की इस असफलता व नकारात्मकक संदेश के बीच जहां राहुल गांधी नें गौरीकुंड केदारनाथ तक की अपनी पदयात्रा के दौरान जगह जगह रुक कर यात्रा मार्ग पर आ रही कठिनाइयों को न सिर्फ देखा बल्कि जानकारी भी ली। इतना ही नहीं बल्कि लिनचोली जहां उन्होंने अपने साथ चल रहे कारवां के साथ रात्रि विश्राम के लिये पडाव डाला वहां काम में लगे मजदूरों के बीच बैठ कर उन्होंने उनके साथ चाय पी और उनका हाल चाल भी जाना।
जन्मैदिन से दो दिन पूर्व केदारनाथ का कपाट सफलतापूर्वक खुलवाने वाले सूबे के लोकप्रिय मुख्योमंत्री के रूप में शुमार हुए हरीश रावत जन्म २७ अप्रैलए १९४८ को अल्मोडा जिले की भिकियासैंण तहसील में मोहनरी गांव के किसान श्री राजे सिंह के यहां हुआ। बचपन में ही हरीश रावत जी के पिता का निधन हो गया था। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के निकटवर्ती विद्यालय में ही हुई थी लेकिन आप इन्टर पढने रामनगर चले गये थे। अपनी युवा अवस्था में ही आप राजनीति में सक्रिय हो गये थे। आपने भिकियासैंण के ब्लाक प्रमुख से राजनैतिक पारी प्रारम्भ कर एक सामान्य पितृ विहीन युवक के राजनैतिक संघर्ष में स्वंय को स्थापित करने की क्षमता दिखायी। आपका बचपन से ही रूझान जनसेवा पूर्ण राजनीति की ओर रहा। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आपने अल्मोडा के भिकियासैंण ब्लाक से ब्लाक प्रमुख का चुनाव लडकर विजय प्राप्त की थीए लेकिन प्रतिद्वन्दी ने आपकी उम्र कम होने के कारण न्यायपालिका में वाद दायर किया ए जिसके कारण आप ब्लाक प्रमुख पद से हट गये। इसके बाद ही आप जनआन्दोलन में सक्रिय हो गये थे। २८ नवम्बर १९७४ में वन बचाओं संघर्ष समिति के नेत्तृव में नैनीताल में वन की नीलामी का जर्बदस्त विरोध करने पर १८ लोगों के साथ आप ;हरीश रावतद्ध पहली बार गिरफ्तार हुए थे। आपकी गिरफ्तारी का विरोध करते हुए पूरे कुमाऊॅ में छात्रों ने हडताल के साथ बंद करा दिया था। इसी बीच आप रानीखेत के विधायक गोविंद सिंह मेहरा के सम्फ में आयेए जो बाद में आफ ससुर भी बने। सन् १९७६ में आप ;श्री हरीश रावतजीद्ध कांग्रेस में चले गये। आपने लखनऊ में विधायक निवास में रहकर एलएलबी की। वहां तत्कालीन छात्र नेता सी०बी० सिंह के सम्फ में आये जंहा से आपको जुझारूपन की शिक्षा मिलीए सन् १९८० तक आपने अल्मोडा क्षेत्र में अपने कार्यो से अपनी पहचान बनाई। उत्तराखंड के अल्मोडा जनपद को तीन मुख्यमंत्री देने का सौभाग्य मिला हैए अल्मोडा जनपद से हरीश रावत तीसरे मुख्यमंत्री बने हैं। चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक ने आपकी सक्रिय राजनीतिक जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला है।
अल्मोडा में भिकियासैंण और सल्ट तहसील का इलाका स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से ही राजनीतिक गतिविधियों में काफी चर्चित रहा है और ऐसे वातावरण में पले बढे आपका राजनीति से लगाव होना स्वभाविक ही रहा। लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आपने वकालत को अपने जीवन यापन का साधन बनाया लेकिन राजनीति का दामन भी थामे रखा। विद्यार्थी जीवन में ही आपने भारतीय युवक कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। वर्ष १९७३ में कांग्रेस की जिला युवा इकाई के प्रमुख चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के युवा थे। वर्ष १९७३ और १९८० के बीच की अवधि में आप जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक युवक कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों पर रहे। १९८० में कांग्रेस ने आपको अल्मोडा.पिथौरागढ संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनायाए और आपने भारी मतो से विजय हासिल की। फिर इसी संसदीय क्षेत्र से आप तीन बार सांसद रहें । वर्ष १९९२ में आपने अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का महत्वपूर्ण पद संभाला जिसकी जिम्मेदारी आपने १९९७ तक संभाली। राज्य निर्माण के पश्चात आप उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनाये गये और आपकी अगुवाई में २००२ के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को बहुमत प्राप्त हुआ। इसके उपरांत सन् २००९ में यह आपका ;हरीश रावतद्ध का ही करिश्मा था कि आपने हरिद्वार संसदीय लोकसभा सीट से कांग्रेस का वनवास खत्म करा दिया। संघर्ष से उपजेए केवल अपने और अपने दम पर राजनीति में स्थापित ग्रामीण पृष्ठ भूमि के इस संघर्षशील जननेता ने बचपन से ही उत्तराखण्ड का दर्द समझा तथा उसे दूर करने करने के लिए आप हमेशा दृढ प्रतिज्ञ रहे। समय और परिस्थितियां कभी आफ बहुत अनुकूल नही रही परन्तु इसके बावजूद केवल अपनी क्षमताए जुझारूपन से आप उत्तराखण्ड राज्य के सबसे लोकप्रिय जननेता के रूप में छा चुके हैं। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के रूप में जननायक की ताजपोशी पर राज्य की जनता का उत्साह मानो राज्य का गठन सरीखे था। उत्तराखंड के कददावर नेता व करिश्माई नेता व राज्य आन्दोलनकारी के रूप में शुमार किये जाने वाले हरीश रावत जी का करिश्मा २००९ के लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिलाए जब वह ं पूरे राज्य में अपने दम पर बदलाव लाने में कामयाब हुए थे। आपको प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में पहले राज्य मंत्री ओर बाद में कैबिनेट मंत्री का दायित्व दिया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री बनने के बाद जनता की इस जननायक के प्रति दीवानगी ने भी सूबे का माहौल ही बदल दिया।
२ फरवरी २०१४ दिन रविवार को देवभूमि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किये जाने पर विशेष खुशियां मनाई गयी।
कूर्माचल परिषद के महासचिव चन्द्रशेखर जोशी ने उनके मुख्यमंत्री पद पर सुशोभित होने के समय उनसे अपेक्षा की कि इस देवभूमि को सर्वागीण विकास के पथ पर ले जाने हेतु भौतिकए दैहिक एवं आत्मिक सहयोग देने को तत्पर रहते हुए हरीश रावत जिससे यह प्रदेशए राष्ट्र एवं विश्व में अपनी श्रेष्ठता प्रकट कर सके एवं पथ प्रदर्शक भी बनेगे।
चन्द्रशेखर जोशी
देदून उत्तराखण्ड
एक्सक्लूसिव रिपोर्ट