बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज राज्यसभा में व संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में बेमौसम की भारी बारिश व ओलावृष्टि के कारण खड़ी फ़सल बार्बद होने से लाखों किसान परिवारों की जो ज़बर्दस्त बदहाली हुई है उसके प्रति केन्द्र व विभिन्न राज्य सरकारें क़तई गम्भीर व संवेदनशील नहीं लगती हैं। इन पीडि़त किसानों की समुचित आर्थिक मदद नहीं करके, इसकी आड़ में ’’राजनीति’’ ज्यादा की जा रही है, जिस कारण किसानों द्वारा आत्महत्या करने व फसल हानि के सदमें एवं क़जऱ् की मार के कारण सदमें से मौत की घटनायें रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। यह अत्यन्त ही दुखद व चिन्ता की बात है।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि पीडि़त किसानों की सहायता के लिये केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा अनेकों प्रकार की घोषणायें तो की गयी हैं, परन्तु ज़मीन पर उन पीडि़तों को राहत देकर उनके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है। मामूली तौर पर तत्काल मिलने वाली सरकारी सहायता भी एक मज़ाक बनकर रह गई है। फ़ौरी राहत के तौर पर खासतौर से उत्तर प्रदेश में तो 63, 70 व 100 रुपये आदि के चेक दिये जा रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि कुछ राज्यों में तो सरकारी सहायता के चेक बैंक में बाउन्स होकर बेकार हो जा रहे हैं। साथ ही, किसानों की जो थोड़ी फसल बची है, उसकी ख़रीद मण्डी में नहीं की जा रही है। इस सम्बन्ध में सरकारी घोषणायें केवल काग़ज़ी साबित हो रही हैं।
इसके अलावा, सरकारी स्तर पर किसानों को फसल हानि का मुआवज़ा देने की प्रक्रिया को भी सरल व तात्कालिक प्रभाव वाला बनाने की ज़रूरत है। इस प्रक्रिया के जटिल व काफी समय लगने वाला होने से मुआवज़ा देने की सारी व्यवस्था ही पीडि़त किसानों के लिये बेमायनी होकर रह जाती है। इस कारण भी वर्तमान में पीडि़त किसान काफी ज़्यादा हताश व निराश है और वे आत्महत्यायें तक करने को मजबूर हो रहे हैं।
इस मामले में केवल किसान ही नहीं बल्कि जो लोग ’’बटाई’’ पर खेती करते हैं और जिनकी भी फसल काफी ज़्यादा बर्बाद हुई है, उन पर भी केन्द्र व राज्य सरकारों को ध्यान देने की ज़रूरत है। इन सभी मामलों में केन्द्र व राज्य सरकारों को बैंको व साहूकारों आदि से लिये गये ’’क़जऱ् की माफी’’ के लिये तत्काल प्रभावी क़दम उठाना चाहिये। इस प्रकार के सरकारी तत्काल प्रयास इसलिये भी आवश्यक है क्योंकि खेती की आय ही किसानों की आय का एक मात्र ज़रिया होता है और उसका सारा घरेलू कारोबार, पारिवारिक ख़र्चा व निर्वहन सब कुछ उसी खेती की आय पर निर्भर करता है। देश की खाद्य सुरक्षा के मामले में इन किसानों के महत्व को समझते हुये केन्द्र व राज्य सरकारों को तत्काल हर प्रकार की व हर स्तर पर प्रभावी कार्रवाई करने की सख्त आवश्यकता है।
साथ ही, कल दिल्ली के जन्तर-मन्तर में ’’आप’’ पार्टी द्वारा नये भूमि अधिग्रहण क़ानून के विरूद्ध रैली के दौरान् राजस्थान के एक युवा किसान के आत्महत्या करने का जो अत्यन्त दुःखद मामला है, उसकी सी.बी.आई. जांच होनी चाहिये। यह एक संगीन मामला है। वह युवा किसान आत्महत्या करने की चेतावनी देता रहा परन्तु ना तो पुलिस सक्रिय हुई और ना ही ’आप’ पार्टी के नेतागण ने अपनी जि़म्मेदारी को सही ढ़ंग से निभाया।
इसके अलावा, कल ही बिहार में ज़बर्दस्त आंधी-तूफान से राज्य के कई जि़लों में काफी ज्यादा जान-माल का नुकसान हुआ है। इस प्रकार की कुदरती आपदाओं से लोगों को राहत पहुँचाने के लिये केन्द्र सरकार को तत्काल आगे आकर मदद करनी चाहिये। साथ ही, केन्द्र सरकार से देश के सभी आपदा प्रभावित राज्यों की मदद के लिये ’’दलगत राजनीति’’ से ऊपर उठकर काम करते हुये ठोस व प्रभावी कार्रवाई करने की भी मांग बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने की।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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