उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री राम नाईक ने आज श्रीरामस्वरूप इंजीनियरिंग कालेज, चिनहट के प्रेक्षागृह में पाञजन्य साप्ताहिक एवं राष्ट्रीय विचार अभियान द्वारा आयोजित संगोष्ठी एवं विमोचन समारोह में डाॅ0 अम्बेडकर विशेषांक का विमोचन किया। इससे पूर्व राज्यपाल ने डाॅ0 अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करके अपनी आदरांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि श्री विजय कुमार, प्रबंध निदेशक, पाञजन्य, श्री प्रभु नारायण, श्री पंकज अग्रवाल, कुलाधिपति, श्री रामस्वरूप इंजीनियरिंग कालेज, लखनऊ सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे। राज्यपाल ने समारोह में डाॅ0 अम्बेडकर पर आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भी भेंट किया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डाॅ0 अम्बेडकर का जीवन समाज के सामने पूर्णरूप से लाये जाने की आवश्यकता है। डाॅ0 अम्बेडकर के जीवन के अनेक पक्ष हैं। उनका जन्म दलित परिवार में जरूर हुआ था लेकिन वे केवल दलित नेता थे ऐसा नहीं है बल्कि उन्हें राष्ट्रपुरूष के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का श्रेष्ठ व्यक्तित्व जो समाज के सामने आना चाहिए था वह नहीं आया है।
श्री नाईक ने कहा कि बाबा साहब एक प्रखर विद्वान, राष्ट्रभक्त, अर्थशास्त्री, पत्रकार, विधिवेत्ता और इतिहासविद् थे। उनका पूरा जीवन समता और मानवता के लिए समर्पित था। वैचारिक अंतर की जानकारी के बाद उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री, पंडित जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमण्डल से अपना त्याग-पत्र दे दिया। उनका मानना था कि संघर्ष और विरोध संसदीय परम्परा के अनुसार होना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में उन्होंने सामाजिक उपेक्षा सहन की मगर देश को बनाने में अपना कर्तव्य निभाया। उन्होंने शिक्षित और संगठित होकर संघर्ष करने का संदेश दिया।
राज्यपाल ने पाञजन्य द्वारा प्रकाशित विशेषांक की सराहना करते हुए कहा कि जनता को अधिकृत और विश्वसनीय जानकारी मिलनी चाहिए। डाॅ0 अम्बेडकर ने अपने देश और संस्कृति से जुडे़ धर्म का अपनाया। उनका संविधान बनाने का काम अतुल्य है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 अम्बेडकर केवल संविधान निर्माता नहीं थे बल्कि वे एक राष्ट्रभक्त भी थे ऐसा पक्ष भी उजागर होना चाहिए।
श्री विजय कुमार, प्रबंध निदेशक, पाञजन्य ने बाबा साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने लगन और परिश्रम से बाधाओं को पार किया। उनकी मेधा को देखते हुए उनके शिक्षक ने अपना नाम ‘अम्बेडकर‘ उन्हें दिया। महिलाओं को सम्पत्ति में अधिकार बाबा साहब की देन है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 अम्बेडकर का चिंतन दूरगामी था।
श्री प्रभुजी नारायण ने कहा कि डाॅ0 अम्बेडकर सनातन परम्पराओं के मील के पत्थर एवं सामाजिक न्याय के योद्धा थे। बाबा साहब भारतीय धर्म और सामाजिक न्याय के पक्षधर थे और उन्हें वेदान्त का अद्भुत ज्ञान था। उन्होंने कहा कि ऐसे महापुरूषों के बारे में युवाओं को जानकारी मिलनी चाहिए।
कार्यक्रम में श्री ललित सिन्हा ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा समापन वन्दे मातरम् से किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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